Breaking
January 3, 2025

क्या SECTION 498A IPC के कानून का गलत इस्तेमाल हो रहा है?

हमारे देश में महिलाओं के प्रोटेक्शन के लिए कई सारे कानून लाए गए थे ,चाहे वह DOWRY से रिलेटेड हो ,या फिर SECTION 498A हो IPC का। और यह काफी जरूरी भी था क्योंकि जिस प्रकार से आप अपने देश में देखोगे ,तो यहां पर DOWRY को लेकर डिमांड होती है , ससुराल में हस्बैंड के द्वारा उनके ,फैमिली के द्वारा महिलाओं के ऊपर अत्याचार किए जाते हैं ,तो काफी जरूरी था कि महिलाओं को प्रोटेक्शन मिले। लेकिन हो क्या रहा है कि यहां पर यह बात सबको पता थी कि उसका गलत इस्तेमाल भी महिलाओं के द्वारा किया जाता है , लेकिन अभी तक उसके बारे में कोई ऐसा चर्चा नहीं कर रहा था। रिसेंटली आपको याद होगा अतुल सुभाष का केस आया ,उसके बाद से आप देखोगे तो यह जो सारे मैटर्स हैं ,जिस प्रकार से कानून का गलत इस्तेमाल हो रहा है , उसको लेकर काफी हाईलाइट किया जाए।

ये भी पढ़िए>>> क्या भारत एक मिडल इनकम ट्रैप में फंस कर रह जाएगा?

अभी लेटेस्ट सुप्रीम कोर्ट में काफी बड़ा केस आया और सुप्रीम कोर्ट ने वाइफ को बहुत ज्यादा क्रिटिसाइज किया है और कहां है क्या आप ऐसे कैसे गलत इल्जाम लगा सकते हैं अपने हस्बैंड के ऊपर और अपने हस्बैंड के फैमिली के ऊपर। ये आप देख सकते हो Another misuse of domestic violence law: Supreme Court warns wife for filling false FIR और उसको थोड़ा डिटेल से समझेंगे कि पूरा मामला क्या था और आप भी चौंक जाओगे ,जिस प्रकार से वाइफ के द्वारा हरकत की गई यहां पर वह एकदम भी एक्सेप्टेबल नहीं है।

एक्जेक्टली हुआ क्या है ?

देखिये सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया ने रिसेंटली एक महिला को काफी क्रिटिसाइज किया ,क्योंकि यहां पर इससे सिद्ध होता है कि उस महिला ने जो कानून है उसका गलत इस्तेमाल किया गया था ,मतलब एक ऐसा कानून जो महिलाओं के प्रोटेक्शन के लिए लाया गया था यहां पर ताकि डोमेस्टिक वायलेंस उसके ऊपर ना हो उसके बावजूद उस महिला ने उसे कानून का गलत इस्तेमाल किया। देखिए यहां पर वह जो महिला है ,वाइफ है उसने पुलिस के पास मिस लीडिंग केस दर्ज कराया था under section ipc section 498A और साथ ही साथ जो DOWRY ACT है उसके खिलाफ ,अपने हस्बैंड और अपने इन लॉस के खिलाफ।

ये भी पढ़िए>>> इजरायल में फिलिस्तीनी वर्कर्स को रिप्लेस कर दिया है इंडियन वर्कर्स ने: इससे इंडिया को क्या मिलेगा?

