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January 17, 2025

आखिर क्या चाहता है अमेरिका भारत से? क्यों बार बार को धोखा दे रहा है?

ऐसा लगता है एक बार फिर से अमेरिका ने भारत को धोखा दिया है। देखिए बातें तो काफी होती रहती हैं ,अमेरिका कहता रहता है – कि भारत उसका निकटतम सहयोगी (closest allies ) है ,चीन को अगर बीट करना है तो भारत को साथ लेकर जाना होगा ,भारत को हम और एंपावर करेंगे। लेकिन एक्चुअल में जब रियल इंप्लीमेंटेशन की बात आती है ,तो कहीं ना कहीं भारत के ऊपर रिस्ट्रिक्शंस लगाए जाते हैं और देखिए अगर यहां पर चीन को बीट करना है तो जाहिर सी बात है ,भारत को टेक्नोलॉजी से अपग्रेड करना होगा और भी नई-नई चीजे देनी होगी ,लेकिन यहां पर हुआ क्या है कि BIDEN एडमिनिस्ट्रेशन आपको पता है बस कुछ ही दिनों के मेहमान है ,उसके बाद 20th का जनवरी से DONALD TRUMP का एडमिनिस्ट्रेशन आ ही जाएगा। लेकिन जाने से पहले यहां पर BIDEN ने क्या किया ? एक लिस्ट जारी किए three tiers का सिस्टम बनाया है और उसमें भारत को second tiers में डाला गया है। जिसकी वजह से जो भारत अमेरिका से कई सारे चिप्स इंपोर्ट करा सकता था ,वह नहीं कर पाएगा ।यहा आप देख सकते हो खबर “US CHIP EXPORT CURBS RAISE CONCERNS FOR INDIA’S GROWTH, INFRASTRUCTURE ” तो यह पूरा मामला है क्या ? कौन सी लिस्ट जारी की गई है ? आखिरकार हो क्या रहा है ?अमेरिका क्या चाहता है ?वह सारी चीजे हम आपको बताएँगे।

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एक्जेक्टली हुआ क्या है ?

JOE BIDEN जाने से पहले उन्होंने एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को जारी किया है ताकि अमेरिका US जो भी एक्सपोर्ट करता है, Artificial Intelligence (AI) Hardware का जमाना आ ही गया आपको पता ही है बहुत सारी चीजों में AI का यूज होने लग गया है। तो जो कई प्रकार के हार्डवेयर है जैसे GPU के बारे में आपने सुना होगा , Graphics Processing Units। तो AI जो GPU है ,उसका जो एक्सपोर्ट है ,उसके ऊपर रिस्ट्रिक्शंस लगा रहा है और कहीं ना कहीं इसकी वजह से भारत का जो AI एंबीशन है ,वह एक प्रकार से खतरे में आ सकता है। हम आपको बता दें ,यहां पर जो फ्रेमवर्क जारी किया गया है इसका नाम है Framework for Artificial Intelligence Diffusion और यहां पर US Government ने प्रपोज किया है कि three tiers system बनाया जाएगा ,अलग-अलग tiers system होगा और अलग-अलग देशों को अलग-अलग tiers में बांटा जाएगा और ओबवियस सी बात है जो countries top tiers में होंगे उनके ऊपर रिस्ट्रिक्शंस नहीं होगा ,जो countries एकदम third tiers में होंगे उनके ऊपर पूरा रिस्ट्रिक्शंस डाला जाएगा। लेकिन यहां पर भारत को second tiers में डाला गया है ,मतलब कई सारे रिस्ट्रिक्शन भारत के ऊपर लगाए जाएंगे और देखिए यहां पर चिंता की बात ये है – की है कि भारत की जो डोमेस्टिक AI computing capacity है उसको build up करने के लिए भारत 10000 से ज्यादा GPU यह खरेदी करना चाह रहा था। तो कहीं ना कहीं उसके ऊपर एक बड़ा झटका लग सकता है। जो first tiers वाला सिस्टम होगा ,उसके अंदर अमेरिका ने अपनी 18 closest allies (निकटतम सहयोगी) रखा है। अमेरिका बार-बार यह कहता है – कि भारत उसका निकटतम सहयोगी है ,हम मिलजुल कर काम करेंगे ,लेकिन भारत को first tiers में नहीं रखा गया , closest allies में नहीं डाला गया और इसी की वजह से यहां पर चिंताएँ(concerns )हो रही है और साथ ही साथ आप देख सकते हो कि यहां पर जो रूल्स है ,वह कहीं ना कहीं अमेरिका इसलिये लाना चाहता है – कि जो AI से रिलेटेड जो चिप्स होंगे ,GPU होगा ,वह सारे बेनिफिट्स उसको और साथ ही साथ उसके closest allies को मिले ,किसी और countries को नाम मिल पाए। एक और चीज आपको समझना है – कि यह जो enforcement है ,वह काफी हद तक DONALD TRUMP के ऊपर भी डिपेंड करेगा क्योंकि JOE BIDEN तो चले ही जायेंगे , 20th जनवरी के बाद DONALD TRUMP यहां पर राष्ट्रपति बनेंगे और काफी हद तक वह डिसाइड करेंगे कि इस फ्रेमवर्क का क्या करना है। अब हो सकता है कि भारत DONALD TRUMP को मना ले और यहां पर शायद closest allies वाले कैटेगरी में first tiers में डाल दे।

