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January 17, 2025

क्या चायना और पाकिस्तान का व्यापार रुक जायेगा?

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इन दिनों पाकिस्तान का चीन पर बहुत हद तक निर्भरता है। उन्हीं से हो रहे सामान के आयात पर और अपनी तरफ से भेज रहे निर्यात पर इनका बहुत कुछ टिका है और इसी के चलते पाकिस्तान ने चीन के साथ में चायना इकोनामिक पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर बनाया था ,जिससे आप SeaPak के नाम से जानते है। उसकी कमी क्या थी ? कमी यह थी – कि वह भारत का जो कश्मीर का हिस्सा है जिसका नाम गिलगित-बाल्टिस्तान है ,वहां से होकर गुजरता था। यही कारण था कि भारत वन बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव जो चीन का था उसको ENDORSE नहीं किया ,हम उसका विरोध करते रहे। उम्मीद है कि आप सभी को यह फेक्चुअल डाटा बहुत पहले से पता होगा। भारत का कहना है कि जो हिस्सा हमारा है ,जिस पर पाकिस्तान का कब्जा है ,आप वहां से होकर के क्यों अपना माल भेज रहे हो ? और ऐसे में इनका जो पाकिस्तान चीन पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर के रूट के थ्रू ट्रेड होता है ,वह फिलहाल के लिए रुक गया है।

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आज की खबर यही है ,उस ट्रेड रूट पर चलने वाले ट्रकों को रोक दिया गया है। जाम दिखाई पड़ रहा है ,व्यवस्था के लिए फोर्सेस तो है लेकिन भीड़ ने रास्ते रोक दिए हैं। अब आप पूछेंगे एक दिन के लिए रास्ता रुक गया इसमें कौन सी बड़ी बात है। इस भीड़ ने रास्ता क्यों रोका ? हो सकता है कि यह जल्दी ही सुलझ जाए ,यह गिलगित बाल्टिस्तान की वही भीड़ है ,पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर की वही भीड़ है ,इसमें पिछले साल 2023 में यानी आज से साल भर पहले यह कहा था – कि खोल दो बॉर्डर हमें भारत जाना है। अगर तुम हमारी रखवाली नहीं कर सकते ,हमारे लिए काम नहीं कर सकते , तो हम भारत में विलय होना चाहते है। यह वही पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर की भीड़ है जो इस समय इस ट्रेड रूट पर जाकर बैठ गई है ,टेम्परेचर -10 से लेकर -20 तक रात में पहुँच रहा है और यह इस जगह पहुंचकर कह रहे है – की हम आपके सामान को चायना पाकिस्तान के बीच नहीं जाने देंगे।

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खबर बनती है Pak-China trade suspended as protest on KKH against power outages in Hunza continue। यह Hunza वही है , जहाँ पाकिस्तान वाले अपनी चैंपियन ट्रॉफी ले जाना चाह रहे थे ,गिलगित बाल्टिस्तान के अंदर , Hunza के अंदर हो रहे प्रोटेस्ट के चलते और यह खबर फिर बड़ी खबर बनती है ,Demonstrators block a key Pakistan-China trade route over power outages ,कि तुम हमारे लिए बत्ती तक की व्यवस्था तो कर नहीं पा रहे हो ,बिजली काट ले रहे हो ,हम तुम्हारे यहां से सामान नहीं जाने देंगे। दुनिया भर के अखबारों में यह जगह बन जाती है। जो आंकड़े निकल कर आए ,उसमें पाकिस्तान चायना से आयात ज्यादा करता है और निर्यात कम करता है। इंपोर्ट इसके लगभग 54. 73 बिलियन डॉलर के है ,एक्सपोर्ट 24 बिलियन डॉलर के आसपास बताए गए हैं फिर भी यह ट्रेड डिफिसिट में रहता है।

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तो जिन रास्तों से यह जो व्यापार कर रहा है ,वह रास्ता KASHGAR से लेकर GWADAR तक जाने वाला SeaPak है , चीन पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर है। तो चीन पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर में KASHGAR से लेकर GWADAR तक जाने वाला यह रास्ता पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर से होकर गुजरता है और पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर में गिलगित बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है। पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर के हिस्से से यह माल पाकिस्तान में एंट्री करता है ,क्योंकि यह भारत के हिस्से से गुजर रहा है ,जिस पर पाकिस्तान का कब्जा है ,इसी वजह से भारत बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव में शामिल नहीं हुआ था और इसी जगह जो गिरगिट-बाल्टिस्तान का हिस्सा है।