तो यहां पर क्वेश्चन पहले यही आता है कि – यह पूरा केस था क्या ? जो सुप्रीम कोर्ट में जो डाटा प्रेजेंट किए गए ,जो चीजे बताई गई ,उसके हिसाब से पता चलता है कि यहां पर जो महिला है ,जो वाइफ है ,वह अपने हस्बैंड के घर से कई बार भाग चुकी थी और वह क्यों भागी थी ,क्योंकि अपने शादी के दौरान ही वह किसी दूसरे आदमी से बात करने लग गई थी और उसी के चक्कर में वह अपने हस्बैंड का घर छोड़कर वह भाग गई थी और हस्बैंड ने बाद में जाकर उसको एक्सेप्ट तभी किया जब वाइफ ने written assurance दिया ,वाइफ ने पुलिस से एडमिट किया यह बात की – “हां मैं अपना मेट्रोमोनियल घर छोड़कर चली गई थी ,भाग गई थी ताकि मैं किसी दूसरे के साथ रह सकूं “। लेकिन यहां पर जो हस्बैंड है उसने दोबारा उसको एक्सेप्ट भी कर लिया और कहा कि “ठीक है ,आज written assurance दो कि फिर से यह चीजे नहीं होगी “। लेकिन पता चलता है कि written assurance देने के बावजूद भी वह जो वाइफ है वह बार-बार इस तरह की हरकतें कर रही थी ,घर छोड़ छोड़ कर किसी दूसरे हस्बैंड के पास चली जाती थी। और इन फैक्ट उस वाइफ के बच्चे भी हैं ,सोचिए माइनर किड्स है ,यहां पर उसके बावजूद भी यह सारी चीजे हो रही थी और उसका हस्बैंड ने बहुत ज्यादा परेशान होकर अपने वाइफ को लीगल नोटिस भेज दिया और कहा कि “मैं यहां पर डाइवोर्स चाहता हूं “और इसको देखते हुए वाइफ ने बदला लेने की सोची ,वाइफ को लगा कि उसका हस्बैंड कैसे डाइवोर्स दे सकता है और इसीलिए उसने अपने हस्बैंड के खिलाफ FIR दर्ज कराया under section 498A of IPC और साथ ही साथ dowry केस। और देखिए यहां पर जो वाइफ ने FIR दर्ज कराया ,वह सिर्फ हस्बैंड नहीं ,अपने जितने भी इन लॉस हैं ,हस्बैंड की जो फैमिली है ,उन सभी के खिलाफ , कि – “उसके ऊपर अत्याचार हुआ है ” DOWRY मांगा जा रहा है। मतलब एक मिसालीडिंग केस , गलत तरीके से चीजों को प्रेजेंट किया और पुलिस ने यहां पर FIR भी दर्ज कर लिया। क्योंकि जो कानून हमारे देश में चलता रहा है ,वह काफी हद तक महिलाओं के प्रोटेक्शन के लिए था ,ताकि पुलिस यहां पर बाधा ना बने ,पुलिस को FIR दर्ज करना ही पड़ता और इसीलिए पुलिस ने FIR दर्ज कर लिया।

ये भी पढ़िए>>> क्या पाकिस्तानी आर्मी बांग्लादेश में जा रही है?