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यहा अलग-अलग tiers में कौन-कौन से देश है ?

देखिये जो three tiers आप countries देख रहे हो :

Tier 1:

Tier 1 में अमेरिका के यहाँ पर 18 closest allies ,जैसे Australia, Belgium, Canada, Denmark, Finland, France, Germany, Ireland, Italy, Japan, Netherland, New Zealand, Norway, South Korea, Spain, Sweden, Taiwan और United Kingdom, ये 18 ऐसे देश है जो America कहता है – कि उनके closest allies है और उनके ऊपर कोई रिस्ट्रिक्शंस नहीं लगेगा। मतलब जैसे मान लीजिए अगर ऑस्ट्रेलिया अमेरिका से बहुत सारा चिप्स मंगाना चाहता है एडवांस ,जो AI वाले चिप्स है तो वो कितने भी number of chips को मंगा सकता है ,उसके ऊपर कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं लगेगा और साथ ही साथ यहां पर जो सिक्योरिटी रिक्वायरमेंट है वह भी काफी कम होगा। तो यह हो गया first tier का लिस्ट।

Tier 2:

अब दुनिया के जो ज्यादातर कंट्रीज है ,जिसमें भारत भी शामिल है ,उनको tier second वाले कैटेगरी में डाला गया है। मतलब ओबवियसली बात है – कि इन countries के ऊपर कुछ हद तक रिस्ट्रिक्शन लगाया जाएगा ,मतलब अगर मान लो, भारत चाहता है कि अमेरिका से 1 लाख GPU अगर हम इंपोर्ट कराएं तो भारत वह नहीं कर सकता क्योंकि भारत के ऊपर रिस्ट्रिक्शंस रहेगा। इसीलिए जैसा कि हमने आपको बता रहा थे , भारत का जो AI मिशन है ,जिसके तहत हम 10000 से ज्यादा GPU और बहुत सारी चीजे इंपोर्ट करना चाह रहे थे ,अब हो सकता है वह यहां पर खतरे में आ गया और भी कई सारे कंपनी है जो अपना डाटा सेंटर वगैरा भारत में बनाना चाहती थी ,उसके लिए उनको इस तरह की चिप्स की जरूरत पड़ेगी। SATYA NADELLA Chairman and CEO of Microsoft उन्होंने रिसेंटली अनाउंस किया था $3 बिलीयन का इन्वेस्टमेंट भारत में ,जो की cloud and AI Infrastructure को बिल्ड किया जाएगा अगले 2 सालों में और साथ ही साथ 2026 तक भारत एक इंर्पोटेंट रीजन बनकर सामने आएगा माइक्रोसॉफ्ट के लिए। लेकिन जाहिर सी बात है ,उसमें बहुत सारे AI chips की जरूरत होती है ,जो कि माइक्रोसॉफ्ट अमेरिका से ही उसको भारत में लेकर आता। लेकिन इस तरह के रिस्ट्रिक्शंस आने की वजह से वह खतरे में आ सकता है और तो कुछ एक्सेप्सनस भी किया जा सकता है इसमें ,वह हम आपको और आगे बताएँगे।

