रिसेंटली एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया जा रहा है कि दिल्ली के अंदर पिछले 10 वर्षों में जो सब्सिडी बिल है ,यह 600% से भी ज्यादा बढ़ गया है। मतलब आपको पता ही है अभी दिल्ली में चुनाव आने वाले है और देखिए हम यहां पर सिर्फ यह नहीं कह रहे है – कि अभी जो आम आदमी पार्टी रूल कर रही है ,सिर्फ वही सब्सिडी दे रही है। अभी रिसेंटली आपको याद होगा महाराष्ट्र में बीजेपी की जो सरकार थी ,उन्होंने लाडली बहना योजना आपको पता है एक बहुत बड़ा सब्सिडी स्कीम महिलाओं के लिए निकाला और देश के कई राज्यों में चाहे कर्नाटक हो , हिमाचल प्रदेश हो , कई जगह आपको इस तरह के free bills और सब्सिडी ,मतलब इसमें भी क्या है बहुत ज्यादा प्रॉब्लम है – कि आखिरकार सरकार सब्सिडी देना चाह रही है या फिर free bill देना चाह रही है कुछ समझ नहीं आ रहा है। तो कि दिल्ली में आखिरकार चल क्या रहा है? और साथ ही साथ RBI की जो रिपोर्ट है वह सब्सिडीज और free bills को लेकर क्या कहती है?
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एक्जेक्टली हुआ क्या है?
देखिये बताया जा रहा है – ki पिछले 10 वर्षों में दिल्ली के अंदर जो सब्सिडीज दिया जा रहा है उसका टोटल बिल अगर आप देखोगे वह 600% से भी ज्यादा क्रॉस कर गया है और यहां पर आपको पता है 5 फरवरी को दिल्ली असेंबली का चुनाव होना है और इसमें कई सारे जो पॉलीटिकल पार्टीज है वह और ज्यादा free bills का वादा कर रही है – की हम आपको यह देंगे अगर हम चुनकर आते हैं ,तो हम आपको और ज्यादा फ्री में चीजे देंगे। जिसकी वजह से अगर आप देखोगे दिल्ली का जो फाइनेंस है वह काफी आपको बिगड़े हालात में देखने को मिलेगा। यहां पर जो सब्सिडी एक्जेक्टली यह 607% बढ़ गया है ,2014 -15 में एक्चुअली आपको याद होगा 1 साल तक लगभग प्रेसिडेंट रूल था क्योंकि जब 2014 में चुनाव हुआ था उसके पहले ,तो यहां पर जो आम आदमी पार्टी और जो कांग्रेस पार्टी उन्होंने साथ मिलकर कुछ एक प्रकार से सरकार बनाने की कोशिश की लेकिन वह विफल हो गया और उसके बाद प्रेसिडेंट रूल लगा हुआ था ,फिर 2015 में आम आदमी पार्टी जो है दोबारा पूर्ण बहुमत से भारी मतों से जीतकर आती है ।
तो 2014-15 में अगर आप देखिए तो दिल्ली के अंदर जो सब्सिडी का बिल हुआ करता था ,वह था 1554 करोड रुपए और 2024-25 अभी करंट में अगर आप देखोगे तो यह बढ़कर हो गया है लगभग लगभग 11000 करोड रुपए ,तो आप समझ रहे हो 600% से ज्यादा की वृद्धि आपको देखने को मिलेगी और यही कारण है आपने देखा होगा रिसेंटली कुछ खबरें भी आई थी – की पहली बार दिल्ली का जो रेवेन्यू है वह डिफिसिट में जाने वाला है। मतलब एक्चुअली क्या है ,दिल्ली में आपको पता है बड़ी पापुलेशन है ,काफी सारा पैसा आता है और यहां पर अक्सर आज तक यही होता है कि दिल्ली के अंदर रिवेन्यू सरप्लस हुआ है। लेकिन पहली बार ऐसा होगा कि डिफिसिट में जाएगा , डिफिसिट का मतलब यह लगभग आप समझिए 1500 करोड़ के आसपास रिवेन्यू डिफिसिट बताया जा रहा है इस करंट फिजिकल ईयर में क्योंकि लगातार सब्सिडी का bill बढ़ता गया है।
