भारत ही नहीं पूरी दुनिया में विमर्श का कारण बना हुआ है और वह कारण है अडानी और अडानी के पीछे पड़ी हुई दुनिया, दुनिया के साथ-साथ भारत में उन चढ़ने और उतरते इनके स्टॉक। क्या यह भारत के खिलाफ नफरत का माहौल है या फिर अदानी ने वाकई में कोई ऐसी चोरी की है, क्योंकि इनके ऊपर आरोप यह लगे हैं कि इन्होंने अपनी बिजली बेचने के लिए भारत में उन चार राज्यों के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी थी जिन चार राज्यों में केंद्र सरकार यानी NDA की सरकार नहीं थी। उन चार राज्यों में नाम लिया गया है तमिलनाडु का, आंध्र प्रदेश का, उड़ीसा का और जम्मू कश्मीर का।अब प्रश्न यह बना है कि उनके द्वारा सरकार को अपनी बिजली बेचने के लिए यह राज्य सरकारों के अधिकारियों को रिश्वत दिए थे और यह आरोप लगा अमेरिका के अंदर, कि एक अमेरिका की छोटी सी कोर्ट के अंदर, एक छोटी सी अदालत के अंदर। तो जो आरोप इनके ऊपर अप्रूव नहीं थे उन आरोपों के लिए इन्होंने बहुत सारे बयान सुन लिए है। फिलहाल के लिए इन्वेस्टर की हालत बहुत ज्यादा खराब है क्योंकि इन्वेस्टर समझ ही नहीं पा रहा है कि वह कौन सी नैया में सवार है क्योंकि जैसे ही आरोप लगे मार्केट के अंदर से जबरदस्त तरीके से पैसा साफ हु। पैसा साफ हुआ इसके साथ-साथ एक व्यक्ति का नाम और बाहर आयाऔर उस व्यक्ति का नाम था BIDEN, चर्चा होने लगी कि अमेरिकी अदालतों ने यह नाम इसलिए लिया है क्योंकि इन्होंने सत्ता में जो फिलहाल बैठे हुए BIDEN हैं उनकी प्रजेंस में ही आने वाले ट्रंप की तारीफ कर दी थी । ना केवल तारीफ की थी बल्कि एक कमिटमेंट कर दिया था, कि “आप जब राष्ट्रपति बनेंगे तब मैं 10 बिलियन डॉलर का अमेरिका में निवेश लाऊंगा”। बस ये तारीफ बोले BIDEN को रास नहीं आई उसका परिणाम जो निकला वह इस समय मार्केट के अंदर बना हुआ है। आपको ये तो पता होगा कि यह अमेरिका का पुराना पैतरा है, कि वह दुनिया के देशों से जब बदला लेना चाहता है तो वह सैंक्शन सैंक्शन खेलता है। आप में से बहुत से लोगों ने रूस के साथ इस दौर में हुए सैंक्शन को देखा भी होग। जब रशिया-यूक्रेन कोन्फ़्लेक्स शुरू हुआ और अमेरिकी सैंक्शंस का दौर शुरू हुआ। आप में से बहुत से लोगों के मन में जिज्ञासा भी होती होगी कि अमेरिकी सैंक्शन का मतलब क्या होता है। आप विचार कीजिए कि अमेरिका की एक अदालत में केवल आरोप लगे हैं , कि अडानी ने रिश्वत दी थी और वह रिश्वत भारत में दी थी। आरोप यह है कि अमेरिकी पैसे से दी थी, अमेरिकी पैसा कौन सा था ,कहा से आया था ,कैसे से गया था बस यही पता है की पैसा कहीं ना कहीं गया था।लेकिन हां अपने लगभग 2000 करोड़ के आसपास भारत में उन राज्यों में रिश्वत दी थी जिन राज्यों में केंद्र वाली NDA सरकार नहीं थी। ये आरोप अमेरिका में लगे अमेरिकी अदालत में लगे लेकिन फर्क भारत पर कितना बुरा पड़ा यह आप सब ने देख लिया। आप विचार कीजिए जब किसी कंपनी पर सैंक्शंस लगते होंगे तो क्या होता होगा ? इस रशिया-यूक्रेन वॉर के दौरान आप में से जिन भी लोगों ने रूसी कंपनियों पर लगे हुए बैन देखे होंगे। इतना ही नहीं रूस छोड़कर कई कंपनियां चली गई थी उसका असर आप में से बहुतों ने रूस पर देखा होगा।