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Tier 3:

Third tier में कौन-कौन से देश हैं ? यहां पर अगर आप देखोगे कुछ ही countries है ,जैसे Russia, China, Libya, North Korea तो इस तरह की कुछ ऐसे देश हैं ,जिनके ऊपर काफी हद तक प्रोहिबिशन होगा ,मतलब यह देश जो AI बेस्ड चिप्स है वह अमेरिका से इंपोर्ट नहीं कर पाएंगे। तो यह कुछ इंपॉर्टेंट चीजे आपको ध्यान में रखना है।

यहां पर एक और चीज ध्यान में रखीयेगा ,यह जो फ्रेमवर्क जारी किया गया है ,उसमें एक और Special Provision डाला गया है सिर्फ और सिर्फ भारत और चीन के लिए। यहां पर आप देख सकते हो Special Review जिसका नाम है General Validated End User और इस कैटेगरी में सिर्फ दो countries को भारत और चीन को रखा गया है। अब इसमें होगा क्या – की मान लो कोई कंपनी है ,भारत की कोई कंपनी या फिर कोई और मल्टीनेशनल कंपनी जो भारत में काम कर रही है ,अगर वह अमेरिका से ऑथराइजेशन ले लेती है किसी चिप्स वगैरा के लिए जो इंपॉर्टेंट है ,जो अमेरिका ने रेस्ट्रिक्ट कर रखा है लेकिन अगर वो ऑथराइजेशन ले लेती है तो वो यहाँ पर chip का इस्तेमाल civilian और military purpose के लिए कर पाएगी ,लेकिन nuclear use के लिए नहीं कर पाएगी। सेम उसी प्रकार से कोई चीनी कंपनी है अगर वह ऑथराइजेशन ले लेती है ,तो वह चीनी कंपनी सिर्फ और सिर्फ ivilian use के लिए ही वह chip का इस्तेमाल कर पाएगी।

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भारत को बोला जा रहा है कि आप nuclear use में उन चिप्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते ,लेकिन आपको याद होगा जस्ट कुछ दिन पहले की बात है जो अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर है ,जेक सुलिवन (JAKE SULLIVAN ) वह भारत आए थे ,उन्होंने AJIT DOVAL (अजीत डोभाल) से मुलाकात की ,S JAISHANKAR (जयशंकर) से मुलाकात की ,PM MODI (मोदी) जी से मुलाकात की और उस दौरे के दौरान यहां पर उनके द्वारा यह बोला गया कि – अमेरिका चाहता है कि बहुत सारे अभी भी रिस्ट्रिक्शंस जो लगाए गए हैं ,Civil Nuclear Cooperation को लेकर ,आपको पता है अमेरिका और भारत के बीच में न्यूक्लियर डील हुआ था मनमोहन सिंह जी के समय में ,लेकिन वह पूरी तरह से फुलफिल नहीं हो पाया क्योंकि अमेरिका बहुत सारे रिस्ट्रिक्शंस अभी भी भारत पर लगाया हुआ था। लेकिन वह सारे रजिस्ट्रेशन हटाने वाला था ,लेकिन यहां पर जो रूलिंग आई है ,यहां पर जो अमेरिका कह रहा है – कि आप उन AI chips का इस्तेमाल nuclear use में नहीं कर सकते। तो ऐसा लगता है काफी कांट्रेरी है ,अमेरिका बातें तो कुछ और करता है ,लेकिन एक्चुअल जब समय आता है ,तो वह आपको काफी हद तक डिफरेंट देखने को मिलेगा।