यह तो आप समझिए मामला हाई कोर्ट में गया और हाईकोर्ट ने इंटरव्यू किया और कहा कि – पुलिस जो है वह हस्बैंड और उसकी फैमिली को अरेस्ट ना करें ,यहां पर हाई कोर्ट का कहना था – कि जब तक पुलिस charge sheet फाइल नहीं कर देती ,तब तक पुलिस को कोई एक्शन नहीं लेना चाहिए। क्योंकि , अगर कोई पूछताछ वगैरा करनी है तो पुलिस कर सकती है हस्बैंड से और उनकी फैमिली से ,लेकिन उसके लिए उनको जेल में रखने की जरूरत नहीं है। तो महिलाओं के खिलाफ कानून से रिलेटेड जो पूरा मेट्रोमोनियल डिस्प्यूट है और जो एब्यूज है ,यहां पर यह सारी चीजे तब हाईलाइट हो रही है स्पेशली अतुल सुभाष का जो केस सामने आया था – कि किस तरह से अतुल सुभाष को भी यह सारी चीजे झेलनी पड़ी और अल्टीमेटली उसने यहां पर सुसाइड कर लिया था। लेकिन देखिए यहां पर जो हस्बैंड और उसकी फैमिली है ,वह चाहती थी कि FIR जो है उसको रद्द कराया जाए और इसीलिए अल्टीमेटली ये लोग सुप्रीम कोर्ट के पास जाते हैं और फाइनली सुप्रीम कोर्ट ने इस चीज को माना कि – जिस तरह से यहां पर वाइफ ने कानून का गलत इस्तेमाल किया है ,वह सही नहीं है। इनफैक्ट सुप्रीम कोर्ट के जजमेन्ट में ये भी कहना था – जिस प्रकार का allegations वाइफ ने लगाया वह बहुत ही vague था ,मतलब यहां पर FIR में वाइफ का कहना था की हस्बैंड ने harass किया है। लेकिन किस तरह से हरास किया ,किस प्रकार का हरासमेंट था ,उसके बारे में कोई डिटेल नहीं दी गई है , ना तो कोई टाइम दिया गया ,ना तो कोई डेट ,ना कोई प्लेस और वाइफ का किस मैनर में हरासमेंट हुआ है , ऐसा कोई भी स्पेसिफिक डिटेल वाइफ ने नहीं बताया, वाइफ ने बोल दिया कि मेरे पर हरासमेंट हुई है और हस्बैंड और उसके फैमिली के खिलाफ FIR दर्ज कर दिया जाता है। तो इसलिए सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि FIR lack concrete and precise allegations और देखिए यहां पर एक्चुअली सुप्रीम कोर्ट ने इस चीज को माना, मतलब जो चीजे सुप्रीम कोर्ट में बताई गई। अगर आप डेट देखोगे तो उसी से आपको समझ में आ जाएगा की हस्बैंड के ऊपर किस प्रकार का फॉल्स केस लगाया गया , क्योंकि जो हस्बैंड है वह परेशान होकर उसने डाइवोर्स मांगा था और उसने डाइवोर्स कब मांगा था 13th दिसंबर 2021 को ,तो यहां पर जो वाइफ है उसने 01 फरवरी 2022 को FIR दर्ज कराया। मतलब अभी तक वाइफ ने अपने हस्बैंड के खिलाफ ,अपने इन लॉस के खिलाफ कोई भी FIR दर्ज नहीं कराया था ,लेकिन जैसे ही हस्बैंड ने डाइवोर्स मांगा वैसे ही वाइफ अपने हस्बैंड के खिलाफ और अपने इन लॉस के खिलाफ FIR दर्ज कर देती है और इसी को देखते हुए यहां पर सुप्रीम कोर्ट का यह कहना है कि- “It is noteworthy that she has not only deserted him but has also abandoned her to children ” तो उसकी जो दो बच्चे हैं उसको भी उसने छोड़ दिया और इस समय वह दोनों बच्चे हस्बैंड के ही कस्टडी में है और साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि – जो वाइफ के हस्बैंड की फैमिली है ,इन लॉस है उनका इससे कोई लेना देना नहीं है ,यह कहना कि इन लॉस ने प्रताड़ना की है हरासमेंट किया है ,यह भी एक तरह से गलत होगा।

ये भी पढ़िए>>> 36 साल से बैन की हुयी किताब अब भारत में हुयी रिलीज : जानिए क्या है पूरा मामला।