खैर फिलहाल के लिए इनकी केवल एक न्यूज़ ने ही मार्केट में बहुत नुकसान पहुँचाया। मतलब अमेरिका के अंदर इनके ऊपर जो बैठी हुई जांच है। उस जांच जिसका अदानी मना कर रहा है , उसकी वजह से अदानी को लगभग सवा 2 लाख करोड रुपए का नुकसान हुआ। सवा 2 लाख करोड रुपए का नुकसान अडानी का नहीं था। अडानी के साथ जिन लोगों ने शेयर्स खरीद रखे थे , यानी अडानी के जो शेयर खरीद रखे थे उनका पैसा वाइप आउट हो गया। अब ये जो पैसा निकल कर चला गया ये गया कहा ? जो जो वैल्यू थी वो धार से नीचे आ गई ये , क्या तरीका है ? टेक्निकली जिन्होंने अडानी के शेयर खरीदे थे उनका पैसा खत्म हो गया, उनका पैसा जीरो हो गया। यानी कि जहां-जहां इनका मार्केट गिरा वहां उनका पैसा गिरा। एक तरीके से क्या आपको यह नहीं लगता कि यह पैसा एक तरीके से भारत की जेब से निकाल कर चला गया। यदि भारत की जेब से निकल कर चला गया , तो बहुत बड़ा सवाल यह है कि भारतीय विषयों पर अमेरिकी कोर्ट बोलने वाली होती कौन है ? और अगर यह बोलने वाली होती है , तो इसका प्रभाव केवल एक क्षेत्र तक ही रहता तो समझ में आता। लेकिन इसका प्रभाव कितना व्यापक हुआ इसका अंदाजा आप इससे लगाइए कि, जहां इनके यहां पर सिक्योरिटी एक्सचेंज ने अदानी को नोटिस दिया कि, आप यहां आकर बयान दें। वहीं दूसरी तरफ अडानी के खिलाफ दुनिया भर के देशों में अपने-अपने तरीके के मायने बाहर निकाल के आने शुरू हो गए।
सोचिये कि अडानी की जब यह सूचना बाहर आई थी उस सूचना के बाहर आते ही जहां सवा दो लाख करोड रुपए इनके साफ हो गए , मार्केट 20% डाउन हो गया। यह तो बस एक दिन महाराष्ट्र का इलेक्शन का रिजल्ट आया था 23 तारीख को। जिसके बाद हमें प्रिडिक्शंस में भी पता था कि यह चुनाव जो हाल ही में महाराष्ट्र में संपन्न हुए हैं , लोग इसे अदानी से जोड़कर देखेंगे और इसका परिणाम मार्केट को देखने को मिलेगा। 23 तारीख को देखेंगे कि चुनाव के रिजल्ट को अदानी से जोड़ेंगे और मंडे को शेयर उठेगा।
मंडे को शेयर उठा बाजार 7% उठा। अदानी ग्रुप के स्टॉक में 7% की बढ़ोतरी हुई यानि एक प्रकार से अमेरिका के द्वारा भारतीय शेयर बाजार को पछाड़ने का जो काम हुआ। रिजल्ट से जस्ट पहले वो तो रिजल्ट का सपोर्ट था लोगों ने एक विश्वास व्यक्त किया इस नेगेटिविटी में भी पॉजिटिविटी ढूंढ ली कि इसका मतलब अदानी अभी तो कुछ अच्छा करेगा हो सकता है उसी ने सरकार जीता दी हो। वो वाला फैक्टर कहीं ना यहीं दिमाग में लोगों के आ गया। यानी इस नेगेटिविटी में भी की ये तो महाराष्ट्र के चुनावों को प्रभावित किया। बढ़िया ही आदमी रहा होगा , 7% का मार्केट फिर से ग्रो किया। लेकिन 25 तारीख को ये ग्रो किया ही था। पर इवनिंग तक आते-आते फिर मार्केट धराशाई हो गया।
न्यूज़ बड़ी बनने लगी कि KENYA ने जो की एक अफ्रीकी देश है ,उसने अदानी का जो इन्वेस्टमेंट है उसको लेने से मना कर दिया है , या फिर यह कहिए कि अडानी के साथ जो डीलिंग है उसे रद्द कर दिया है। ये कहते हुए कि ये रिश्वत देकर काम किए होंगे , हम अपने देश में अदानी के साथ काम नहीं करना चाहते। सोचिए आपके ऊपर केवल आरोप लगा है ,आपको पूछताछ के लिए बुलाया गया है। इस आरोप आरोप में कितना नुकसान हुआ भारत का वो आपके सामने है। आपके इस व्यापार को कितना नुकसान हुआ उस समय सबसे इंपोर्टेंट है KENYA के साथ आपके डील टूटती है। अगर यह KENYA के साथ व्यापार करता है, तो उस व्यापार में जो मुनाफा होता है वो कौन से देश में जाकर के इकट्ठा होगा ?