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Nvidia Criticizes the Rules

जो भी है यहां पर अल्टीमेट क्वेश्चन यह आता है कि दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी जो इन चिप्स को बनती है उसका क्या मानना है? देखो अमेरिका की कंपनी Nvidia सबको पता होगा, मतलब एक प्रकार से मोनोपोली है आप कह लीजिये। जितने भी AI chips है वो एक्चुअली भारत जो पुरे दुनिया में इस समय बन रहे है ,वो एक्चुअली Nvidia के द्वारा ही बनाया जा रहा है। तो Nvidia ने एक्चुअली इन rules को काफी criticize किया है और काफी Scathing रिमार्क्स लिखा है अपने स्टेटमेंट के अंदर। यहाँ पर आप देख सकते हो देखो Nvidia ने क्या बोला है? “In its last days in office ,BIDEN Administration seeks to undermine America leadership with a 200 page regulatory morass “,मतलब कि यहां पर एक प्रकार से जान मुझ पर BIDEN Administration अपने लास्ट स्टेज में कुछ ऐसे रेगुलेटरी रूल्स लाने की कोशिश कर रही है ,जो की काफी सीक्रेट तरीके से बनाया गया है। मतलब जिसका कोई आधार नहीं है ,बिना कोई legislative review के इस तरह के रूल्स बनाना यह गलत है। यहां पर उनका यह भी कहना था Nvidia का – की इसकी वजह से जो bureaucratic control है ,वह काफी ज्यादा बढ़ जाएगा ,मतलब अमेरिका इस समय कोशिश कर रहा है ,semiconductors ,computers ,systems बहुत सारी चीजों में ,सॉफ्टवेयर में लीड करने के लिए लेकिन। इस तरह के रिस्ट्रिक्शंस लगाना यह कहीं ना कहीं अमेरिका की लीडरशिप को undermine करता है साथ ही साथ Nvidia ने एक तरह से DONALD TRUMP की तारीफ की है ,यह कहा है – कि DONALD TRUMP के पहले जो टर्म था DONALD TRUMP का ,उसमें DONALD TRUMP ने कोशिश किया – कि अमेरिका को और ज्यादा मजबूत किया जाए ,सक्सेस दिलाया जाए AI के अंदर ,एक एनवायरमेंट किया जाए US इंडस्ट्री के लिए ,ताकि वह दुनिया भर के चीजों से कंपनियों से कंप्लीट कर सके और नेशनल सिक्योरिटी का भी ध्यान रख सके। तो एक प्रकार से कहीं ना कहीं Nvidia यह दिखाने की कोशिश कर रहा है – कि DONALD TRUMP जब यहां पर आएंगे ,वह राष्ट्रपति बनेंगे ,तो इस तरह के रूल्स जो लगाई जा रहे हैं ,उसको हटा दिया जाएगा। लेकिन अल्टीमेटली वह तो समय ही बताया यहां पर क्योंकि एक्चुअली क्या है ना ,यह जो रूल्स लाये गए हैं ,वह एक्चुअली 120 डेज के बाद इफेक्ट में आएंगे। तो तब तक तो आपको पता है अभी बस 10 दिन की बात है ,यहां पर 10 दिन भी नहीं अब तो हार्डली तीन-चार दिन बचा है यहां पर DONALD TRUMP बनने वाले हैं ,तो अब देखना होगा क्या वह उसको हटा पाते हैं कि नहीं पाते हैं। अगर नहीं हटाते है तो क्या भारत कोशिश करेगा कि अपने आप को tier1 वाले कैटेगरी में डालने के लिए?

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