अक्सर जब भी मार्केट की बातें होती हैं तो मार्केट में जब कोई कंपनी पहली बार लिस्ट होने आती है तो IPO लेकर आती है। यानी कि उसके लिए आपके साथ अपने हिस्सेदारी को साझा करने का ऑप्शन होता है। एक कंपनी है वह चाहती है कि आप भी उसके अंदर हिस्सेदार बने ,तो वह आपसे कुछ पैसा लेके आपको अपने शेयर देती है, यह आसान भाषा में IPO है। यह हर किसी के लिए अच्छा होता है कि कोई बहुत अच्छी कंपनी काम कर रही है ,आपको लगता है कि आप उसमें हिस्सेदारी ले सकते हैं तो आदमी IPO में इंटरेस्ट लेता है। और भारत में IPO के अंदर काफी सारी न्यूज़ ऑलरेडी आयी थी , जैसे आपको याद होगा तो हुंडई का जब IPO आया था ,उस समय भी चर्चा हो रही थी और जब हुंडई का IPO ऐसा लगभग 27000 करोड़ के आसपास का तो उस समय एक बहुत बड़ी चर्चा और आई थी – कि इससे बड़ा क्या होगा – तो चर्चा निकल के आई थी ,कि TATA SONS का जब IPO आएगा ना तो वह इससे भी बड़ा IPO आएगा। यानी की जिस तरह से हुंडई ने भारत से 27000 करोड़ जुटाए , ऐसे TATA SONS जब IPO लेकर आएंगे तो वह देश का सबसे बड़ा IPO होगा। यह न्यूज़ अक्टूबर के अंदर काफी ज्यादा फ्लैश हुई ,और कितना बड़ा लेके आएंगे ? क्या करके आएंगे ?सारी बातें बताएंगे लेकिन इस बीच में TATA SONS IPO ला पाएंगे या नहीं ,यह सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। क्यों ,क्योंकि TATA SONS और RBI के बीच में कुछ conflict है और उसे लेकर किसी ने मामला उठा दिया है ,किसी ने नोटिस भिजवा दिया है ,और ऐसे में TATA SONS का IPO आएगा या नहीं RBI को कुछ फैसले पलटने पड़ेंगे या नहीं ,क्या मामला है टाटा की जो इमेज लोगों के सामने है क्या वैसे ही रह जाएगी ,या कुछ गड़बड़ हो जाएगा। सारी बातें फिलहाल सुर्खियों में है।
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क्या चर्चा है –
देखो आपको यहां पर एक खबर दिख रही है कि “RBI faces pressure as Tata Sons’ IPO plans encounter regulatory hurdles ” अभी RBI को भी अपने आप में काफी ज्यादा प्रेशर इस बात का फील हो रहा है कि इनके IPO को लेकर के कुछ रेगुलेटरी इश्यूज आ रहे हैं। ऐसे ही “BIZZ BUZZ ” लिखता है कि “RBI FACES LEGAL HEAT OVER TATA SONS IPO ” अच्छा यह है क्या खबर – इसको एक बार के लिए यहां पढ़ लीजिए ,की लीगल नोटिस मिला है RBI को और उसमें यह है कंसर्न कहा गया है ,कि INTEREST INVLVING VENU SRINIVASAN , अच्छा वेणु श्रीनिवासन कौन है तो टाटा के अंदर एक डायरेक्टर है , जो TATA SONS में भी डायरेक्टर है और RBI में भी डायरेक्टर है। तो RBI TATA SONS को कुछ परमिशन देती है ,और जो RBI परमिशन देती है ना TATA SONS को उन दोनों जगह पर एक आदमी कॉमन है “VENU SRINIVASAN “। VENU SRINIVASAN ओरिजनली TVS के चेयरमैन है। लेकिन ये TATA SONS में भी डायरेक्टर है और RBI में भी डायरेक्टर है। TATA SONS को RBI से कोई परमिशन चाहिए ,ये परमिशन देने वाली जगह पर भी है और मांगने वाली जगह पर भी है ,यानि जिसने आवेदन किया और जिसने परमिशन ग्रांट की ,दोनों तरफ एक ही आदमी बैठा है। इस बात को लेकर के बड़ा बवाल खड़ा हो रखा है। अब इसको थोड़ा डिटेल में समझेंगे ,लेकिन उससे पहले आपको मामले के लिए कुछ बेसिक बातें जानना जरूरी होती है। न्यूज़ क्या है ?