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January 31, 2025

क्या बजट 2025 में रोटी कपड़ा और मकान affordable बन पाएगा?

बचपन से यह जो डायलॉग है ना रोटी ,कपड़ा और मकान यह आप सुनते आ रहे होंगे ,कभी पॉलीटिशियंस के द्वारा बोला जाता है ,कभी फिल्मों में काफी ज्यादा दर्शाया जाता है। तो क्या है कि इस बार का जो बजट है इसमें कहीं ना कहीं रोटी ,कपड़ा और मकान यह बहुत ज्यादा फोकस करने वाले हैं ,क्योंकि जिस प्रकार से इन्फ्लेशन बढा है ,स्पेशली फूड इन्फ्लेशन अगर हम बात करें ,काफी ज्यादा चिंताजनक है और जो आम आदमी है उसके लिए कहीं ना कहीं यह अफोर्ड करना मुश्किल होता जा रहा है। तो इसको थोड़ा सा देखेंगे कि आखिरकार रोटी कपड़ा और मकान यहां पर क्या इश्यूज है और क्या बजट 2025 में इसको एड्रेस किया जा सकता है? मतलब क्या कदम लेने चाहिए? एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

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एक्जेक्टली हो क्या रहा है?

बजट 2025 जल्दी आने वाला है आपको पता है ,saturday को निर्मला सीतारमण जी काफी सारी अनाउंसमेंट करेंगी ,लेकिन उनके लिए जो सबसे बड़ा चैलेंज है इस समय वह है ,Rising Cost of Essentials ,जैसे की रोटी ,कपड़ा और मकान की जो हम बात कर रहे थ। क्योंकि यह कहीं ना कहीं पूरे हाउसहोल्ड की सबसे बड़ी फाउंडेशन होती है। किसी भी घर में अगर आप देखोगे तो रोटी कपड़ा और मकान यह नेसेसिटी है ,अगर यह भी महंगा हो जाएगा बहुत ज्यादा ,तो कहीं ना कहीं जनता परेशान होगी ,लोग परेशान होंगे और यह इस समय काफी ज्यादा प्रेशर में चल रहा है। एक दो कारण है एक तो इन्फ्लेशन काफी ज्यादा हो रहा है साथ ही साथ जो इनकम से वह stagnate हो गई है। तो क्या होता है ना कि अगर मानो इन्फ्लेशन है लेकिन साथ ही साथ लोगों की नौकरियां बढ़ रही है ,लोगों की इनकम बड़ी है ,तब तो कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता ,लेकिन प्रॉब्लम यह हो गया है – कि एक तरफ इन्फ्लेशन बढ़ रहा है अफोर्ड नहीं हो पा रहा है ,दूसरी तरफ लोगों का जो इनकम बढ़ना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है। तो दोनों तरफ से प्रॉब्लम है और इसीलिए इस बार का जो यूनियन बजट है ,वह काफी ज्यादा इंपॉर्टेंट होगा इसी दृष्टिकोण से – की क्या वह इसको अफॉर्डेबल बना सकते हैं कि नहीं।

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ROTI : FOOD INFLATION

सबसे पहले अगर हम रोटी की बात करें FOOD INFLATION ,तो वहां पर क्या प्रॉब्लम है ? एक्चुअली अगर आप देखोगे तो फूड प्राइसेज पिछले 1 साल ,2 साल से काफी ज्यादा प्रेशर में रहे हैं। इंपैक्ट अगर हम आपको बताये जो NSSO (NATIONAL SAMPLE SURVEY OFFICE) का आंकड़ा आया है ,उसमें बताया गया है – कि एक हाउसहोल्ड अपना 40% इनकम जो है सिर्फ खाने पर खर्च कर देता है। तो आप सोचिए अगर आप अपने इनकम का 40% सिर्फ इसी पर खर्च कर दोगे ,तो बाकी की जो नीड्स है वह आप कैसे पूरे कर पाओगे। 2024 में जो फूड इन्फ्लेशन है ,जैसे टोमेटो के प्राइसेस 161% बढ़े हैं। POTATO (आलू ) की बात अगर हम करें ,तो 65% का इंक्रीज हुआ है।सरकार ने यहां पर जो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना (PMGKAY)है ,उसको एक्सटेंड किया है 80 करोड लोगों के लिए। साथ ही साथ 2024 25 में अगर हम बात करें तो सरकार का जो फूड सब्सिडी बिल है वो एक्चुअली कम हुआ है उसके पिछले साल के मुकाबले। मतलब 2023 -24 में अगर आप देखोगे तो सर्कार ने जो फ़ूड सब्सिडी दिया था ,वह था 212000 करोड़ का ,यह कम होकर हो गया 205000 करोड़ का। तो एक्सपर्ट का ऐसा मानना है – कि हमें स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स की जरूरत है।

