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December 11, 2024

FDI in India Crosses $1 Trillion: भारत पर दुनिया का तेजी से बढ़ रहा है भरोसा

भारत में बीते दो दशक के अंदर 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का FDI आ चुका है, FDI मतलब फॉरेन डायरेक्ट निवेश आ चुका है। इसके मायने क्या है ? इसके मायने यह है कि – जब से भारत ने 1991 के बाद LPG रिफॉर्म्स किए लिबरलाइजेशन प्राइवेटाइजेशन ग्लोबलाइजेशन अपनाया उसके बाद से दुनिया भर के देशों ने भारत में निवेश को अपने लिए बेहतर डेस्टिनेशन माना है, और यह निवेश लगातार बढ़ता जा रहा है और वर्तमान सरकार का टारगेट है कि आने वाले सालों में प्रतिवर्ष के हिसाब से 100 बिलियन डॉलर का निवेश लेकर आएगी। एग्जैक्ट फिगर की अगर हम बात करें तो 1000 बिलीयन डॉलर का निवेश पार कर चुका है बीते 24 सालों में। आप सभी जानते हैं कि भारत ऑलरेडी चाहे एग्रीकल्चर सेक्टर हो यानि प्राइमरी सेक्टर हो ,सेकेंडरी सेक्टर हो या (tertiary ) टर्टियरी सेक्टर हो। सभी सेक्टर में बेहतर तरक्की कर रहा है और ऐसे में एफडीआई के आंकड़े इस बात को और पुष्ट करते हैं – कि दुनिया के देश भारत की तरक्की के साथ अपनी तरक्की देखते हैं ,यही कारण है कि हाल ही में पार हुआ 1000 अरब डॉलर का यानी की 1 ट्रिलियन डॉलर का जो आंकड़ा है वह अपने आप में दुनिया भर के लोगों को यह याद दिलाता है कि दुनिया में जब भारत ने अपने यहां पर वैश्वीकरण को बढ़ावा देने की सोची ,उस समय दुनिया के लोगों ने भी भारत में विश्वास किया।

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एफडी होता क्या है ?

FDI THAT IS FOREIGN DIRECT INVESTMENT (फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट)। तो जनरली जब आप मार्केट की बात कर रहे होते हैं तो दो टर्म यूज़ कर रहे होते हैं। एक तो एफडीआई (FDI ) और एक होता है एफआईआई (FII )। तो एफ आई आई THAT IS फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टमेंट जितनी भी हैं उनमें आप स्टॉक की बातें करते हैं और एफडीआई के अंदर स्टॉक की बातें डायरेक्ट नहीं होती है।

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तो फर्क क्या है देखिए – जब बात एफडीआई की होती है तो FDI में कोई भी कंपनी ,जैसे मान लीजिये फेसबुक ने रिलायंस जिओ (RELIANCE JIO ) के अंदर अपना कुछ हिस्सा परचेस किया ,तो हिस्सा परचेस करने के 2 रास्ते है , 1 – कंपनी की हिस्सेदारी ले लेना फिर इसमें क्या होता है कि स्टॉक को खरीदा जाता है लेकिन उसके केस में वोलैटिलिटी इतनी ज्यादा होती है कि आप उन्हें बेचकर निकल भी तुरंत लेते हैं ,एफडीआई में मलिकाना हक साथ में रहते है ,लंबे समय तक की रिटेंशन की जो संभावना है वह ज्यादा समय की रहती है। तो FDI हमारे देश में ज्यादा प्रमोट की जाती हैं कि – आओगे तो कम से कम कंपनी का हिस्सा बनोगे ,देश के अंदर लंबे समय तक टीकोगे। FII तो क्या है कि – आज मार्केट उठ रहा है पैसा लगाए ,कल मार्केट गिरने की संभावना है तो पैसा निकाल ले।n तो अर्थ यह है – कि एफडीआई और एफआईआई में यह वाला निवेश जो विदेशियों के द्वारा भारत में किया जा रहा है ,यह ज्यादा लोंग लास्टिंग माना जाता है।
अब यह हमारे यहां पर दो प्रकार से आता है :

1 – ऑटोमेटिक रूट

ऑटोमेटिक रूट यानि सरकार को पता ही नहीं है हमारे यहां पर किसी कंपनी का कोई हिस्सा किसी ने परचेस कर लिया। ऑटोमेटिक रूट के अंदर आपने अपने हिसाब से अपना माल बेच दिया किसी ने आपसे पूछा नहीं। और 100% FDI ALLOWED करना, 75% ALLOWED करना, 50% अलाउड करना मतलब सरकार कुछ स्पेसिफिक सेक्टर में यह ध्यान रखती है कि विदेशी आकर के उसे पूरे सेक्टर को परचेस न कर ले। पता चले जैसे मान लीजिए भारत का इंश्योरेंस सेक्टर है , विदेशी लोग आए भारत के पूरे इंश्योरेंस सेक्टर को परचेस कर लिए ,बड़ा सारा माल लेकर के खुद किनारे हो लीये और पता चल रहा है आप ढूंढ़ते फिर रहे हो की कहां चले गए। या फिर कम्युनिकेशन के अंदर आए खूब सारा इन्वेस्टमेंट किया पूरा-पूरा सेक्टर मान लीजिए रिलायंस पूरी परचेस कर ली, जिओ पूरा परचेस कर लिया ,एयरटेल पूरा परचेस कर लिया ,आपका डाटा पूरा गायब हो गया। ऐसे में ध्यान रखा जाता है कि कितना पर्सेंट अलाउड किया जाए ,किस तरह से अलाउड किया जाए।

2 – गवर्नमेंट रूट

सरकार से पूछ कर अब जैसे मान लीजिए कि हमारे DRDO को इन्वेस्टमेंट की जरूरत हो या इसरो को अगर जरुरत हो ,तो भारत सरकार इन सब चीजों में निगरानी रखेगी ,पैसा देने वाला कौन है , कहीं ऐसा तो नहीं कि भारत के खिलाफ कोई स्ट्रेटजी चल रही हो या फिर कहिए कि कुछ खास प्रकार के सेक्टर हैं ,उनमें इन्वेस्टमेंट अगर आ रहा है तो भारत सरकार उस पर नजर रखती है उसे गवर्नमेंट रूट के माध्यम से बुलाया जाता है।

तो यह दो प्रक्रियाएं हैं जो एफडीआई के अंदर यूज की जाती है । तो भारत 1991 से लेकर के FDI को आमंत्रित कर रहा है और उन FDI में फिलहाल 2000 से लेकर के 2024 के बीच में वह एफडीआई अब 10 लाख मिलियन की हो चुके हैं। 1000 मिलियन ,एक बिलियन है और 10 लाख मिलियन एक ट्रिलियन है, तो एक ट्रिलियन का इन्वेस्टमेंट हो चुका है। 24 सालों में तो हम लोगों ने एक ट्रिलियन का आंकड़ा पार किया है लेकिन इसमें से जो बीते 10 साल है उसमें से इस पूरे का हम लोगों ने 67 परसेंट THAT IS 709 बिलियन इन्वेस्टमेंट प्राप्त किया है। तो टेक्नीकली पिछले 10 सालों में जो एफडीआई का आंकड़ा रहा है ,वह कुल निवेश का 67% प्राप्त करने में कामयाब हुआ है। तो सरकार इसे अपनी कामयाबी में दिखती है क्योंकि 2014 में जब भारत के अंदर  बीजेपी की सरकार बनी  ,एनडीए की सरकार बनी तो इसे अपनी उपलब्धि में दिखाते हैं – कि देखो हमारी वजह से हमारी सरकार में लोगों ने अपना विश्वास व्यक्त किया इसलिए निवेश करने के लिए भारत में चले आए। इसमें यह FDI अब लगातार बढ़ रहा है ऐसा सरकार का मानना है और भविष्य में प्रतिवर्ष के हिसाब से 100 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट मांगा जाएगा। जैसे फाइनेंशियल ईयर 2023 की बात करें तो 70 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट भारत के अंदर आया है । तो साल दर साल की अगर हम बात करें तो 2014 -2015 में जब 45 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट आया था ,जो बढ़कर 60 मिलियन डॉलर हुआ 2016-2017 के अंदर, ऐसे ही 2021 -2022 के अंदर 84 बिलियन डॉलर का हुआ है। इस तरह से भारत के अंदर इन्वेस्टमेंट आते जा रहे हैं और इन बढ़ते हुए इन्वेस्टमेंट से एफडीआई के इनफ्लुएंस से भारत में लगातार पैसा आ रहा है। । मॉरीशस जैसा देश ,सिंगापूर , USA ,नीदरलैंड ,जापान यह वह देश है जहां से भारत में पैसा आ रहा है। आपको मालूम होगा shell कंपनी के लिए ,टैक्स एवेजन के लिए बहुत बार इन देशों के नाम आते हैं ,इन्हें टैक्स हेवन कंट्रीज के रूप में भी ट्रीट किया जाता है।

अब बात आती है कि किन सेक्टर में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश आया ? – तो पांच बड़े सेक्टर जिनमें निवेश आया उनमें से पहला बडा जो 16 परसेंट के आसपास का निवेश है वह हमारे फाइनेंशियल सेक्टर के अंदर आया है। दूसरा जो बड़ा निवेश है 15 परसेंट के आसपास वह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में आया है ,ट्रेडिंग में 6% का निवेश है ,टेलीकम्युनिकेशन में 6% का है और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में 5% के आसपास का निवेश है। किन राज्यों में सबसे ज्यादा निवेश आया है ? – तो महाराष्ट्र में उसके बाद कर्नाटक में फिर गुजरात में फिर दिल्ली में और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा निवेश प्राप्त हुआ है।

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सरकार का मानना है कि आने वाले समय में हम इस मोमेंटम को बरकरार रखते हुए 100 मिलियन डॉलर का सालाना आंकड़ा पार कर जाएंगे। इसमें एक और देश जिसने सबसे ज्यादा चौंकाया है उनमें सबसे नाम है CAYMAN ISLANDS और साइप्रस का। CAYMAN ISLANDS ये कैरेबियन कंट्री है, यहाँ से भारत में निवेश आ रहा है। इसी प्रकार से एक देश और भी है और उसका नाम है (CYPRUS )साइप्रस यह कहां है तो बिल्कुल इजरायल के सामने मेडिटरेनियन SEA के अंदर एक छोटा सा देश है जिसको लेकर के ग्रीस और तुर्की भीड़ते रहते हैं ,यहां से भारत में निवेश आ रहा है। तो यह देश कोई बहुत ज्यादा अमीर देश नहीं है लेकिन इन्होंने टैक्स रूटिंग का तरीका अपना लिया है ,तो हमारे देश में जो निवेश आ रहा है यह लोगों ने टैक्स बचाने के हिसाब से हो सकता है कि भारत की कुछ कंपनियां ऐसी हो जो घूम फिर के इन देशों में पहुंचकर भारत में निवेश करती हो और यह घूम फिर आकर के भारत में निवेश को दिखाती हो ,इस बारे में बहुत बार जब अडानी का मामला आया था – कि हिडेनबर्ग ने कहा था कि यही लोग हैं जो घूमा के पैसा वहां से लेकर आते हैं तो यह टैक्स एवेजन के तरीके हैं।

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इसलिए बढ़ रहा निवेश :

 

  • भारत में निवेश बढ़ क्यों रहा है ? इसके पीछे जो प्रमुख कारण है उनमें से भारत अपने ही भारतीयों को इन्व्हाईंट करता है प्रवासी भारतीय सम्मेलन करके। जैसे आज हमारे राजस्थान में राइजिंग राजस्थान समेत चल रही है उसमें राजस्थान ने दुनिया भर के देशों को और उद्योगपतियों को राजस्थान के राजधानी जयपुर में बुलाया हुआ है कि आप आईये और यहां इन्वेस्ट करिए। एक साल से सरकार प्रयास कर रही है कि यहां निवेश करने के लिए उद्योगपति आए विदेश के जो लोग हैं वह आए और हमारे साथ एग्रीमेंट करें। तो न केवल उन्हें बुलाया गया है बल्कि जो प्रवासी राजस्थानी है जो विदेशों में कहीं सेटल्ड है उन्हें भी बुलाया गया है कि आप आईये और राजस्थान में निवेश करें। तो इस प्रकार का एक कल्चर बना लिया हम लोगों ने ,जिसमें निवेश करने के लिए लोगों को बुलाते हैं।
  • साथ ही साथ में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए विदेशी दौरे साथ में विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाना। जैसे राजस्थान के नीमराना में कोरियन जोन बनाए हुए हैं ,जापानी जोन बनाए हुए हैं जिसमें जापान की कंपनियों से कहा हुआ है कि आप यहां पर सामान बनाइये ,आपको हम बहुत कम दामों पर बिजली देंगे ,जमीन देंगे ,साथ ही साथ आपको सस्ती लेबर मिलेगी आप यहां से माल बेचना बस भारत में मत बेचना, यहां से एक्सपोर्ट करो ,मुनाफा कमाओ ,हमें कोई दिक्कत नहीं है। तो एक तरह से हमने लैंड उपलब्ध करा दी ताकि  हमारे यहां का निवेश बढ़ता है और लोगों को रोजगार मिलता है।
  • हमने बढ़िया से परिवहन नेटवर्क तैयार कर दिए बंदरगाह ,हवाई अड्डे यह सब तैयार किया ,इससे क्या होता है कि हमारा ट्रांसपोर्टेशन आसान होता है , तो फिर हमसे लोग जुड़ते हैं ताकि यहां से और आगे माल बेचकर निकल सके।
    सरकार ने बहुत सी ऐसी प्रणालियों की है जिसमें सिंगल विंडो क्लीयरेंस की बात की गई है कि – आप एक ही बार में सारे के सारे बिल पास करा ले जाएंगे ,या फिर एक ही अधिकारी से सारे के सारे काम करा ले जाएंगे ,उस तरह के प्रयास चल रहे हैं।

इसी क्रम में प्रवासी भारतीय दिवस भारत में लगातार मनाया जा रहा है महात्मा गांधी जी के भारत आने के याद में। उसमें किसी न किसी देश में जो प्रवासी भारतीय  हैं उनको बुलाकर इन्वेस्टमेंट के लिए आकर्षित किया जाता है । तो इस तरह से प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाते हैं। इस बार प्रवासी भारतीय दिवस भुवनेश्वर में मनाया जा रहा है। तो कहने का मतलब यह है कि हम लोग दुनिया भर में अपने लोगों को इन्व्हाईंट कर रहे हैं  – की आओ और भारत में निवेश करो।

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ऐसा नहीं है कि और लोगों को हम नहीं बोल रहे हैं कि आओ ,लेकिन अपने लोग जो भारत के बाहर गए हुए हैं वह भी यहां आने पर निवेश करेंगे। ऐसे ही प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी तरफ से इन्वेस्टर फ्रेंडली चार्ट बनाने की बात की है और तो और एरियल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए अब फिलहाल हमारे यहां पर 148 से अधिक एयरपोर्ट वर्किंग है। इससे क्या होता है कि दुनिया भर के लोग भारत के और भी छोटे-छोटे स्थान को निवेश डेस्टिनेशन के रूप में अब चुन रहे हैं। तमाम प्रयास सरकार के द्वारा इस क्रम में किया जा रहे हैं। रिजर्व बैंक भी अपने स्तर पर जो प्रयास कर सकती है कि वह आसान तरीके से निवेश के संसाधनों को विकसित करने देना ,इंटरेस्ट रेट को कम करना ,बैंक रेट्स को कम करना सो that कि बैंक आराम से लोन उपलब्ध कराएं , बैंकिंग का लाभ मिले जैसे अभी एसबीआई जो है वह गिफ्ट सिटी के अंदर अपनी ब्रांच के लिए डॉलर्स लोन ले रही है। so that वहां काम करने वाले लोगों को इन्वेस्टमेंट के लिए पैसा मिल सके डॉलर के अंदर ,वह अपना व्यापार बड़ा कर सके। तो इस तरह से हम व्यापार को फैसिलिटेट करने वाले बन रहे हैं इसलिए लोग हमें अपने आपचुन रहे हैं।

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india eyes $100 bln annual foreign direct investment in coming years -it minister

भारत टारगेट कर रहा है कि हम 100 बिलियन एनुअल फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की तरफ जाएंगे तो बेहतर है अगर देश में इस तरह के निवेश आते है। तो इससे बाजार को क्या फायदा होता है – बाजार के अंदर इस तरह के निवेश इस सूचना को दर्शाते हैं कि भारत सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहा है। अगर यही उल्टा हो जाता कि एफडीआई लगातार घटते जा रहे हैं यह दर्शाता की सरकार अस्थिरता की तरफ जा रही है लोग देश में निवेश नहीं करना चाह रहे है। भारत में निवेश बढ़ रहा है यानि भारत का स्टॉक फ्यूचर जो है वह SECURE है ,हम लोग SECURE की तरफ आगे बढ़ रहे हैं यह दर्शाता है।

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