टेक्निकली जब आप गूगल की ,अमेजॉन की, फेसबुक की, बात करते हैं। कहते हैं कि ये अमेरिकी कंपनी भारत में व्यापार कर रही हैं ,भारत से पैसा अपने देश में लेकर जाती हैं। तो निश्चित ही भारतीय पैसा बाहर जा रहा है ,ऐसे ही जब कोई भारतीय कंपनी बाहर जाकर काम करती है तो वहां से पैसा कमा के अपने देश लाती होगी। ऐसे में KENYA के साथ डील ना होना केवल भारतीयों का पहले जो पैसा मार्केट में डूबा वो एक मैसेज था , बल्कि भारत जो भविष्य में KENYA से आने वाला पैसा था वो भी डूब गया। इसके साथ-साथ जब KENYA से पैसा डूबा तो न्यूज़ तुरंत चलने शुरू हुई, कि वो जो डील्स रद्द हुई है संभवत: अब वह चीन को दे दी जाएगी। क्योंकि चीन और इंडिया दोनों इस समय पर केन्या में अपनी-अपनी ज़माने लगे हुए है । AFRICA में अभी मोदी जी के द्वारा जो NIGERIA का दौरा किया गया था उनसे दो महीने पहले ही शी जिनपिंग वहां जाकर आए हैं। यानी इस समय अफ्रीकी देशों में भारत और चीन जा जाकर अपना प्रभुत्व जमाने लग रहे हैं। सोचिए केवल एक छोटी सी खबर ने जो कि आरोप मात्र की खबर थी, उसने केन्या से भारत का एक बड़ा ऑर्डर छीन लिय। अब इस आर्डर के बाद में फिर एक और खबर आती है।
केन्या निकला इतनी देर में BANGLADESH बाहर आ जाता है। BANGLADESH को तो मौका ही चाहिए था क्योंकि, यहां पर जो मोहम्मद यूनुस बैठे हुए हैं वो तो BIDEN के कहने पर ही चल रहे हैं। और उन्होंने यह आते ही कह दिया कि , मैं भी जो BANGLADESH में पहले शेख हसीना के समय पर डील हुई थी , अडानी के साथ उनको रिव्यू करूंगा। यानी एक प्रकार से अदानी ने केन्या में ,अदानी ने BANGLADESH में जितनी भी डील की थी उनको रिव्यू करने की बात कर दी। मार्केट सेंटीमेंट नेगेटिव होने लगा , कि अडानी का इन्वेस्टमेंट पीट रहा है, अडानी के खिलाफ सेंटीमेंट तैयार हो रहा है। सोचिए कहां से शुरू हुआ है और कहां-कहां तक फैल रहा है। अगेन जब यह बात निकाल कर आती है , तो ये याद हो कि शेख हसीना को अपनी तरफ लाने का चीन ने बहुत प्रयास किया था। लेकिन जब चीन के साथ ये नहीं गई तब उनके खिलाफ जो हुआ वो सबके सामने है। आज शेख हसीना भागी हुई प्रधानमंत्री है ,आज वह अपने देश में नहीं है। ऐसे में फिर से यह सारे के सारे टेंडर्स चीन को मिलते हुए दिख रहे हैं। भविष्य के अंदर BANGLADESH और चीन की करीबी को और भारत के खिलाफ चाहे BANGLADESH को तैयार होते आप आसानी से देख सकते हैं।
आगे बढ़ते हैं एक तरफ भारत के दक्षिण में SRI LANKA, जहां पर अदानी ने COLOMBO पोर्ट में निवेश किया हुआ था। देखीये कोई भारतीय कंपनी विदेशो में जाकर व्यापार कर रही है। अक्सर हम भारतीय यही दुहाई देते आए कि हम गुलाम इसलिए बने थे क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी आई थी , हम पर राज करने के लिये हमें गुलाम बना कर चली गई। अब कोई भारतीय कंपनी थी जो KENYA जा रही थी , BANGLADESH जा रही थी ,COLOMBO जा रही थी, ISRAEL जा रही थी , AUSTRALIA जा रही थी , AMERICA जा रही थी और वहां जाकर के व्यापार कर रही थी। व्यापार करके संभवत: जैसे अन्य कंपनियां पैसा लेकर अपने देश लौटती हैं। यह कंपनी भी पैसा लेकर लौटती लेकिन एक ही आरोप ने सब तरफ इसका नुकसान पहुंचा दिया। COLOMBO प्रोजेक्ट भी अब अंडर स्क्रूट नहीं आ गया। जब ये सारी खबरें 25 तारीख को आई तो मार्केट फिर से अडानी का डाउन होने लगा। मतलब आप सोचिए पहले खबर आई मार्केट 20% गिरा, फिर चुनाव की खबर आई महाराष्ट्र की मंडे के दिन थोड़ा मार्केट संभला। मार्केट संभला अडानी के शेर 7% चढ़े। फिर अगले दिन में 25 की शाम होते-होते मार्केट फिर धराशाई हो गया।
इस बीच में भारत का अच्छा मित्र कहा जाने वाला फ्रांस भी आया ,लेकिन वह सबसे पहले बात तो अमेरिका कि मानता है। वो तक बोल पड़ा कि मैं अदानी में और निवेश नहीं करूंगा। ऐसे में टोटल एनर्जीजर्स अपने व्यापार रोक रहे हैं। मतलब एक साथ 25 तारीख को KENYA, FRANCE, BANGLADESH, SRI LANKA इतने सारे देशों से धार धार धार बुरी बुरी खबरें केवल आरोप मात्र पर आने लगी।