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इसी क्षेत्र में इन दीनों प्रोटेस्ट चल रहा है। साल भर पहले भी जब प्रोटेस्ट चला था तब उन्होंने कहा था – कि पाकिस्तान हमारी मांगे पूरी नहीं कर पा रहा है ,हमारे लिए बॉर्डर खोल दो हम जाकर भारत में मिलना चाहते हैं ,HUNZA में रहने वाले जो हुंजा के लोग हैं ,उन्होंने आलियाबाद नामक स्थान पर प्रोटेस्ट करके रास्ते रोक दिए हैं। तो KASHGAR -चायना से होकर के माल जो घुसता है ,HUNZA से एंट्री मारता है और यहीं पर इन लोगों ने बॉर्डर पर ब्लॉक्ड कर दिया है। इस तरह से लोग सैकड़ो की संख्या में यहां पर सड़कों पर बैठे हैं और उनके द्वारा कहा जा रहा है कि जो हमारे नेता प्रोटेस्ट करने पर गिरफ्तार कर लिए गए हैं ,जिनको आपने सालों की सजा दे दी है ,उन्हें रिहा करिए और नहीं तो हम आपके ट्रेड को होने नहीं देंगे। हमने बिजली के लिए संघर्ष किया ,आपने हमारी बिजली काट रखी है। हमारे लिए महंगाई का पहाड़ बना रखा है ,हमारी वजह से आप व्यापार कर रहे हो और हमारे साथ ही इतनी दिक्कतें खड़ी कर रहे हो। जिस नेता की बात कर रहे हैं उसका नाम मोहम्मद खालिद खुर्शीद है जो कि कभी इमरान खान का सपोर्टर माना जाता था ,जो की प्रोटेस्ट करता है उसके साथ रहा करता था ,उसको 34 साल की सजा के लिए जेल डाल दिया था , इसके चलते यहां पर यह लोग इस प्रकार से प्रोटेस्ट कर रहे हैं। इन सब प्रोटेस्ट का यही कहना है हमारे यहां प्रोटेस्ट करने वालों को आप जेल में डालते हो पहले तो उन्हें बाहर निकालो और दूसरा हमारे यहां पर बिजली जैसी मूलभूत सुविधा में इतनी कटौती है पहले उसे यहां पर पहुंचाओ। तो मूलभूत समस्याओं के लिए जो यहां पर प्रोटेस्ट हो रहा है यह भारत में रह रहे उन तमाम लोगों के लिए अपने आप में नजारा है ,या भारत कहता है कि हमारे यहां पर हर गांव में ,गांव के कोने में बिजली है ,वहां पर दूसरी और पाकिस्तान के लिए इतना महत्वपूर्ण पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर इसको वह इसलिए भी रोक कर रखा हुआ है कि भारत इसे न जाने कब कब्जा कर ले वहां पर वह 24 घंटे की बिजली तक नहीं दे पा रहा है।

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ऐसे में इनका प्रोटेस्ट बढ़ रहा है ,नेगोशिएशंस के सारे के सारे जो प्रयास है वह पावर क्राइसिस के चलते फेल हो रहे हैं। अब सवाल यह है कि पावर का क्राइसिस तो है उनकी मांग इतनी हावी क्यों है ? इन्हें यह पता है – कि हमारे यहां से रास्ता गुजरता है इसलिए या फिर कोई और वजह है ? वजह यह है – कि यह पाकिस्तान में हिमालय वाला क्षेत्र है ,हिमालय के अंदर ऊंचाइयों से आ रही जो नदियां हैं ,ऊंचाइयों से बढ़िया बिजली पैदा हो रही है ,पहाड़ पर पानी से बिजली पैदा हो रही है और इस क्षेत्र में पैदा हो रही बिजली को पाकिस्तान अपने काम में ले रहा है इन्हें जरूरत भर की बिजली भी नहीं दे रहा है। बीचारों को प्रोटेस्ट करने के लिए भी सनलाइट से पैदा की हुई जो लाइट है उससे अपने प्रोटेस्ट करने पड़ रहे हैं। इसी के चलते इन्होंने रास्ते रोक दिए हैं और रास्ते रोक करके प्रोटेस्ट में महिला और बच्चों को भी शामिल कर लिया है। कुल मिलाकर के अपने यहां पर 20-20 घंटे की बिजली कटौती से परेशान जनता ,एक प्रकार से प्रोटेस्ट में यही कह रही है – कि आपका चीन पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर यहां से गुजरता है इसका महत्व समझ लो नहीं तो हम इसे रोक देंगे।