वह तो यह है – कि मुंबई के कोई “सुरेश तुलसीराम पाटिलखेड़े” हैं जिन्होंने RBI को नोटिस भेज दी है और उस नोटिस के अंदर यह कहा है कि – यह जो एक व्यक्ति आपके पास दोनों जगह कॉमन है यह आपके एक फैसले को पलटाने का काम कर रहा है ,और वह कौन सा फैसला है – TATA SONS नियमों से बचने की कोशिश कर रहा है। कौन से नियमों से बचने की कोशिश कर रहा है – वह पब्लिक लिस्टिंग से बचना चाह रहा है , मतलब क्या TATA SONS का IPO आएगा यह तो हम सोच रहे हैं ,लेकिन TATA SONS चाहता है कि उसका IPO ना आए और ना आए इसके पीछे की क्या कहानी है वह भी हम बताएंगे। RBI के अंदर हितों के टकराव का भी जिक्र किया गया है। तो यह सारी खबरें बड़ी खबरें हैं , इनको अब विस्तार से समझने के लिए पहले TATA SONS क्या है यह समझ लो फिर RBI का क्या कहानी है वह समझ लो। आज के काफी सारे टाइटल आपको क्लियर होने हैं। TATA SONS क्लियर होगा ,CIC क्लियर होगा ,NBFC क्लियर होगा साथ में IPO आना ,फायदे का सौदा है TATA SONS के लिए या नुकसान का यह क्लियर होगा और आपका इस पूरी जानकारी को पढ़ने से क्या फायदा है यह पता चलेगा।
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पहले जानकारी TATA SONS की हाल ही में जब RATAN TATA का देहावसान हुआ उस समय पर काफी ज्यादा TATA SONS ,TATA TRUST ,TATA GROUP OF COMPANIES इन पर खूब सारा मसला और मटेरियल अपने सुन लिया है। फिर भी एक बार के लिए ज्ञान मिल रहा है तो वापस से साझा कर देते है। देखिये TATA SONS टाटा ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज का कोर इन्वेस्टर है। Tata Sons Pvt. Ltd. is the holding company of the Tata Group मतलब इसके पास में टाटा ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज के अंदर जितनी भी कंपनियां लगभग 100 से अधिक टाटा के पास कंपनियां है उनकी होल्डिंग कंपनी TATA SONS है। होल्डिंग कंपनी मतलब उन सबके अंदर प्रमोटर कहिये या इनिशियल इन्वेस्टर कहिये या उसका अधिकांश शेयर होल्ड करने वाली कहिये वो कंपनी TATA SONS है। मतलब एक तरह से समझिये की ये (TATA SONS ) कोई मेजर पोरशन है ,उसके पास में बहुत सारी कंपनियां है जैसे टाइटन है ,वोल्टास है ,पैंटालूंस है जो भी कंपनियां टाटा के पास चलती है वह सब कंपनियां TATA SONS के UNDER में आती है, यह तो सबको लगभग पता है। It owns the bulk of shareholding in the Tata group of companies including their land holdings across India इसके पास टाटा ग्रुप का कंपनी का मेजर हिस्सा है ,जो जमीने तक है ना वह भी TATA SONS के पास है टाटा ग्रुप का कंपनी की।
आगे बढ़ते हैं तो TATA SONS एक तरीके से सबसे ऊपर का वटवृक्ष हुआ। टाटा संस से ऊपर टाटा ट्रस्ट बैठा हुआ है ,मतलब अब ऐसे समझिए कि टाटा संस में टाटा ट्रस्ट की हिस्सेदारी 66% है। 66% इक्विटी शेयर ऑफ़ टाटा संस वह टाटा ट्रस्ट कंट्रोल करता है। तो सबसे ऊपर बैठा है टाटा ट्रस्ट ,उसके नीचे टाटा संस ,टाटा संस के पास में बहुत सारी कंपनियां। आज चर्चा टाटा संस की है ,मतलब यूँ समझिए कि टाटा ट्रस्ट वह चेहरा हो गया जो दुनिया को दिखाया जाता है कि सभी फिलैंथरोपिक कार्य करता है। टाटा संस वो चेहरा हो गया की यह व्यापार करता है और व्यापार इन कंपनियों के माध्यम से कराता है।