यह घटना हो ही रही थी लेकिन हमारे देश में भी अडानी के खिलाफ जो माहौल था वो कम नहीं था। इस बीच में तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने 100 करोड रुपए जो कभी इन्हें अदानी ने डोनेशन के नाम पर दिए थे ,उन्हें रिटर्न करने की बात कर दी कि ,”नहीं साहब हम भी नहीं लेंगे पता नहीं भ्रष्टाचार के पैसे से तो पैसा नहीं आ गया था”। हैरानी देखिए कि हमारे देश में भ्रष्टाचार से सरकारी चली जाती है, भ्रष्टाचार से सरकारी बन जाती हैं ,लेकिन डोनेशन का पैसा इस आरोप में की यह व्यक्ति भ्रष्टाचार करता है , वह पैसा वापस कर दिया गया। यानी इसमें वो वाली बात है की कब्र में ताबूत में आखिरी कील ठोक दी जाए ताकि अदानी डूब तो रहा है और ढंग से दुबे। और अडानी को नुकसान पहुंचाने का नतीजा निकला 25 तारीख को मार्केट 52 वीक के सबसे लो पर चला गया।
यानी एन्ड होते-होते मार्केट बुरी तरह गिरता चला गया। मतलब मार्केट 25 को जो शुरुआत में संभला वो 25 की शाम होते-होते , यानी शुरुआत में 7% की संभाल थी शाम होते-होते अपने 52 हफ्ते के सबसे लो पर चला गया। इन सब के बाद अगेन पैसा किसका गया, निवेशकों का गया। निवेशक कौन थे , भारतीय निवेशक थे। इंटरेस्टिंग बात इसमें कंस्पिरेशन की और बनती है।
देखे कितना तरीके से अदानी ग्रीन्स , एंटरप्राइजेज ,पोर्ट्स इन सबसे 25 तारीख की शाम तक होते-होते लगभग 55 बिलियन डॉलर का मामला साफ हो गया। मतलब केवल एक आरोप में 55 बिलियन डॉलर साफ कर दिए। यह 55 बिलियन डॉलर कितने होते हैं – जितने में चीन ने पूरा पाकिस्तान खरीद लिया। जो चीन पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर है। उसकी कुल लागत 60 बिलियन डॉलर है जिसके चलते शहबाज शरीफ हर चीनी को हाथ में लिए घूमते हैं कि कहीं मर ना जाए अदरवाइस चीन वाले भाग जाएंगे और हमारी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। इन्होने एक आरोप लगा के भारतीय बाजार से 55 बिलियन डॉलर का नुकसान कर दिया। आरोप सत्य होंगे ,प्रमाणित होंगे ,किसी को कुछ नहीं पता है। बस किसी से खबर आई थी कि अडानी ने ऐसा किया है। सोच कर देखिए कि हम कितने क्षणभंगुर हैं हम कितने फ्रेगायिल है। कि हमारे ऊपर एक आरोप लगा और हम बिखर गए। असल में हम भारतीयों ने इतनी गुलामी झेली है , अंग्रेजों की बातों को हमने वाकई में WHITE MANS को बर्डन के रूप में ही लिया है कि, ये लोग बोलते हैं तो इसका मतलब सही बोलते होंगे। क्योंकि गोरा रंग हम पर इतना सवार है कि यह तो वाकई में ईश्वर अवतार है। इन्होंने बोला है तो सही होगा। अगर आप पढ़ने लिखने वाले विद्यार्थी हैं तो आप इंडियन पॉलिटी की किताब उठा कर देखें , वहां पर हम इंडियन पॉलिटी की किताबों में लिखते हैं , जैसी व्हीलर के अनुसार ऐसा ऐसा है। हम राजस्थान के लोग जब अपनी हिस्ट्री पढ़ते हैं तो लिखते कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार। मतलब हम लोग विदेशियों से इतने प्रभावित हैं कि फाइयंहा ने हमारे बारे में यह कहा था। हम लोगों ने दूसरों ने हमारे बारे में क्या कहा उस से हम प्रभावित है। मेगस्थनीज ने हमारे बारे में यह कहा था मतलब हम इतनी बड़ी आबादी हमारे बारे में किसने क्या कहा था हम इस से इतने बड़े हो चुके हैं , कि अब अमेरिका की एक कोर्ट में हमारे बारे में यह कहा था कि अडानी ने आप ही के देश में किसी को रिश्वत दी थी। और हम एकदम फुट-फुट के रोने लगे की हाय यह तो हमें पता ही नहीं था कि यह क्या हो गया। और उसका परिणाम क्या निकला कि पूरा की पूरा पैसा जब से निकाल कर चला गया।
