Saturday को निर्मला सीतारमण जी हमारी फाइनेंस मिनिस्टर बजट पेश करेंगी और इस बार कहीं ना कहीं मिडिल क्लास को लेकर काफी चर्चा हो रही है – कि जिस प्रकार से इस समय प्रॉब्लम से गुजर रहा है भारत का मिडिल क्लास ,उसको क्या सरकार रिलीफ देगी कि नहीं ? क्या निर्मला सीतारमण जी फाइनेंस मिनिस्टर कोई ऐसा उपाय लाएँगी कि नहीं ? या फिर कोई ऐसा टैक्स में कटौती करेंगी की नहीं ? लेकिन बजट अनाउंस करने के पहले मिडिल क्लास को इस समय प्रॉब्लम क्या हो रही है ,कौन से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ? बजट के दौरान जब आप उसके बारे में अनाउंसमेंट सुनोगे तो आपको और अच्छे से चीजे समझ में आएंगी।
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WHAT’S HAPPENED
5 साल पहले अगर आपको याद होगा 2019 में 20th ऑफ़ सेप्टेंबर गोवा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया था फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण जी के द्वारा और एक बहुत ही हिस्टोरिक स्टेप के आधार पर उन्होंने कहा कि – हम ग्रोथ और इन्वेस्टमेंट को प्रमोट करना चाहते हैं और उसके लिए सॉल्यूशन क्या निकाला गया – की भारत में जो कम्पनीज है ,जो कॉर्पोरेट टैक्स लगता है उनके ऊपर ,उसको एकदम निचे कर दिया जाये। भारत दुनिया में कॉम्पिटेटिव बन सके और भारत में ज्यादा से ज्यादा इनवेस्टमेंट हो ,इससे भारत की GDP बढ़ सके और इसके लिए क्या किया गया – कि जो डॉमेस्टिक कंपनी है उनके लिए टैक्स घटाकर 22% कर दिया गया और यह बोला गया कि जो नए डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लगाएगा ,प्लांट सेटअप करेगा तो उसके लिए टैक्स सिर्फ 15% होगा और इसकी वजह से टैक्स में कटौती की जा रही है कॉरपोरेट टैक्स में। सरकार को कुछ नुकसान भी होगा लगभग 1.45 लाख करोड़ का ,लेकिन फिर भी सरकार का मानना था – कि इससे जब ग्रोथ होगी ,तो अल्टीमेटली भारत सरकार के पास टैक्स के फॉर्म में पैसा आएगा और ये इतना बड़ा दिन था कि उस समय पिछले 10 साल का सबसे बेस्ट परफॉर्मेंस रहा था निफ्टी और सेंसेक्स का ,5% से ज्यादा यह बड़े थे। सरकार ने कॉरपोरेट सेक्टर को तो बूस्ट दे दिया ,उनका टैक्स कम कर दिया ,अब उससे कितना इन्वेस्टमेंट आया की नहीं आया वह अपने आप में डिबेटेबल मुद्दा है। प्रॉब्लम क्या हुआ है कि इंडिविजुअल्स के ऊपर जो टैक्स लगता है ,मिडिल क्लास के ऊपर , एक सैलेरी पर्सन के ऊपर टैक्स लगता है वह कम नहीं हो पाया है। वह एक्चुअल में इंक्रीज होता हुआ आपको देखने को मिलेगा ,लेकिन 2019 में एक्चुअल इकोनामी जिस स्तर पर थी ,कहीं वही सिचुएशन आपको इस समय भी देखने को मिल रही है। इस समय GDP ग्रोथ एकदम काफी नीचे आ गया है ,कंजप्शन ,इन्वेस्टमेंट पीछे छुटते जा रहे हैं।