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टाटा ट्रस्ट की इमेज परोपकार की है , फिलैंथरोपिक एक्टिविटीज की है ,सर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल बना रखा है ,इन्होंने TIFR (Tata Institute of Fundamental Research) बना रखा है ,तमाम चीज की हुई है जो टाटा ट्रस्ट के माध्यम से होती है। तो जो टाटा संस है उसके अंदर काफी सारे बोर्ड के मेंबर्स होते हैं ,उनके चैयरमेन हैं नटराज चंद्रशेखर हैं ,ऐसे ही एक डायरेक्ट देख रहे हैं जिनका नाम है वेणु श्रीनिवासन यह TVS ग्रुप के चैयरमेन है और टाटा ग्रुप के अंदर डायरेक्टर का काम करते हैं। वेणु श्रीनिवासन RBI में भी डायरेक्टर के पद पर हैं। इन्हीं को लेकर के सबसे ज्यादा कनफ्लिक्ट हो रहा है। TATA SONS यह वह आर्म है जो क्या काम कर रही है व्यापार का काम कर रही है। तो TATA SONS जिसके लगभग 66 परसेंट भाग पर टाटा ट्रस्ट कंट्रोल करता है ,उसके पास लगभग 100 से अधिक कंपनियां है ,उनमें से 26 कंपनियां ऐसी है जिनका लिस्टिंग ऑलरेडी हो रखा है। मतलब जैसे TCS है ,टाटा ट्रक्स है ऐसे करके 26 कंपनियां ऐसी हैं टाटा के पास जो उनकी ऑलरेडी IPO आ रखा है ,जो शेयर मार्केट में लिस्टेड है।
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तो अगेन, TATA SONS के पास 100 कंपनियां है 100 में से 26 कंपनियां ऐसी है जो शेयर मार्केट में चल रही है। तो एक बार के लिए टाटा संस कि अगर हम जानकारी दें तो यह TATA SONS है इसका 66% हिस्सा टाटा ट्रस्ट के पास है। टाटा ट्रस्ट के पास ही एक तरह से कहिए तो वह 100 से अधिक कंपनियां है। मतलब आप यह कहिये TATA SONS बीच का एक पॉइंट बना दिया ,लेकिन टेक्निकली टाटा ट्रस्ट की हुई ना सब कंपनियां। फिर तो 66% अगर टाटा संस का टाटा ट्रस्ट के पास है तो सब कुछ उसका है। लेकिन इन्होंने बीच में टाटा संस नाम की संस्था बना दी। तो TATA SONS के साथ-साथ टाटा संस में 18. 4 फ़ीसदी हिस्सा साइरस मिस्त्री परिवार का है । 2. 6% किसी और का है ,टाटा ग्रुप आफ कंपनी का भी 13 परसेंटेज हिस्सेदारी है TATA SONS के अंदर। अब हाल ही में जो NOEL TATA है वह भी इसी बोर्ड के अंदर नियुक्त किए गए हैं।
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अब आगे चलते हैं TATA SONS के IPO को लेकर RBI के साथ क्या कनफ्लिक्ट है उसे सुनते हैं। जैसा अभी आपने पढ़ा कि टाटा की जितनी भी कंपनियां है उसमें TATA SONS का बहुत बड़ा रोल है। हमने पहले भी कहा कि जो TATA SONS है इसी ने 100 कंपनियां खोल रखी है ,तो इस तरह से 100 कंपनियां खोलने का काम टाटा ने TATA SONS के माध्यम से किया हुआ है। TATA SONS क्या है तो TATA SONS ने टाटा की खूब सारी कंपनियों में शेयर रखे हुए हैं ,या यह कहिए खूब सारी कंपनियों को TATA SONS ने ही खोला है। तो TATA SONS को क्या कहेंगे – TATA SONS CIC (कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी) है। तो टाटा की कोई भी कंपनी चाय, टाटा नमक ले लीजिए ,टाइटन ले लीजिए ,वोल्टास ले लीजिए ,बहुत सारी कंपनियां है ऐसे करके समझ लीजिए 100 कंपनियां है। यह 100 कंपनियां TATA SONS के अधीन है। अधीन