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खैर कोई बात नहीं इस बीच में भी अडानी के खिलाफ अमेरिका नहीं रुका। इनके पास में तीन बड़ी-बड़ी एजेंसीज है। मतलब इतने पर भी की हां अभी तो इस चोट पहुंचानी है 10 बिलीयन डॉलर देने की बात की थी , अदानी ने ट्रंप को 10 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट करने का प्रॉमिस किया था। जब ट्रम्प जीत कर आए थे कि मैं अमेरिका में इन्वेस्ट करूंगा। बिडेन ने जाते-जाते 55 बिलियन डॉलर का नुकसान अदानी को पहुँचा दिया। इतने पर भी ये लोग नहीं रुके और इन्होंने क्या किया ,इनके पास में तीन रेटिंग एजेंसीज है। तीन बड़ी अम्माएं हैं इस पूरी दुनिया में जो यह बताती है ,कि इन्हें पैसा मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। अगर आपको किसी से कर्जा चाहिए तो एक बीच में पंच बैठा हुआ है ,जो गारंटी देता है कि देख कर लगता है कि यह आदमी सही व्यापार कर रहा है आप इसको कर्ज दे सकते हैं, ये होती है रेटिंग एजेंसीज। रेटिंग एजेंसीज में तीन रेटिंग एजेंसीज है एक का नाम है MOODY’S , एक का नाम है FITCH और एक का नाम है स्टैंडर्ड एंड पूअर्स(STANDARD AND POORS)। ऐसे में ही FITCH ने और MOODY’S ने इनकी रेटिंग गिरा दी ,और रेटिंग गिराते हुए इनको कहा कि आपका आउटलुक निगेटिव जा रहा है। मतलब अगर कोई इनमें इन्वेस्ट करने आ रहा हो , तो इनमें इन्वेस्ट ना करें। मतलब चौतरफा तरीके से अदानी को घेरा जा रहा था। मुसीबत पता है क्या थी ? मुसीबत यह थी कि एक भारतीय कंपनी बाहर जाने का प्रयास कर रही थी। लेकिन हमारे देश में पॉलिटिकल सेंटीमेंट ऐसा है कि मोदी जी की वजह से जा रही थी। और मोदी जी की वजह से जा रही थी तो फिर मोदी जी का नुकसान हो तो अडानी का नुकसान हो। ऐसे में अगर मोदी और अडानी मित्र है तो भाड़ में जाए भारत वालों का पैसा ,अदानी डूबना चाहिए। और अडानी डूबेगा तभी जाकर के सभी को लाभ होगा। ऐसे में इनके खिलाफ जो सेंटीमेंट बनता चला गया उस सेंटीमेंट में अदानी की जो फर्म्स हैं। उनके खिलाफ निगेटिव रेटिंग दे दी गई STANDARD AND POORS , FITCH एंड इनके द्वारा ,FITCH रेटिंग के द्वारा ,MOODY’S रेटिंग के द्वारा , गिरा करके इनको पटका गया नीचे की और चलो नीचे। यानी की पड़े हो तो लो और पटकने खाओ साफ पटकने खाते रहे और इन्होने पटकने देते देते इनकी रेटिंग को गिरकर ,ताकि कोई और इन्वेस्टर इनमे ना आए , इन्वेस्टर ना आकर पहुंचे। सोचिये कि इन्होंने अदानी पोर्ट्स , इंटरनेशनल कंटेनर ,इलेक्ट्रिसिटी मुंबई ,ग्रीन एनर्जी इन सब के ऊपर रेटिंग्स में अपनी तरफ से रेटिंग्स दे दी की ,यह तो नेगेटिव प्रोफाइल में चली जा रही है इंटरेस्टिंग एक जानकारी यहां पर और है, जो कंस्पिरेशन की तरफ इशारा करती है। और वह यह है कि अमेरिका के द्वारा यह संस्थागत तरीके से पहले से विचार किया जा रहा था। हाल ही में कुछ लोगों ने इस तरफ भी ध्यान आकर्षित किया है की हिडेनबर्ग ने जब अदानी पर चोट किया तो शॉर्ट सेलिंग की बात की थी ,शॉर्ट सेलिंग में मतलब हिडेनबर्ग ने गिरते हुए मार्केट से पैसा कमाया था। लेकिन अमेरिकी एजेंसीज इस तरह से अदानी को केवल मारना चाह रही थी , या फिर और भी पैसा कमाना चाह रही थी ?इसके बारे में जानिए – देखिये पिछले ट्रेंड्स बता रहे है की इस घटना के होने से पहले जो अमेरिकी इन्वेस्टर्स इंडिया में इन्वेस्ट करते थे उन्होंने बड़ी मात्रा में पैसा निकाला है। जिन्हें आप फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर कहते हैं।