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जो क्वार्टर 2 का GDP का आंकड़ा आया था। यह 5.4% पर आ गया ,किसी ने उम्मीद नहीं किया था ,सबने सोचा था कम से कम 6% तो रहेगा ही रहेगा लेकिन एकदम नीचे आकर 5.4% हो गया है। और इसमें जो प्राइवेट कंजप्शन है वह भी आपका 7.4% से गिरकर 6% हो गया ,जो इन्वेस्टमेंट है वह आपका 7.5% से गिरकर 5.4% हो गया। GDP के अंदर इसका 60% वेटेज यह अकेले प्राइवेट कंजप्शन का होता है ,मतलब हम और आप जितने भी लोग यहां पर सामान खरीदते है और कंज्यूम करते हैं जिनको प्राइवेट इन्वेस्टमेंट ,तो GDP का 60% हिस्सा प्राइवेट कंजप्शन का है और प्राइवेट कंजप्शन ज्यादातर कहां से आता है मिडिल क्लास से आता है। कई कमेंटेटर का यही कहना है – कि सरकार को मिडिल क्लास के ऊपर फोकस करना चाहिए फर्स्ट फरवरी वाले बजट में। कंज्यूमर इस समय बहुत सारे प्रॉब्लम से गुजर रहा है ,एक तो Fiscal प्रॉब्लम भी है ,वेजेस नहीं बढ़े है ,दूसरी तरफ जो मॉनेटरी प्रॉब्लम है मतलब कि जो इंटरेस्ट रेट वगैरा है ,वह भी कम नहीं हो रहा है। मतलब सरकार टैक्स लगा रही है एक तरफ ,दूसरी तरफ इंटरेस्ट रेट भी बड़ा हुआ है।
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BIGGEST PROBLEM
तो सबसे बड़ा प्रॉब्लम है ,सैलेरी पर्सन का जो डिस्पोजेबल इनकम बढ़ना चाहिए इन्फ्लेशन के साथ-साथ ,वह नहीं बढ़ पाया है। मतलब जो आपके पास पैसा आता है ,मान लीजिए आप महीने में 50000 कमा रहे है तो उसमे से आप कुछ टैक्स दे देते हो ,मान लो आपने 15000 टैक्स दे दिया तो डिस्पोजेबल इनकम 35000 है ,पिछले 5 साल में आपका ये डिस्पोजेबल इनकम है 35000 रूपये ये तो बढ़ना चाहिए ,क्योकि इन्फ्लेशन भी तो होता जा रहा है। लेकिन पता चल रहा है – कि डिस्पोजेबल इनकम आपकी नहीं बढ़ रही है और दूसरा प्रहार क्या हो गया इंटरेस्ट रेट। पिछले दो साल से RBI ने जो रेपो रेट है ,वह 6.5% पर कर रखा है। जिसकी वजह से जो भी आप लोन वगैरा लेते हो ,वह भी आपका काफी ज्यादा है और इसका नतीजा क्या हुआ ? लोगों की इनकम नहीं बढ़ रही थी ,लोगों का जो इंटरेस्ट रेट है ,जो आप लोन वगैरा ले रखे हो तो उसके ऊपर इंटरेस्ट रेट बढ़ा था। इसकी वजह से जो अनसिक्योर्ड लोन है ,उनकी संख्या बढ़ने लग गयी। अनसिक्योर्ड मतलब जब लोग पर्सनल लोन लेते हैं ,जिस पर आपने कोई चीज गिरवी नहीं रखी है ,मान लो आप कार लोन ले रहे हो ,तो कल के डेट में अगर आप EMI नहीं pay करोगे ,तो बैंक वाले आएंगे गाड़ी उठा कर ले जाएंगे। अगर आप होम लोन ले रहे हो ,तो अल्टीमेटली घर तो ऐसेट है ,मान लो आप लोन नहीं pay कर पा रहे हो ,तो बैंक घर जप्त कर लेगी। लेकिन unsecured लोन में क्या है – कि बैंक ने पैसा दे दिया ,आप पैसा नहीं चुका पा रहे हो ,तो बैंक वह पैसा रिकवर नहीं कर पाती है और अनसिक्योर्ड लोन पर्सनल लोन जो है और साथ ही साथ जो