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27 SUBSIDY SCHEMES
तो आप देखोगे दिल्ली गवर्नमेंट के अंदर लगभग 9 डिपार्टमेंट में 27 schemes ऐसी चल रही है ,जहां पर सब्सिडीज दिया जा रहा है। जिसमें जो सबसे प्रमुख सब्सिडी वाली चीजे है जैसे free water ,free electricity ,bus travel for women वो आपको देखने को मिलेगा। 2015 में जब आम आदमी पार्टी पावर में आई थी ,तो यहां पर उन्होंने अनाउंस किया था कि 20000 लीटर जो वाटर है वह फ्री ऑफ कॉस्ट दिया जाएगा हर महीने और 200 यूनिट्स का फ्री पावर दिया जाएगा। तो यहां पर अगर हम स्पेसिफिकली इलेक्ट्रिसिटी की बात करे ,पावर सब्सिडी की बात करे तो 2014-15 में जो सब्सिडी का बिल था ,वह था 291 करोड़ रूपीस ,जो कि अगर आप देखोगे 1 साल के अंदर अंदर 2015-16 में यह बढ़कर हो गया 1400 करोड रुपए के आसपास। मतलब लगभग 400% का increase आया और लगातार यह जो सब्सिडी है वह बढ़ता गया है और आज की डेट में हालात यह है कि 2024 25 में सिर्फ पावर इलेक्ट्रिसिटी का जो सब्सिडी है वह 3600 करोड़ रूपीस पहुंच गया है। मतलब कहां 291 करोड रुपए था और आज के डेट में 3600 करोड़ हो गया लगभग आप कह सकते हैं 1100% का jump आया है सिर्फ इलेक्ट्रिसिटी के सब्सिडी में। फिर इसके अलावा बाकी के सब्सिडीज की बात करें ,जैसे water free water हो गया ,तो दिल्ली जल बोर्ड को यहां पर जो है एक प्रकार से सब्सिडीज प्रोवाइड करनी पड़ती है। तो आप देख सकते हो 2014-15 में यहां पर जो सब्सिडीज था जो कंस्यूमर को दिया जाता था वह था सिर्फ 20 करोड रुपए और 10 साल के अंदर अंदर यह 2300% बढ़ गया और आज के डेट में 500 करोड़ को भी एक क्रॉस कर गया है और आपको याद होगा 2020 का जब इलेक्शन आया था दिल्ली में ,तो वहां पर भी सरकार ने अनाउंस किया था कि हम free bus travel देंगे महिलाओं के लिए और इसकी वजह से भी यहां पर सब्सिडी का बिल बड़ा है ,कितना बड़ा आप देख सकते हैं की 70 करोड़ से बढ़कर 240 करोड रुपए हो गया है। तो देखिए सब्सिडी क्या होता है? एक बार जब आप इंट्रोड्यूस कर देते हो तो उसको हटाना बहुत मुश्किल होता है और एक प्रकार से competition बनता जा रहा है और आप देख सकते हैं यहां पर इस समय दिल्ली सरकार 6 schemes एजुकेशन डिपार्टमेंट में सब्सिडीज दे रही है ,एक सोशल वेलफेयर के अंदर दे रही है ,6 schemes लगभग ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट है आपको देखने को मिलेगा ,पावर डिपार्टमेंट में 4 schemes एनवायरमेंट डिपार्मेंट बहुत सारी चीजों में आपको देखने को मिल रहा है और यह जो जैसा हमने आपको बताया कि पॉलीटिकल पार्टीज में competition सा बन गया है – कि कौन सबसे ज्यादा यहां पर फ्री की चीज प्रोवाइड कर रहा है। अभी आपने देखा होगा अभी जो इस बार इलेक्शन होने वाला इसमें एक और जो चर्चा काफी हो रही है कि महिलाओं को पैसा दिया जाए और यहां पर आम आदमी पार्टी ने अनाउंस किया है कि वह 2100 रुपीस देंगे हर महीने ,कांग्रेस कह रही है कि हम 2500 रुपीस देंगे ,बीजेपी भी कह रही है कि लगभग हम ₹2200 के आसपास देंगे। तो एक प्रकार से आप समझ लो और इसके अलावा आपको याद होगा अभी टेंपल्स के लिए ,गुरुद्वारा के लिए जो पुजारी(priest ) है वहां पर उनको भी यहां पर एक प्रकार से पैसे दिए जाएंगे और कांग्रेस – बीजेपी ने भी कहा है कि जब हम पावर में आएंगे तो जो फ्री पावर ,फ्री वाटर वाला जो सब्सिडी हम उसको हटाएंगे नहीं ,वह भी एक प्रकार से कंटिन्यू रहेगा।