इन्होंने हाल ही में इस घटना के होने से पहले बहुत सारा पैसा मार्केट से निकला है। देखिए यह जो सारी की सारी रेट्स है ,यह नीचे की तरफ आती जा रही है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अडानी के स्टॉक में से FII ने अभी के समय पर , मतलब हिंडन बर्ग के बाद की बातें हैं सितंबर 24 तक FII ने अदानी एंटरप्राइजेज में 11% ही अपना इन्वेस्टमेंट रखा पहले 17% हुआ करता था। अदानी के खिलाफ अमेरिका कुछ प्लान कर रहा है ये बड़ा सवाल है। ये FII 17.5 परसेंट से लेकर के 11.30 परसेंट पर पहुंच रही है। इसी तरह से अदानी ग्रीन अंदर जो 15. 2 परसेंट पर आ गया 17 .1 परसेंट से। ऐसे ही और जो है उनमें 18% से 15.2% पर आया यानी फिर इस घटना के होने से पहले ही पैसा निकल रही थी। मतलब अमेरिका जैसे देश में क्या होता है कि वहां के लोग जो बहुत सारा पैसा अपने पास रखते हैं वह ऐसे मार्केट में पैसा लगाते हैं जहां पर मार्केट बहुत जल्दी से पैसा बना ले। आप में से भी बहुत सारे लोगों ने इस दौर में पैसा खूब बनाया है जो ट्रेड करने वाले लोग हैं ना इंट्राडे करने वाले , फ्यूचर एंड ऑप्शन करने वालों ने इस पूरे 5- 7 दिन के क्रम में बहुत पैसा बनाया है। जो जानते हैं जो नहीं जानते हैं उन्होंने पैसा गवाया भी बहुत है। बनाया किन्होंने हैं ,जिन्हें यह पता है कि जैसे यह रेटिंग नीचे आ रही है तो इसकी वजह से मार्केट नीचे जा रहा है। तो उसमें नीचे जाकर के भी वह पोजीशन लेकर के पैसा बना रहे थे। वहीं दूसरी ओर की अब महाराष्ट्र का इलेक्शन आया है इसका रिजल्ट सकारात्मक है तो सुबह मार्केट चढ़ेगा। उस पैसे को चढ़ते हुए भी पैसा बनाया है। तो फ्यूचर एंड ऑप्शंस में बहुत से लोगों ने इस पूरी घटना के दौरान खूब पैसा बनाया। FII और बड़े लेवल पर करते हैं, यह बड़े पैसे वाले लोग होते हैं ,इनको पता है कि अडानी गिरेगा। अदानी गिरेगा पहले से ही पैसा निकाल लो। जब गिरेगा तब इस पैसे को वापस लगाएंगे। तो उस से क्या होगा अदानी चढ़ेगा। अदानी चढ़ेगा तो हमारा पैसा बड़ा हो जाएगा। लोगों के बीच में चर्चा हो रही है और वह यह है कि अडानी में पैसा लगाने का एक सेट ट्रेंड है। और वह क्या है, कि अडानी जैसे ही ऑल टाइम हाई तक पहुंचने लगे उसे जस्ट पहले अडानी का शेर बेच दो। क्योंकि अमेरिका उसके शेरों को तोड़ने के लिए बैठा है यहां पर। इतना बढ़िया पैसा कमाते हैं। और जब मार्केट चढ़ रहा है , जब लास्ट में पहुंचने वाला है अमेरिका कोई ना कोई भंडार फोड़ देगा। पहले हिडेनबर्ग फोड़ दिया , फिर कह दिया कि सेबी की चीफ चोर है , फिर तीसरी बार में यहां के कोर्ट ने मात्र आरोप लगा दिया इनको पता है की अदानी इतना वोलेटाइल और वोलेटाइल क्यों है क्योंकि भारत की राजनीति में अदानी के रोज नारे लगते हैं।
तो ऐसे में वोलैटिलिटी बहुत ज्यादा है ,तो वोलैटिलिटी को देखते हुए वो लोग बस इतना सा पत्थर मारते और हम खुद से भंगूर हो के नीचे गिर जाते हैं, शीशे की तरह टूट जाते हैं। ऐसे में कुछ लोगों ने क्या ट्रेंड बना लिया है , कि जब अडानी का शेयर चढ़ने वाला हो उस समय एन्ड पे पहुंच के थोड़ा पहले ही उसे बेच दो क्योंकि बाद में अमेरिका तोड़ेगा ,पिछले पंच सात से ऐसा हो रहा है। और जब यह अदानी बिल्कुल नीचे आ जाए तब इसमें इन्वेस्टमेंट करदो इन्वेस्टमेंट करके पैसा बना लो। क्योंकि उठना भी तय है क्योंकि भारतीयों को भी अब यह बात समझ में आ गई। क्योंकि केवल खेला FII ही नहीं खेल रहा , इंडियन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स भी खेल रहा है। वो भी अपने लेवल पर