तो अल्टीमेटली क्या है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा जजमेंट दिया है और यहां पर यह कहा है कि – section 498A का गलत इस्तेमाल भी होता है। यह जो section 498A है IPC के अंदर ,यह लाया इसी ले गया था क्योंकि बहुत सारे केसेस सामने आते थे ,जब यहां पर शादी के बाद वाइफ के ऊपर काफी अत्याचार होता है ,जो इन लॉस है वह कई बार DOWRY की डिमांड करते हैं ,पैसे मांगते हैं ,नहीं मिलता है तो हस्बैंड के द्वारा उसके फैमिली के द्वारा वाइफ के ऊपर अत्याचार जैसी चीजे होती है। तो उसको कहीं ना कहीं रोकने के लिए यहां पर जो कानून है यह जो 498 A है उसको लाया गया था ताकि इस प्रकार की अगर कोई भी चीज होगी तो तुरंत हस्बैंड और उसकी फैमिली को अरेस्ट किया जा सकता है। लेकिन इसका मिसयूज भी किया जा रहा है ,यह सही नहीं है इन फैक्ट सुप्रीम कोर्ट तो यह तक बोल दिया कि अगर इस तरह के कोई भी केसेस आते हैं तो पुलिस को अच्छे से छानबीन करना चाहिए ,उसके बारे में प्रॉपर डिटेल देखनी चाहिए। अगर वाइफ के द्वारा कोई FIR दर्ज कराई जाती है और उसमें एलिगेशन बहुत ही VAGUE है जिसमें क्रिस्टल क्लियर चीज नहीं बताई गई है ,तो यहां पर पुलिस को हस्बैंड के खिलाफ एक्शन लेने से पहले सोचना चाहिए कि – आखिरकार यह चल क्या रहा है ? मतलब इस तरह का जो FIR है उसका वाइफ के द्वारा गलत इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा – कि “हम यह नहीं कह रहे हैं कि ऐसा कानून नहीं होना चाहिए ” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह जो भी हमारे इंटरप्रिटेशन है इसका मतलब यह नहीं है कि यह section 498 A ,या फिर जो dowry act है ,उसको खत्म कर दो ऐसा नहीं है ,वह रहना चाहिए क्योंकि वह महिलाओं के प्रोटेक्शन के लिए है लेकिन उसका गलत इस्तेमाल ना हो यह हमें इंश्योर करना चाहिए।

ये भी पढ़िए>>> Russia invent Cancer Vaccine:जानिये कैसे पूरी मानवजाति के लिए वरदान साबित हो सकती रूस की Cancer Vaccine!!

आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया है ?

सुप्रीम कोर्ट ने जो FIR है उसको कैंसिल करने के लिए कहा है ,यह कह दिया है कि जो हस्बैंड के ऊपर चार्ज लगाए गए ,उसके ऊपर जो फिर था और उसके इन लॉस के ऊपर वह हटा दिया जाए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने एक error किया है not quashing FIR करके और यह पावर देखो कहां से मिलती है ,अगर आप देखोगे Section 482 of the Code of Criminal Procedure (CrPC) की अगर कोर्ट चाहे तो जस्टिस दिलाने के लिए ,मतलब अगर किसी चीज का कोई लीगल प्रोसेस में एब्यूज किया गया है , तो उसको प्रीवेंट कर सकती है अपने पावर का इस्तेमाल करके और उसी का इस्तेमाल किया है section 482 का और सुप्रीम कोर्ट ने FIR को Quashed कर दिया है।

कंक्लुजन इसका यही निकलता है कि देखिए जो जजमेंटल है वह वापस से रिइंफोर्स करता है इस बात को कि यहां पर जो भी लीगल प्रोविजंस बनाएं गए हैं ,विक्टिम को एक प्रकार से प्रोटेक्ट करने के लिए ,उसका गलत इस्तेमाल ना हो। Further जजमेंट हाईलाइट करता है the importance of protecting innocent family members from wrongful prosecution ,पर्टिकुलर इस तरह के केस में जहां पर बेसलेस क्लेम किए जाते हैं। तो एक अच्छी चीज यहां पर की ,इधर भी ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि कहीं ना कहीं जो कानून वगैरह हो गया था ,एक बार आप FIR दर्ज कराती तो हस्बैंड को अरेस्ट कर लिया जाता था ,तो इसको ध्यान देना चाहिए ,दोनों चीजे बैलेंस होकर चलनी चाहिए एक तरफा नहीं होना चाहिए।

ये भी पढ़िए>>> Case study of Vivek Oberoi: सिर्फ एक्टर या सक्सेसफुल बिज़नेसमैन और इन्वेस्टर!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *