आखिरकार दिल्ली चीन से कितना सीख सकता है लेकिन हम बातें बड़ी-बड़ी करते हैं लेकिन हमारे इंप्लीमेंटेशन जीरो है यह बात सच है चाणक्य भी यही कहते हैं देखो भाई एक्शंस करो बोलने से कुछ नहीं होगा बड़ी बड़ी गोलमोटल बाते बहुत हो गई ग्राउंड पर एक्शन देखना चाहिए। तो यह जो आज दिल्ली की कंडीशन है वह सेम कंडीशन चीन के कैपिटल बीजिंग में था ऐसे ही स्काई जो है वह येलो था। जो आज दिल्ली में बर्बादी का आलम छाया हुआ है मौत का सन्नाटा पसरा हुआ है बिल्कुल वैसे ही कुछ बीजिंग में था। लेकिन फिर 10 सालों में बीजिंग ने ऐसा क्या कर दिया कि एकदम इसका स्काई ब्लू हो गया। लेकिन इस हिसाब से दिल्ली में पॉल्यूशन का नाम कम होने का कोई नमोनिशान नहीं है कोई इंप्रूवमेंट नहीं है। 400 के इर्द-गिर्द से सेवियर कैटेगरी में यह घूम रहा है और अब यह कब ठीक होगा किसी को कुछ पता नहीं। आलम ये है की हवा जो है वह बर्बादी का कारण बन जाएगी। अभी तो कुछ जगह शायद 494 18 नवंबर का दिल्ली का एक क्यों आई 494 है। एक शायर ने कहा था-आंखों में जलन सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यों है इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है ? बिलकुल यही हाल दिल्ली में हमको देखने को मिल रहा है। क्रेडिट एक्शन प्लान हो गया यह बंद कर देंगे वह बंद कर देंगे सब कुछ मिटा देंगे सब कुछ लुटा देंगे लेकिन उससे कुछ फायदा नहीं हो रहा है। लगता है अरविंद केजरीवाल तो शायद फिर से धरने पर बैठेंगे इस बार लोगों के लिए की भाई तुम ऐसा है कि यह छोड़ दो सब कुछ खाना-वाना पकाना छोड़ दो पॉल्यूशन बहुत फैल रहा है तो लोग करें तो करें क्या? हा लकिन सरकार चाहे तो बहुत कुछ कर सकती हैं।
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लेकिन क्या इतनी वेलिंग्नेस है क्या नरेंद्र मोदी को नहीं आना चाहिए था? कहना नहीं चाहिए था कि पॉल्यूशन एक बहुत बड़ी आपदा है। क्या अरविंद केजरीवाल को नहीं आना चाहिए था ? टीवी पर आना चाहिए था डिमॉनेटाइजेशन के समय पर आए थे कॉविड के समय आए थे तो प्रधानमंत्री मोदी जी को इस बार भी आना चाहिए क्योंकि यह एक आपदा है और अभी भी आप अगर किसी भी पोलिटिकल पार्टी का मेनिफेस्टो में देखा तो किसी भी पॉलीटिकल मेनिफेस्टो में ये नहीं रहेगा कि हमको क्लीन एयर चाहिए। दिसम्बर आ गया है लकिन ठंड का नामोनिशान नहीं है। बीजिंग का पॉल्यूशन जब ऐसे ही 400 से ऊपर पहुंच गया था जब बीजिंग का पीएम 2. 5 जो था वह 101. 5 क्यूबिक मीटर था और समझे की 10 के लेवल्स जो है वो हाई है बहुत ज्यादा हाई है और आज 10 सालों में बीजिंग का जो पीएम 2. 5 जो है वो देख लीजिए 38. 98 माइक्रोग्राम पहुंच गया आप देख सकते हैं यह 101 से सीधा 38 आ गया यह जो ड्रैमेटिक चेंज हुआ है तो यह लर्निंग है। दिल्ली इससे बीजिंग से सीख सकता है और हमको चीन से सीखना चाहिए ना की दुश्मनी पालनी चाहिए ईगो में रहने से कोई फायदा नहीं है। तो सबसे पहली चीज यह है कि बीजिंग और दिल्ली में बहुत सिमिलरिटीज है ज्योग्राफिकल और मेट्रोलॉजिकल। सिमिलरिटीज देख लीजिए दोनों ही जो है वह माउंटेन के आसपास ह। दिल्ली भी माउंटेन रेंजेस अरावली से बस थोड़ा सा दूर है है। थोड़ी दूर दिल्ली से चलेंगे आपको पहाड़िया दिख जाएगी और सेम बीजिंग की बात करते हैं तो वह भी एकदम आप थोड़ा सा दूर चलेंगे तो आपको माउंटेन रेंज देखना शुरू हो जाएगी तो पोल्यूटेड हवा सीधा इधर की और आती रहती है इसीलिए पॉल्यूशन के घेरे में है उसके बाद अगर विंटर कंडीशन की बात करें तो अगेन टेंपरेचर एकदम से कम होता है तो जिन पार्टिकल्स को ऊपर जाना है वह ऊपर जा ही नहीं पाते हैं वो यहीं पर ठहर जाएंगे। शांत हवा,अच्छी खासी ह्यूमिडिटी, और बारिश नहीं है यह सब कंडीशन जो है यह सब बीजिंग में भी कॉमन है लकीन बीजिंग में तो पॉल्यूशन ख़तम है और बढ़ भी नहीं रह। बाजु में ही थार डेजर्ट है राजस्थान शुरू हो जाता है। पंजाब और हरियाणा से जो भी stubble burning पूरी की पूरी दिल्ली की तरफ आती है। सेम तियानजिन और हैबैइ प्रॉविन्सेस बीजिंग के लिए वही कम करते है जो यहाँ पंजाब और हरियाणा करते है। इधर थार डेजर्ट और उधर गोबी डेजर्ट है तो पीएम 10 लेवल की जो डस्ट उधर से आती है वह पीएम 10 लेवल जो है वह बढ़ा देता है। बीजिंग का आर्बनाइजेशन तो दिल्ली से भी बहुत ज्यादा ही है लगभग २-३ गुना ज्यादा ही है। चीन बहुत आगे बढ़ गया है उसने तो अपार्टमेंट के अंदर से मेट्रो निकाल दिए 24 घंटे में स्टेशन बन जाते हैं साइंसऔर टेक्नोलोजी में भी उन्होंने बहोत वृद्धि की है और भारत ने भी दिल्ली में भी गजब अर्बनाइजेशन हुआ है लगातार एक्सप्रेस वे बनते जा रहे हैं लेकिन इससे पॉल्यूशन भी तो बढ़ता जा रहा है। 2013 का बीजिंग और आज का बीजिंग आप निचे तस्वीर में देख सकते है।
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तो क्या दिल्ली को ऐसा नहीं कर सकते? बिल्कुल कर सकते हैं और देख लीजिए कि बीजिंग जहां पर एवरेज एनुअल पीएम 2. 5 क्योंसंट्रेशन लगातार घट रहा है 105 था यह 2012 में और आज सीधा 39 पर आ गया है और दिल्ली में 114 है और यहीं पर ही है 100 के करीब है और वही पे कांस्टेंट है वह थोड़ा गिरता है फिर बाद में बढ़ता है फिर बादमें और बढ़ता जा रहा है पिछले 5 साल में कम से कम आधा तो हो जाना चाहिए था बीजिंग ने तो आधे से ज्यादा कर लिया लेकिन दिल्ली में आधा तो छोड़ दीजिए वह उतना ही है। यहां पर बीजिंग में व्हेइकल ग्रोथ 1990 में 1. 24 लाख से आज वह 57. 38 है लेकिन दिल्ली में 18 लाख थे और आज देखिए यह 118 है लगभग दुगने हैं बीजिंग से ,तो यह भी बहुत बड़ा फर्क डालता है जैसे की चायना प्राइम मिनिस्टर Li Keqiang ने बोला था कि this is the war against pollution pm2. 5 and pm10। सबसे पहले हमको इसको कण्ट्रोल करना है तो यह ढूंढ़ना होगा की – पीएम 2. 5 एंड पीएम 10 कहां से निकल रहा है और उसी को ही सीधा अटैक करो। अब दिल्ली में क्या गाड़ियां बंद कर दो पर बीजिंग ने तो ऐसा नहीं किया ,बीजिंग में सब चलाया बल्कि नई-नई स्ट्रैटेजिक निकाली यह बहुत बड़ा डिफरेंस था दिल्ली का टारगेट मिस हो रहा है जो NCAP (नेशनल क्लीन ईयर पॉलिसी) हमने लॉन्च किया था 2008 से 5 साल पहले हर्षवर्धन ने बोला था – कि पीएम 2. 5 जो है 121 शहरों में हम 20 से 30% कम कर देंगे। लेकिन वह हो नहीं पाया टारगेट तो छोड़ दीजिये हम उसके आसपास भी नहीं है । बीजिंग में भी सेम चीज था लेकिन उन्होंने कुछ शहरोंको को देखाकी उन्होंने टारगेट मिस कर दिया है और उनपर हैवी पेनल्टी लगा दी। भारत में यह इस तरीके के हालात है टारगेट भूल जाइए किसी को फर्क नहीं पड़ता हमारे लोग भी अवेयर नहीं है हमारे यहां कोई अवेयर नहीं है अगर आप पॉल्यूशन की बात करोगे तो लोग हसेंगे आप पर। लोगों को पॉल्यूशन और उसके साइड इफ़ेक्ट नहीं दिख रहे है तो हमारे लोगों की भी यह बहुत बड़ी गलती है। सरकार करें तो करेंगे जब लोग ही साथ नहीं देंगे तो यह असंभव काम बन जाता है। NCAP (NATIONAL CLEAN AIR POLICY ) का जो टारगेट है वह अब 2026 तक 30 से बढ़कर 40 परसेंट हो गया है लेकिन हम लगातार डेडलाइन पर डेडलाइन मिस कर रहे हैं।तो सवाल ये हैं कि आखिरकार बीजिंग ने कैसे किया? और इसमें दिल्ली क्या कर सकता है – तो सबसे पहले टैग लाइन बनाया – “डाटा इस पावर “। पीएम 2. 5 मॉनिटरिंग नेटवर्क बनाए गए कि कहां पर पीएम 2. 5 और पीएम 10 ज्यादा है , शहरों में हजारों सेंसर लगा दिए गए और जो भी डर्टी एयर स्पॉट है उनको रेस्ट्रिक्ट करिए जिस टाइम पे एमिशन सबसे ज्यादा हो रहा है उस टाइम को ट्रैक किया और उसको कंट्रोल करने के लिए क्या कर सकते हैं पहले तो सबका डाटा निकाला यहां पर चीन में ट्रांसपोर्टेशन एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम है तो यहां पर बीजिंग ने क्या किया उन्होंने पूरे ट्रांसपोर्ट सिस्टम को ही बदल कर रख दिया। अब आप जब बीजिंग जायेंगे तो वहां बहुत E – VEHICLE चल रहे हैं और उनपर बहोत सारे इंटेंसिव दिए गए और लोगों ने भी उसे खूब अपनाया है , उसके बाद पार्किंग में भी रेस्ट्रिक्शन लगाए जैसे वहां पर पार्किंग फीस बढ़ा दी गई है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि वहां ट्रेडीशनल चाइनीस अर्बन डिजाइन फॉर वाकिंग सेंटर्स बनाये गए है ,इस तरह से वहां पर वाकिंग को ज्यादा प्रमोट किया गया – कि अगर आप का ऑफिस एक दो किलोमीटर है तो आप आराम से चलते जाइए कोई दिक्कत नहीं है। लोगों नेलिए बहोत ही सुन्दर पाथवे बना दिए गए है ,बहोत बड़े रोड्स बना दिए गए है लोगों ने भी ये बात मानी। उसके बाद प्राइवेट VEHICLE जो भी आउटडेटेड थे सबको बंद कर दिया और बोला की – साइकिल चलेगी , साइकिल खरीद लीजिए ,साइकिल रेंट पर देना शुरू कर दिया। अगर आपके पास साइकिल नहीं है कोई बातें नहीं आप रेंट पर साइकिल लो , जितना पेट्रोल में खर्च करोगे उतना पैसा बचेगा और आपकी हेल्थ भी बढ़िया रहेगी , और तो और इसमें कोई अगर कंपनी आए तो उसको भी फायदा होगा। ऑफिस भी साईकिल प्रोवाइड कर सकते हैं। आज साइकिल खत्म होती जा रही है और उसका नतीजा यही कि पॉल्यूशन बढ़ता जा रहा है।बीजिंग ने एक स्ट्रिक्ट एडमिशन स्टैंडर्ड निकाला जो यूरोपीयन एमिशन स्टैण्डर्ड यूरो-6 से प्रभावित था बीजिंग ने यूरोप को कॉपी किया दिल्ली बीजिंग को कॉपी कर सकता है। तो यहां पर बोला कि जो भी पोल्यूटिंग व्हीकल है उनको हटाओ अगर आपका पोल्यूटिंग बेकल है तो अगर आप उसको हटा रहे तो आपको हम आपको इंसेंटिव देंगे और फिर भी आप पॉल्यूशन फैलावोगे तो आप पर जुर्माना लगेगा ,ड्राइविंग लाइसेंस कैंसिल होगा आप जिंदगी भर गाड़ी तक नहीं ले सकते। उसके बाद जो इलेक्ट्रिक VEHICLE के लिए बहोत बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर दिया गया है भारत में कोई E -VEHICLE क्यों नहीं ले रहा क्योंकि हमारे यहाँ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है लेकिन बीजिंग में आज 4 LACK E -VEHICLE है तो 2 LACK चार्जिंग स्टेशन है। उसके बाद यहां पर क्रैकडाउन किया गया बंद नहीं किया गया कि बंद कर दो इंडस्ट्री ना जो कोल पर डेपेंडेन्सी है इन्होंने कम किया और बहुत सारे हीटिंग सिस्टम जो चल रहे थे वह रिन्यूएबल में उन्होंने शिफ्ट की ,नेचुरल गैस और रिन्यूएबल आप कूड़े से भी बना सकते हो ,कोल बेस्ड पावर प्लांट्स खत्म ही कर दिया कि कोयले से जो बिजली बनाएंगे तो बहुत ज्यादा दिक्कत है।एक तरीके से बहुत सारी जो पोल्यूटिंग फैक्टरीज इनेबलिंग प्रोविंस में ड्राइव लॉन्च की इनको क्लीन करना है। 5600 एनवायर्नमेंटल इंस्पेक्टर हायर किये गए पुरे इंडस्ट्रीज पर नजर रखने के लिए। उसके बाद को एमिशन झोन बनाए गए बीजिंग ने बोला कि एयर क्वालिटी को इम्प्रूव करना है बहुत ज्यादा जरूरी है तो पोल्यूटिंग व्हीकल बाहर से यहां पर ना आने पाए। और इन सबका नतीजा यह है की पीएम 2. 5 कंसंट्रेशन 35% 4 साल में 2013 से 2017 तक और 2023 तक 60% तक कम हो गया है सिर्फ इन्हीं कारणों से। और पब्लिक ने भी एक्टिवली पार्ट लिया ,आप टेंपरेरी सॉल्यूशन देने से अच्छा है आप परमानेंट सॉल्यूशन दे दो , वह बहुत ही ज्यादा आपको मदद करेगा। तो दिल्ली यह बिल्कुल कर सकता है लेकिन क्या आपके पास विल है?
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