इसमें पैसा लगा रहा है डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर( DII) भी लगा रहा है। तो ऐसे में इसको पैसा लगाकर उठा दो तो यहां पर इंट्राडे वाले हो, या फिर ये FII हो , या DII हो इन्होंने इसमें पैसा भी खूब बनाया है। पीस कौन गया जो सेंटीमेंट के साथ चल रहा था की यह तो अडानी की है ऊपर ही रहेंगे क्योंकि मोदी जी का आशीर्वाद है, तो वो धार से निचे आ गए । यहां पर यह जो राइड खेलना सीख गए थे जैसे होता है ना ज्वार भाटे जब आ रहे होते हैं कि ज्वार के साथ तैर के ऊपर आ जाओ भाते के साथ पीछे चले जाओ खेलना सीख गए वो तो इसके आनंद ले रहे थे। बाकि लोगों का इसमें नुकसान हो गया।
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अभी की न्यूज़ क्या है इस पूरे खेल में इंडियंस ने जब मार्केट को समझा कि यह पूरा खेला हो रहा है इस बीच में अदानी बाहर आते हैं और आकर के अपनी तरफ से स्पष्टीकरण देते हैं कि देखो हमने जो पैसा लगाया वह पैसा किन-किन राज्यों में लगा पहले तो यह है, दूसरा जिन राज्यों में लगा उन राज्यों के अंदर पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी। तमिलनाडु में डीएमके के जो इंडिया का गठबंधन था। उड़ीसा में बीजेपी की सरकार थी जिसके खिलाफ भाजपा चुनाव लड़ी थी। आंध्र के अंदर वाय इस आर (YSR) कांग्रेस का था।
उनके खिलाफ आरोप लगा है कि इसके खिलाफ जांच होनी चाहिए तो सेबी जांच कर रही है। सेबी ने कहा कि हम जांच करेंगे की क्या हो रहा है लेकिन एक बहुत बड़ा प्रश्न यह बनता है ,की अगर एक व्यक्ति ने रिपोर्ट में कहा गया अमेरिकी रिपोर्ट में क्या कहा गया है ,कि अडानी इन सरकारों से जाकर मिले थे कि हमारी बिजली खरीद लो। तो कोई व्यक्ति अपना माल बेचने के लिए मिलना गुनाह है क्या ? अमेरिका में इस प्रॉपर तरीको को लॉबिंग कहते है ;इंडिया में तो भ्रष्टाचार, और भ्रष्टाचार के नाम पर इंडिया वालों को तगड़ा राग है। अगर आप भ्रष्टाचार कर रहे हो और पकड़े नहीं गए हो तो बुद्धिजीवी साहूकार कहलाओगे पर पकड़े गए हो तो भ्रष्टाचारियों और हमारे इंडियन इस तरह से हैं कि यदि कोई भ्रष्टाचार करके पकड़ा गया है तो “बताइए कैसी हरकत करता था”। और आपको पता है कि वह भ्रष्टाचार करता है लेकिन पकड़ा नहीं गया है तो “अरे सर आप कितने अच्छे आदमी है”। हम लोग इस तरह के दोगले पन में जीवन जी रहे है।
अमेरिका इसको बाकायदा लॉबिंग नाम दिया गया है। लॉबिंग क्या है ?आपको माल बेचना है आप जाइए और सरकार की लॉबिंग करिए मतलब आप अपनी तरफ से सरकार की नीतियों को प्रभावित कर दीजिए। आपको जानकर आश्चर्य होगा अमेरिका के अंदर टैक्सेशन हो , डाटा प्रोटक्शन हो ,ऑनलाइन सेल टैक्स का बिल हो ,डिफेंस कांट्रैक्ट इन सबके लिए लॉबिंग होती है। और लॉबिंग पर मिलियंस पर डॉलर खर्च किए जाते हैं मिलियंस का पैसे खर्च किए जाते हैं की जाए और कंपनियां अपने स्तर पर मंत्रियों को समझा ने के लिए पैसा खर्च करती है। बड़े-बड़े बुद्धिजीवी यों से कंपनियां के फेर में बुलवाया जाता है। एडवर्टाइजमेंट चलाए जाते हैं , मंत्रियों को साथ में कुछ गिफ्ट देने होते तो मिलियंस का डॉलर और काहे पे खर्च होगा। सोचो US की जो टेक्नोलॉजी कंपनी है ना उनका 2015 के अंदर जो लॉबिंग एक्सपेंडिचर था ना। यूरोपीयन यूनियन के सामने आप उसको देखकर हैरान रह जाएंगे गूगल ने 4. 25 मिलियन यूरो खर्च किए थे। अपने पक्ष में ताकि यूरोपीयन यूनियन में माहौल बने इसको क्या कहोगे ? क्या यह भ्रष्टाचार नहीं कहलाएगा ? अंग्रेजी में शब्द अपने लॉबिंग दे दिया लेकिन खर्च आपने किस पर किया अपने पक्ष में फैसला लाने के लिए। माइक्रोसॉफ्ट ,अमेज़न ,एप्पल ,फेसबुक ,क्वालकॉम लेकिन वही वाली बात है अमेरिकी कंपनी करें तो इससे लॉबिंग कहते हैं और भारतीय कंपनी अगर लॉबिंग कर गई तो इसे भ्रष्टाचार कहते हैं। और वह भ्रष्टाचार मार्केट को बुरी तरह तोड़ता है। जितनी रक्षा डील होती है ना भारत के अंदर हो या विदेश के अंदर हो हर कंपनी अपने स्तर पर प्रभावित करने का प्रयास करती है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार खुद इस बात का जिक्र किया था। अपने चुनावी भाषण में कि जब हम राफेल से डील कर रहे थे जो की सरकार के थ्रू आया था , फ्रांस के थ्रू ,तो उसके दूसरे जो राइवल्स थे वह अपने लेवल पर लॉबिंग करने आए, राफेल की बुराई करवाने के लिए और हो सकता है कि उन लोगों ने पैसे दिए हो अपोजिशन को ,की राफेल के खिलाफ माहौल बनाओ और माहौल बनाओ ताकि यह डील रद्द हो जाए और उसका कोई दूसरा सब्सीट्यूट बने। यहां पर प्रधानमंत्री का यह भाषण 9 जनवरी का है 2019 का जिसे आप देख सकते है। भारत में ना एक बार सुरक्षा उपकरण खरीदने की बात हुई थी 2013 के अंदर उसमें पता चला था कि AGUSTA-WESTLAND ने उसे समय की कांग्रेस की जो UPA गवर्नमेंट थी उस गवर्नमेंट में 2.5 बिलियन रुपए रिश्वत के रूप में बैंक अकाउंट में मंत्रियों अधिकारियों के UK और दुबई के अकाउंट में ट्रांसफर किए थे। दुनिया भर के देश अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए साम दाम दंड भेद अपनाकर अपना माल बेचते हैं। अदानी ने भ्रष्टाचार किया इसकी कोई वकालत नहीं कर रहा हूं लेकिन बाद इसकी हो रही है कि यह लोग जब खुद करते हैं तो इससे लॉबिंग कहते हैं और अगर किसी देश व्यक्ति ने अपने देश में कुछ कर लिया तो अपने यहां बैठी हुई तीन बड़ी अम्माई जैसे मूडीज से, स्टैंडर्ड एंड पुअर से उसकी रेटिंग गिरवाते हैं। पूरी दुनिया के अंदर से सारे ट्रेन रुकवा देते हैं ,यह सैंक्शंस नहीं तो और क्या है?मतलब आप सोच कर देखिए कि इसमें यही तो कहा था कि ट्रंप आप बहुत तगड़े आदमी हो ,आपकी मैं प्रशंसा करता हूं ,और आपको 10 बिलियन डॉलर दूंगा। 60 बिलियन डॉलर तो अब तक इसके निकाल चुके हैं यह लोग। मतलब सोच कर देखिए किस तरह से इस ग्लोबलाइज वर्ल्ड के अंदर यह जो वर्चस्व पर बैठे हुए लोग हैं यह काम करते हैं। समझदार भारतीय होने के नाम पर समझदारी करिए यह बात सत्य है कि आपको निवेश करना है , नहीं करना है ,आपका अपना पाठ है आपको अदानी पकड़ने नहीं गया कि आप उसके लिए पैसे खर्च करें। अदानी आपसे वोट मांगने भी नहीं आया कि उसके लिए वोट करें। पर ये बात समझे कि दुनिया के लोग जब खुद करते हैं तो उसे यह बड़ी इज्जत से लॉबिंग कहते हैं। लेकिन अदानी खुद के देश में किसी को पैसे दिया है इवन पैसे दिया है तो भी जांच का विषय है। और यह जांच सीबीआई को करनी चाहिए ,कि क्या वाकई में अदानी ने पैसे दिए हैं ?सेबी को भी करनी चाहिए, क्या वाकई में अदानी ने उन लोगों को पैसे दिए हैं ? अपोजिशन को यह मांग उठानी चाहिए कि जहां-जहां उनकी सरकार है वहां पर अगर अदानी ने पैसे दिए तो जांच की जाए। ताकि अपोजिशन भी पूरे क्लियर हार्ट के साथ बाहर निकाल कर आए कि हम पर कोई दाग नहीं लगे। ऐसे में यह सब बातें ,हमारे अंदर की बात है ,हमारे देश के भीतर की बात है। लेकिन झकझोर किसने दिया जो बाहर बैठा आदमी है। लेकिन फिर भी भारतीय हर दिन समझदार होते हैं। हर दिन जब उनको यह एहसास होता है कि कोई हमेशा हमारे साथ कुछ खेल खेल रहा है।
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