क्यों है – क्योंकि इन सब कंपनियों में इसने अपना कुछ-कुछ हिस्सा लगा रखा है। कुछ-कुछ हिस्से से मतलब यह है कि बड़ा हिस्सा लगा रखा है ,इनको शुरू करने वाला यही है। TATA SONS की इसी भूमिका को CIC वर्ल्ड के साथ में रिकॉग्नाइज किया गया। भारत में लगभग 50 से अधिक कंपनियां है जो कोर इन्वेस्टमेंट कंपनियों है। कोर इन्वेस्टमेंट मतलब यह बहुत सी कंपनियों में निवेश करती है। तो कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी कौन हुई TATA SONS। अब सीआईसी के लिए आरबीआई का एक नियम आड़े आता है। आरबीआई क्या कहता है – कि अगर कोई कंपनी CIC है तो उस कंपनी को लिस्टेड होना पड़ेगा। मतलब TATA SONS अगर CIC है , तो कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी जैसे आज के समय पर आपको कर्जा चाहिए तो हम बैंक को सबसे पहला ऑप्शन मानते है , बैंक से हमें कर्जा मिल जाए ,लोन मिल जाए। ऐसे ही CIC जो होती है ना , इन्होंने इतनी सारे कंपनियों को पैसा दे रखा है जो उनकी खुद की ही है भले ही ,लेकिन पैसा दे रखा है ,एक तरह से बैंक का ही काम कर रखा है। ऐसे सिस्टम को एनबीएफसी (NBFC )में भी रजिस्टर किया जाता है। नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी(NBFC ) छोटी-छोटी भी होती है मतलब ठेले रेडी पटरी वालों को भी लोन देने वाली होती है,लेकिन यह अपर क्लास की नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी है कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी। बैंक नहीं है लेकिन हां इनको बैंक की तरह ब्याज नहीं चाहिए ,खुद की कंपनी है तो कोई ब्याज क्या लेगा। तो अपने पैसे को इन्होंने कंपनी में लगाया कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी बने। RBI ने इसमें बहुत बड़ा पॉइंट डाल दिया – कि अगर आप कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी है तो आपको पब्लिक होना पड़ेगा। पब्लिक होना पड़ेगा मतलब लिस्टेड होना पड़ेगा, आपको IPO लाना पड़ेगा। अब आपके दिमाग में पॉइंट आएगा कि लिस्टेड क्यों होना ,जरूरत ही नहीं है उनकी 26 कंपनियां तो पहले से ही लिस्टेड चल रही है , क्या दिक्कत है। आरबीआई का नियम कहता है कि जो कोर इन्वेस्टमेंट कंपनियां है इनके साथ में कुछ गड़बड़ हो सकती है। वो कैसे – IL एंड FS नाम से भारत में कंपनी हुआ करती थी ,उस कंपनी को भी CIC का दर्जा प्राप्त था ,लेकिन वह लिस्टेड नहीं हुई। तो हमें उसके बारे में पता नहीं चला ,क्या पता नहीं चला – कि इसका फाइनेंशियल हेल्थ क्या है। क्या होता है ना जब भी कोई कंपनी लिस्टेड होने जाती है तो वह अपने सारे ब्याज को सारे कर्ज को चुकाकर फाइनेंशियल हेल्थ को अच्छा रखकर ही लिस्टेड होने जाती है नहीं तो मान लो कल को टाटा संस को कर्ज की जरूरत पड़ी , टाटा संस के पास चार लाख करोड़ का कर्ज है ,4 लाख का कर्ज भी होता है तो नींद नहीं आती 4 लाख करोड़ का कर्ज है टाटा संस के पास। अब यह बात आपको पता चली लेकिन अभी भी सच बात कितनी है वह किसी के सामने नहीं आई। वह कंपनी की तरह एनबीएफसी बनकर बैठी हुई है इसीलिए आरबीआई ने नियम बना रखा है कि जहां से असली कृपा आ रही है वह असली कृपा पब्लिक के सामने खुलकर दिखे लोगों को पता तो चले जो लोग इन 26 कंपनियों