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अब थोड़ा सा गिलगित-बाल्टिस्तान का इतिहास जान लेते हैं। देखिए JAMMU & KASHMIR ,LADAKH और इसके उत्तर में GILGIT-BALTISTAN ,यह AKSAI CHIN पर चीन का कब्जा 1962 से और पाकिस्तान का 1947 से इस पर कब्जा है। गिलगित बाल्टिस्तान आप देख रहे हैं यह असल में वह क्षेत्र है ,जिस क्षेत्र पर पहले अंग्रेजों ने कब्जा किया हुआ था ,1947 ने में अंग्रेजों ने इसे हरी सिंह को सौपा और हरि सिंह ने भारत के विलय पत्र के साथ गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत के साथ मिलाने की बात कर ली ,लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान का जो एक स्थानीय कमांडर हुआ करता था कर्नल मिर्जा हसन खान उसने जम्मू कश्मीर के भारत में विलय को स्वीकार नहीं किया और वहां जाकर अंग्रेज सैन्य अधिकारियों और अपने विश्वास पात्रों के साथ मिलकर गिलगित बाल्टिस्तान के गवर्नर घनसार सिंह था उसको जेल में डालकर पाकिस्तान से जा मिला। मतलब कि यहां के सेना के कमांडर ने पाकिस्तान से मुलाकात कर ली ,जबकि टेक्निकली यहां का जो गवर्नर था वह भारतीय ही था या फिर यह कहिए कि वह घनसार सिंह जो था वह हरि सिंह के कहने पर ही काम कर रहा था। लेकिन घनसार सिंह को जेल में डालकर उस सेना के दम पर उस क्षेत्र पर कब्जा करवा लिया ,या उल्टा कहिए पाकिस्तान के प्रयासों के चलते ,या पाकिस्तान ने जो यहां पर कबीले भेजे , अपनी सेना भेजी ,यहां की सेना को अपने साथ मिलाकर उस क्षेत्र को अपने हिस्से में रख लिया। तो ऐसे गिलगित बाल्टिस्तान पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर की तरह से पहुंच गया क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच में संघर्ष में संयुक्त राष्ट्र के इंटरफेरैंस के बाद जिसके पास जो था वह वहीं रह गया। जबकि विलय पत्र पर हुए हस्ताक्षर के अनुसार यह पूरा क्षेत्र भारत का होना चाहिए था लेकिन पाकिस्तान ने इसे इस तरह से अपने पास रोक लिया। बीच में पाकिस्तानियों ने इसका नाम भी बदला 1970 से लेकर 2007 तक इसका नाम नार्दन एरिया रहा। लेकिन फिर इसका नाम बदलकर फिर से गिलगित बाल्टिस्तान किया गया।

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नार्दन एरिया 2009 में गिलगित बाल्टिस्तान पुन: बनकर आया और इस क्षेत्र के अंदर लोग जो हैं वह लगातार यह डिमांड करते रहे कि हमें स्वायत्तता दी जाए ,हमें भी सेल्फ गवर्नेंस दिया जाए , हम अपने स्तर पर यहां पर राज रखना चाहते हैं ,हम पाकिस्तान के अंदर नहीं रहना चाहते। ऐसा क्या था इनके पास जिसके चलते इनमें इतना घमंड था ? वजह थी यहां पर पाए जाने वाले मिनरल्स ,जिसमें gemstones ,metals और industrial minerals बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। दूसरा इसकी लोकेशन जो कि चीन के साथ मैच कर रही है। तीसरा सबसे इंपोर्टेंट चीज़ है ,वह है हाइड्रो पावर यानी कि बिजली। इनके चलते गिलगित पाकिस्तान लगातार इन्वेस्टमेंट को अट्रैक्ट कर रहा है यानी कि यहां पर माइंस मिनरल्स निकालने के लिए बड़ी संख्या में इन्वेस्टर आते हैं और चीन से ट्रेड रूट होने के साथ-साथ बिजली इंडस के कारण यहां पर पैदा होती है ,सिंधु के कारण पैदा होती है।