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SUBSIDIES VS FREEBIES
तो लगातार यह काफी बड़ा क्वेश्चन बन गया है कि आखिरकार यह कब तक चल पाएगा क्योंकि आपको समझना है कि अगर सरकार मान लो अपना पैसा डाइवर्ट कर रही है फ्री के चीजों में ,तो कहीं ना कहीं जो डेवलपमेंट है बहुत सारी चीजे ,लोग सवाल उठा रहे हैं ,सोशल मीडिया पर जाइए कई चीजे आपको देखने को मिलेगी – कि यहां पर आखिरकार सड़कों का क्या होगा? ,बाकी चीजों का क्या होगा? और देखिए जब हम बात करते हैं ना सब्सिडीज और free bills की तो दोनों में आपको बहुत ही आपको thin line का डिफरेंस देखने को मिलेगा। समझ में नहीं आता है की आख़िरकार सरकार जो है कुछ गुड्स के ऊपर ,सर्विसेज ऊपर और देखिये हम ये नहीं कह रहे है – कि यहां पर सब्सिडी देना कोई गलत है। हां सब्सिडीज देखकर अगर कुछ गुड्स को ,सर्विसेज को जो बहुत इंपॉर्टेंट है पब्लिक के लिए ,अगर उसको अफॉर्डेबल बनाया जाता है तो उसमे कोई बुराई नहीं है ,लेकिन जैसा की हमने बताया की आजकल सब्सिडीज जो है वो free bills में convert होता जा रहा है और जिस प्रकार से पॉलिटिकल पार्टीज के बिच में competition बढ़ गया है इसकी वजह से देश को काफी ज्यादा चिंता है। अभी क्या हुआ था? अभी पिछले साल मतलब ,रीसेंट की बात है यहां पर एक रिसर्च पेपर जो है पब्लिश किया गया था RBI के द्वारा ,जिन्होंने इस चीज को लेकर एड्रेस किया था और यहां पर उन्होंने यह कहा था कि जो स्टेट गवर्नमेंट से उन्होंने एक प्रकार से ,जो काफी सारा एक पैसा है वह सब्सिडीज के फॉर्म में देना स्टार्ट कर दिया ,जो सब्सिडीज है उसको free bills के फॉर्म में देना स्टार्ट कर दिया है। कोई एक प्रेसीज डेफिनेशन नहीं है कि हम free bills इसको कहेंगे और इसको सब्सिडी कहेंगे ,लेकिन यहां पर RBI का यह कहना था कि हमें उसको डिस्टिंग्विश करने की जरूरत है – कि यहां पर अगर जो पैसा सरकार दे रही है पब्लिक को ,क्या वह मेरिट गुड्स के लिए दे रही है कि नहीं? ,क्या वह पब्लिक गुड्स के लिए दे रही है कि नहीं? जैसे कि फॉर एग्जांपल अगर सरकार economic benefits के लिए कोई चीज देती है ,फॉर एग्जांपल public distribution system हो गया ,employment guarantee schemes हो गया ,या फिर education के लिए हो गया ,हेल्थ के लिए हो गया। तो RBI का कहना है कि चलो यह बात ठीक है वह मेरिट बोर्ड से इससे देश का भला होगा ,डेवलपमेंट होगा ,लॉन्ग टर्म में काफी फायदा होगा ,लेकिन वहीं दूसरी तरफ जब आप इलेक्ट्रिसिटी फ्री में देने लगोगे ,वाटर देने लगोगे ,पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन फ्री में देने