क्रेडिट कार्ड borrowing होती है ,पिछले 3 साल में 22% ,25% ऐसे बढ़ रहा था। जिसकी वजह से RBI को कुछ रिस्ट्रिक्शंस लगाना पड़ गया ,RBI को यह डेंजर लग रहा था और इसी की वजह से आज के डेट में यह 11% तक आ गया है जो अनसिक्योर्ड लोन है। जो bad loans ,NPA (Non Performing Assets) तो उसमें सबसे ज्यादा हिस्सा 52% आज के डेट में यह अनसिक्योर्ड रिटेल लोन का ही आपको देखने को मिलेगा।
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5 MAIN FACTORS LEADING TO THE PRESSURE ON MIDDLE-CLASS INDIVIDUALS AND HOUSEHOLDS
1. RISING PERSONAL INCOME TAX
2019-20 में सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में भारी गिरावट कर दी ,भारत सरकार को रेवेन्यू एक ज्यादातर डायरेक्ट टैक्स से आता है और दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स से आता है मतलब GST वगैरह। अब डायरेक्ट टैक्स में भी दो चीजे हैं :
- आपका पर्सनल इनकम टैक्स जो एक इंडिविजुअल सैलरी क्लास जो कुछ कमाता है तो वह उस पर टैक्स pay करता है।
- कॉरपोरेट टैक्स
यह दो चीजों से सरकार को डायरेक्ट टैक्स के माध्यम से पैसा आता है।
सरकार को जो भी डायरेक्ट टैक्स आ रहा है उसमें कॉरपोरेट टैक्स का कितना परसेंटेज है और पर्सनल इनकम टैक्स का कितना परसेंटेज है। तो इससे आपको समझ में आएगा कि जब सरकार ने 2019 में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की ,उसके पहले देखोगे तो कॉरपोरेट टैक्स का हिस्सा ज्यादा हुआ करता था और पर्सनल इनकम टैक्स का हिस्सा कम हुआ करता था। लेकिन 2019 में जब कटौती की गयी कॉरपोरेट टैक्स में उसके बाद से चीजे टर्न हो गयी और ये पता चलता है ,पर्सनल इनकम टैक्स का हिस्सा बढ़ गया है और कॉरपोरेट टैक्स का हिस्सा कम हो गया है। 2018-19 में मतलब की कॉरपोरेट टैक्स का कट करने से पहले ,58% हिस्सा कॉरपोरेट टैक्स का था। भारत सरकार का जो रेवेन्यू आता था डायरेक्ट टैक्स में और 46.5% जो है वह पर्सनल इनकम टैक्स का था। लेकिन 2020 21 में यह 50% को क्रॉस कर गया पर्सनल इनकम टैक्स और आज की डेट में हालात यह है 2023-24 में – की 53% टैक्स यह पर्सनल इनकम टैक्स से आता है ,डायरेक्ट टैक्स में 24 वर्ष। मतलब अभी तक यही रिकॉर्ड होता था कि कॉरपोरेट टैक्स से ज्यादा पैसा सरकार के पास आते थे ,पर्सनल इनकम टैक्स से कम आते थे ,अब यह उल्टा हो गया है। यही एक बड़ा मुद्दा है जिसकी वजह से एक्सपट्र्स का ऐसा मानना है – कि इस बार के बजट में डायरेक्ट टैक्स में बड़ी कटौती की जाएगी ताकि मिडिल क्लास को रिलीफ दिया जा सके।
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2. INDIA INC’S MARGIN EXPANSION
कोविड के रिकवरी के बाद से अगर आप देखोगे 2021-22 के बाद से जो कॉरपोरेट इंडिया है ,हमारे देश के अंदर जो बिज़नेस हैं ,जो बड़े-बड़े बिजनेस करते हैं ,उनका प्रॉफिट एक्चुअली सेल्स ग्रोथ के मुकाबले डबल हुआ है। हमारे देश में कंपनी को फायदा हो रहा है और फायदा कैसे हो सकता है ,जब वह ज्यादा सेल करेंगे ,जब डिमांड ज्यादा होगी ,उनका प्रॉफिट इसलिए बड़ा है कि उन्होंने वेज में बढ़ोतरी नहीं की है। कोई भी कंपनी क्या करती है , करना क्या चाहिए – कि जब किसी कंपनी को फायदा हो रहा है ,तो उस फायदे का कुछ हिस्सा अपने एम्पलाइज को भी देना चाहिए लेकिन वह अपना फायदा जो है एम्पलाइज को नहीं दे रहे हैं। मतलब सैलरी में बढ़ोतरी नहीं हो रही है ,वह एक्सपेंशन नहीं कर रहे हैं ,वह बेसिकली सेल्स जितना ग्रो हो रहा है उससे डबल हिसाब से प्रॉफिट ग्रो हो रहा है। BSE के टॉप 500 कंपनी को लोगे उसमें यह पता चला कि जो सेल्स है ,उसमें बढ़ोतरी हुई है 10% की ,कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट में 10% की बढ़ोतरी हुई है हर साल। प्रॉफिट आफ्टर टैक्स Profit After Tax (PAD) जिसको कहा जाता है वह ग्रो हुआ है 20% के हिसाब से ,मतलब सेल से डबल बढ़ोतरी हो रही है प्रॉफिट की। इनका एक्चुअली जो बिज़नेस है उन्होंने अपना मार्जिन इंक्रीज कर दिया , मार्जिन इंक्रीज मतलब जो goods है , प्रोडक्ट जो वह बना रहे हैं उसके दाम इंक्रीज हुए मतलब इन्फ्लेशन हुआ और अल्टीमेटली जो कंज्यूमर है ,कंज्यूमर कौन है जो नौकरी कर रहा है ,उनके सैलरी बड़ी नहीं है। तो दोनों तरफ से उनको मार पड़ी है।
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3. NO WAGE GROWTH
पिछले तीन -चार वर्षो से अगर आप देखोगे तो हमारे देश में रियल वेज ग्रोथ निगेटिव में रही है। मान लीजिए अगर आपकी सैलरी बड़ी 5% ,वहीं अगर हमारे देश में इंफ्लेशन 7% है ,तो क्या एक्चुअल में आपकी सैलरी बड़ी नहीं एक्चुअल में आपकी सैलरी कम हुई। क्योंकि इंफ्लेशन 7% है आपकी सैलरी सिर्फ 5% बड़ी है मतलब आप तो -2% लॉस में रहे हो। तो कम से कम जितना इन्फ्लेशन है उतना तो आपकी सैलरी बढ़नी चाहिए थी , वह नहीं बढ़ पाई है। 2019 से लेकर 2023 के बीच में यह पिछले 4 वर्षों में जो अक्रॉस 6 सेक्टर्स है हमारे देश में , ENGINEERING ,MANUFACTURING ,PROCESS AND INFRASTRUCTURE (EMPI) वहां पर वेज ग्रुप कितना रहा है 0.8% , IT सेक्टर के अंदर भी कोई बहुत ज्यादा वेज ग्रोथ नहीं हुई जस्ट 4% ,वही बैंकिंग फाइनेंस सर्विसेज इंश्योरेंस में 2. 8% और साथ ही साथ रिटेल सेक्टर में 3.7%। लेकिन इन्फ्लेशन कितना रहा हमारे देश में कम से कम 5% से ऊपर रहा है ,तो रियल वेज ग्रोथ नहीं रही है।
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4.STICKY INFLATION
रिटेल इन्फ्लेशन का आंकड़ा है वह पहले से थोड़ा सा कम हुआ है ,क्योंकि रिटेल इन्फ्लेशन हमारे देश के अंदर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स को कहा जाता है ,वह आपका 6% तक चला गया था , लेकिन वह कम होकर अभी 5.2% पर आया है दिसंबर 2024 में। प्रॉब्लम यह है कि फूड इन्फ्लेशन अभी भी हमारे देश में काफी ज्यादा है ,फूड इन्फ्लेशन 8.39% दिसंबर में ,उसके पहले नवंबर में 9% रहा था। मिडिल क्लास सबसे पहले अपना किस चीज की जरूरत पूरा करेगा ,जो भी उसकी सैलरी आएगी सबसे पहले तो अपना पेट भरेगा। तो फूड इन्फ्लेशन के ऊपर हमें थोड़ा सा ज्यादा फोकस करना चाहिए – कि क्या कहीं फूड इन्फ्लेशन तो ज्यादा नहीं ,क्योंकि अगर उसका फूड इन्फ्लेशन ज्यादा हुआ ,उसको ज्यादा pay करना पड़ा है सब्जी लाने में ,राशन का समान हो गया ,तो वह दूसरी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पाएगा। इस समय मिडिल क्लास ,जो सैलरी क्लास है वह इन्फ्लेशन का सबसे ज्यादा भार उठा रखा है। तो वॉर्रेन बफेट की एक क्वोट भी है ” that Inflation is a cruel tax “। जब इन्फ्लेशन ज्यादा हाई होता है ,रेंट आपको ज्यादा pay करना है ,एजुकेशन पर ,मेडिकल एक्सपेंसेस लेकिन अगर आपकी सैलरी नहीं बढ़ रही है तो डेफिनेटली यह सबसे ज्यादा भार सैलरी क्लास के ऊपर आएगा।
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5. HIGH DEBT AND INTEREST RATES
हमारे देश में जो हाउसहोल्ड हैं ,जो घर हैं ,हम और आप जो रहते हैं ,तो उन्होंने कितना कर्ज लिया तो वह जून 2024 तक यह पहुंच गया है 42.9% ऑफ़ GDP। अगर इसको कंपेयर करोगे दुनिया के बाकी के इमर्जिंग मार्केट इकोनामी से तो वह अभी भी कम है ,क्योंकि दुनिया की इमर्जिंग इकोनॉमिक्स का जो Household Debt to GDP है वह लगभग 50% के आसपास देखने को मिलेगा।
तो भारत का यह एक्चुअली 42% अभी हुआ है लेकिन पहले के मुकाबले यह ज्यादा हुआ है। 2022 से यह इंक्रीज हुआ है ,पहले यह लगभग 38% के आसपास था ,यह अब पहुंच गया 42%। मतलब हमारे देश में जो हाउसहोल्ड हैं वह ज्यादा कर्ज ले रहे हैं और किस तरह से जो अनसिक्योर्ड लोन है उनकी संख्या काफी बढ़ गई है।
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CONCLUSION
पिछले 5 वर्षों में जो कॉरपोरेट इंडिया है ,जो कंपनी है उनको तो lower tax pay करना पड़ा है। production linked incentives scheme बहुत सारे मेजर्स कंपनी के लिए लायक है ,वहीं दूसरी तरफ गरीबों के लिए सरकार ने भी कुछ किया है जैसे फ्री राशन देना हो गया ,सब्सीडीज देना हो गया ,डायरेक्ट कैश ट्रांसफर हो गया। प्रॉब्लम कहां आ रही है , प्राइवेट सैलरीड क्लास ,मिडिल क्लास और इसीलिए उनका कई बार गुस्सा सोशल मीडिया पर कई जगह उबर कर सामने आता है। तो अब देखते हैं अल्टीमेटली यह जो बजट 2025 है क्या उनके लिए कोई रिलीफ की खबर लाता है कि नहीं?
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