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सिंधु नदी अगर यहां उपर देखिएगा तो गिलगित-बाल्टिस्तान में इंडस के साथ शोक नदी मिलती है और इंडस के साथ में जो सहायक नदियां हैं उसमें गिलगित और हुंजा जैसी रिवर्स इसमें सिंधु के अंदर मिलती है। यह जो हुंजा और गिलगित रिवर्स है ,शोक रिवर्स है यह जब इसके अंदर मिलती है तो मिलने पर नदियों का जहां मैच पॉइंट है वहां पर बिजली उत्पादन के लिए DAM बनाए जाते हैं। जिनमें से GILGIT KIU ,BUNJI ,DIAMER BASHA ,TANGIR HYDROPOWER PROJECT ,HARPO POWER PLANT फेमस है। जहां से तमाम प्रकार की मेगावाट की बिजली पैदा की जा सकती है ,ऐसे में बिजली तो पैदा कर रहे हैं यह लोग लेकिन इन्हीं क्षेत्र के लोगों को नहीं दे रहे हैं ,इसी कारण से यह लोग सड़कों पर बैठे हैं कि क्षेत्र हमारा ,बिजली हमारे क्षेत्र से पैदा कर रहे हो ,हमारे यहां से निकली बिजली को खुद के यहां यूज कर रहे हो और हमें 20-20 घंटे तक बिजली काट रहे हो। ऐसे में हम क्यों आपकी बात माने और हम क्यों आपके साथ रहे ,बस इसी के चलते इनकी सरकार की उन्होंने मुसीबत खड़ी कर रखी है। यह वही लोग हैं जिन्होंने पहले भी इस तरह के प्रोटेस्ट किए हैं ,हालांकि सरकार इनको सेटल करने का तमाम प्रयास करती है ,उनका कहना है कि आने वाले समय में इस गिलगित रिवर के साथ-साथ जो और क्षेत्र हैं जैसे की जगलोट वाला AREA है ,वहां से बोले हम आपके पास में बिजली ला देंगे लेकिन लोग इसको मानने को तैयार नहीं है ,बोले आप लोग केवल हमें फेक न्यूज़ फैलाते हैं और हमारे साथ में गलतफहमियां फैला कर कि हमें बिजली देंगे आप लोगों ने बेवकूफ बना रखा है।

पाकिस्तान के साथ जो हो रहा है वह जग जाहिर है लेकिन चीन का यह जो पाकिस्तान में इन्वेस्टमेंट है यह कितना भारी पड़ रहा है ,इसे आप ऐसे समझिए , एक तरफ गिलगित बाल्टिस्तान से ट्रेड रोक रहा है ,हालांकि यह कुछ दिन में रिजॉल्व हो जाएगा ,फिर से शुरू हो जाएगा लेकिन लोंग रन में अगर देखा जाए तो यहां पर एक तरह से रिबेलीयन लोग पैदा हो चुके हैं ,वहीं दूसरी ओर जहां ग्वादर पोर्ट तक यह जा रहा है वह क्षेत्र बलूचिस्तान का है ,बलूचिस्तान ऑलरेडी रिबेलीयन हो रखा है ,वह चाहता ही नहीं है कि पाकिस्तान के साथ रहे। तो एक तरफ दक्षिण में बलूचिस्तान उत्तर की तरफ गिलगित बाल्टिस्तान और मध्य में जो इनका सीमांत क्षेत्र है वहां पर Tehrik-e Taliban Pakistan (TTP) वह उनके साथ पूरी तरह से संघर्ष में है। बलूचिस्तान वाले और TTP वाले चायनीज लोगों को पकड़ पकड़ कर मार रहे हैं। गिलगित बाल्टिस्तान वाले यहाँ से ट्रेड नहीं होने दे रहे है ,तो चीन ने पाकिस्तान में जो इन्वेस्टमेंट किया लोंग रन में इसके लिए बहुत नुकसानदायक सिद्ध होगा ,ऐसा चीनियों को भी लग ही रहा होगा। चायना वाले लोग इनके साथ डील करके पछता रहे होंगे। आने वाले समय में देखते हैं यह रूट किस तरफ बढ़ता है लेकिन फिलहाल की स्थितियां चीन के फेवर में तो नहीं है। पाकिस्तान में इसका खूब विरोध हो रहा है ,ऐसे में यहां के लोगों का ,गिलगित-बाल्टिस्तान का यह कहना है – कि हम लोग अगर आप लोगों ने यही हालत रही तो हम भारत में जाकर मिल जाएंगे।

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