लगोगे ,जो यूटिलिटी के बिल है जो आते हैं ,आप आगे चलकर कह दोगे कि वह सब आपका waive off हो गया। तो इस तरह की चीजे farm loan waivers यह भी एक बड़ी चिंता है कि यहां पर आजकल वह भी एक trend बन गया है और इसका परिणाम क्या हुआ आप देखिए कहीं ना कहीं किसानों को भी ,फार्मर्स को भी लगता है – कि चलो चार-पांच साल यहां पर जो हमने लोन दिया है मत दो ,जब नइ सरकार आएगी तो खुद ही अनाउंस कर देगी। तो यहां पर जो जेनुइन पर्सन है क्या वह भी अपना कर्ज चुकाएगा की नहीं चुकाएगा? तो यह काफी बड़ा प्रश्न उठता जा रहा है और RBI ने भी अपने रिसर्च पेपर में कहा है कि इसकी वजह से जो क्रेडिट कल्चर है वह काफी ज्यादा हार्म हो रहा है। साथ ही साथ जो प्राइसेस है मार्केट में ,जो मार्केट प्राइस में चीजे बिकती हैं वह डिस्टोर्ट हो रही है ,प्राइवेट इन्वेस्टमेंट इसकी वजह से हार्म हो रहा है। देखो हम आपको बस एक एग्जांपल बता रहे है जैसे कि मान लीजिए अगर हम कहते है – कि इकोनॉमी के अंदर ₹100 हैं अब यहां पर ₹100 इसमें से सरकार भी borrow कर सकती है ,जो प्राइवेट पर्सन है , इन्वेस्टमेंट है वह भी किया जा सकता है ,लेकिन मान लीजिए अगर हम कहते है ,नॉर्मल केस में ₹100 में ₹20 गवर्नमेंट borrow करती और लगभग ₹80 जो पब्लिक है ,प्राइवेट इन्वेस्टमेंट है वह हो सकता था नॉर्मल केस में। लेकिन अब हो क्या रहा है कि सरकार सब्सिडीज दे रही है तो सरकार को ₹20 नहीं borrow करना है ,सरकार को borrow करना है ₹40। तो अब यहां पर प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के लिए कितना बचा सिर्फ ₹60 बछेचे ,तो इसका मतलब क्या हुआ – प्राइवेट इन्वेस्टमेंट हार्म होगा कि नहीं होगा , क्योंकि अगर मान लो मार्केट में कम पैसा है तो इसकी वजह से क्या होता है अल्टीमेटली इंटरेस्ट रेट बढ़ना स्टार्ट हो जाता है ,इंटरेस्ट रेट बढ़ेगा तो क्या आप इन्वेस्टमेंट करना चाहोगे? क्या आप यहां पर फैक्ट्री सेटअप करना चाहोगे? नहीं चाहोगे तो अल्टीमेटली इसकी वजह से हमारा ग्रोथ हार्म होगा। तो यह आपको लिंकेज थोड़ा सा समझने की जरूरत है और यहां पर पेपर में यही चीज बोला गया है that some freebies may benefit the poor अगर वह उसके अंदर leakages कम हो ,टारगेटेड तरीके से किया जाए ,प्रॉपर तरीके से किया जाए ,लेकिन यहां पर जो एडवांटेज है उसको इवेलुएट करना पड़ेगा की उसका fiscal cost क्या है ? उसके अंदर inefficiencies क्या है ? कहि वो मार्केट में जो प्राइसेस है उसको डिसटॉर्ट तो नहीं कर रहा है ? और स्पेशली यहा पर जो हम बात करते है फ्री इलेक्ट्रिसिटी और वाटर की ,इसकी वजह से environmental degradation भी होता है। जब आपको फ्री में चीजे मिलने लगती है तो आप उसका वेस्टेज स्टार्ट कर देते हो , वाटर वेस्ट करना स्टार्ट कर देते हो। तो वाटर टेबल जो है एक प्रकार से deplete होता है। तो अल्टीमेटली एनवायरनमेंट के ऊपर भी असर आता है और एनवायरनमेंट के ऊपर असर आएगा तो उसका परिणाम कौन भोग देंगे ,हम सभी लोग भूग देंगे।
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