में पैसा लगाकर बैठे हैं कि इनके ऊपर तो टाटा संस है और टाटा संस पर प्रभु का आशीर्वाद है। हम तो सोच रहे हैं टाटा संस तो मालामाल ही है लेकिन पता चल रहा है 4 लाख करोड़ का कर्जा है। तो ऐसे में अगर किसी को इनका वित्तीय हालात पता चल गया तो इनके ऊपर से ट्रस्ट हट जाएगा। तो इसलिए आवश्यक है आरबीआई की शर्तों के अनुसार, की जो यह CIC है जो और कंपनियों के होल्डिंग्स बन कर बैठे हुए हैं ,जो कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी बनकर बैठे हुए हैं उनका पब्लिक होना जरूरी है। पब्लिक का मतलब है – कि जनता के सामने जाइए अपना आईपीओ लेकर आइये और आईपीओ लेने जाएंगे आप तो आपको अपनी सारी फाइनेंशियल हेल्थ बतानी पड़ेगी ,कि मेरी फाइनेंशियल हेल्थ कैसी चल रही है। अब सोचो TATA SONS को यह कहना पड़े कि मैं आईपीओ नहीं लाना चाहता आपको पता हो तो टाटा संस की जो वैल्यूएशन लगाई गई है उसके अनुसार अगर यह आईपीओ ले आते तो 55000 करोड़ के लगभग का आईपीओ आता ,ऐसा मानना है बाजार के जानकारों का ,की इतनी बड़ी कंपनी है ये। अब ऐसे में अगर टाटा संस आरबीआई से यह कह रहा हो कि मुझे यह CIC का टैग वापस ले लो , तो डाउट और बढ़ जाता है। क्यों बढ़ जाता है – CIC का टैग आप क्यों वापस करना चाहते हो ? क्योंकि CIC की कंडीशन है कि आपको लिस्टेड होना पड़ेगा। यह लिस्टेड होने से बचना चाहते हैं ,क्यों बचना चाहते हैं – क्योंकि इनके पास कितना पैसा है वह पता चल जाएगा ,कितना कर्जा है वह पता चल जाएगा ,किससे लोन लिया हुआ है वह पता चल जाएगा ,क्योंकि सब सेबी के माध्यम से जाएगा। अभी सेबी के सामने इनकी नीचे की कंपनियां तो जाती है ऊपर वाले नहीं जा रहे। इसलिए इन्होंने आरबीआई के पास निवेदन किया है। क्या निवेदन किया है – हमसे CIC का दर्जा वापस ले लो। आरबीआई के आदेश अनुसार इन्हें सितंबर 2025 तक अपना आईपीओ लाना पड़ेगा। आईपीओ लाना पड़ेगा सितंबर 2025 तक यह डेडलाइन है ,इन्होंने उल्टा आरबीआई से कह दिया CIC का दर्जा ले लो हम IPO नहीं लाना चाहते। जनता को लग रहा है कि देखो यह अपना हिस्सा दुनिया को नहीं देना चाहते , लेकिन सच क्या है – सच यह की खुद CIC से डर रहे हैं कि हमको बहुत सी बातें बतानी पड़ेगी। हम IPO नहीं लाना चाहते तो उसका दूसरा पक्ष भी हो सकता है। दूसरे पक्ष में यह कह सकते हो कि नहीं हमें जरूरत ही नहीं जनता के पैसे की ,हम खुद ही खूब सक्षम है। लेकिन कर्जे की न्यूज़ अगर मार्केट में है तो इसका मतलब यह बड़ी बात है ऐसे में आरबीआई के पास यह फाइल गई हुई है ,तो जिसने इन पर आरोप लगाया है आरबीआई पर और TATA SONS पर। वह क्या है – जो VENU SRINIVASAN है ,जो की TVS का चेयरमैन है ,वह टाटा संस में भी बैठा है और वह आरबीआई में भी बैठा है। टाटा संस ने क्या मांग की है कि कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी का दर्जा मुझसे वापस ले लो। किसको आवेदन किया है आरबीआई को ,आवेदन करता भी VENU SRINIVASAN और इधर आवेदन को परमिशन देने वाला भी VENU SRINIVASAN। ऐसे में इंटरेस्ट कनफ्लिक्ट है और आरबीआई इनसे CIC का दर्जा वापस लेकर इनको आईपीओ से फ्री कर देती है तो यह देश का नुकसान है टेक्निकल आना चाहिए था।
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