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WHAT BUDGET CAN DO?

बजट 2025 फूड इन्फ्लेशन को कंटेंट करने में क्या कर सकता है ,तो देखिए यहां पर कुछ टारगेटेड मेजर्स लेने होंगे। एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि सरकार को RBI के साथ मिलकर जो इंटरेस्ट रेट है ,उसको बैलेंस करने की कोशिश करनी चाहिए। स्पेशली क्या होता है ना जो रूपी का एक्सचेंज रेट है वह काफी ज्यादा असर डालता है इन्फ्लेशन के ऊपर। क्योंकि आपको पता है बहुत सारा जो क्रूड ऑयल है वह हम बाहर से मंगाते हैं ,पेट्रोल डीजल की जब प्राइसेस बढ़ते हैं ,तो डायरेक्टली फूड इन्फ्लेशन भी होता है। फिर दूसरा यहां पर एडिबल ऑयल (EDIBLE OIL) ,अभी भी भारत काफी ज्यादा निर्भर करता है विदेश से , जो हमारा एडिबल ऑयल आता है। तो क्या होगा कि अगर हमारा एक्सचेंज रेट रूपी आपको पता है कितना तेज़ी से depreciation हुआ है ,86 के पार चला गया है। Dollar to Rupee अगर आप देखोगे तो यहां पर हमें और ज्यादा pay करना पड़ता है रुपीस के गिरावट की वजह से। वन ऑफ़ द बिगेस्ट रीजन कि यहां पर सरकार को इसके ऊपर फोकस करने की कोशिश करनी चाहिए। फिर इसके अलावा यहां पर जो फूड सब्सिडी प्रोग्राम है ,वह सरकार एक्सपैंड कर सकती है ,जो एग्रीकल्चरल प्रोडक्शन सपोर्ट है वह दे सकती है 2025 के बजट में ,ताकि प्राइस स्टेबलाइज हो सके फूड इन्फ्लेशन में। यहां पर सरकार जो है उज्ज्वला योजना जैसा प्रोग्राम वह लॉन्च कर सकती है ,एक्सपेंड कर सकती है , इसमें क्या है कि अभी के लिए जो LPG है वह LOW इनकम हाउसहोल्ड को दिया जाता है ,उसको बादमे इंक्रीज कर सकती है – की और भी लोगों को यहां पर वह उज्ज्वला योजना का फायदा मिले। फिर अब क्या है कि उज्ज्वला योजना के अंदर जो गैस सिलेंडर पर सब्सिडी है वह ₹300 मिलता है ,तो बाकी लोगों के लिए आपको पता है पहले तो गैस पर काफी सब्सिडी मिला करता था ,हर एक व्यक्ति को हर एक हाउसहोल्ड को ,लेकिन धीरे-धीरे करके सरकार ने हटा दिया। तो देखना होगा कि सरकार इस बजट में क्या ऐसा कुछ लाने वाली है सिलेंडर सब्सिडी को लेकर। फिर 2025 में कुछ टैक्स एक्सेंप्शन सरकार ला सकती है एसेंशियल फूड्स के ऊपर ,प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना क्या उसको और ज्यादा एक्सपेंड किया जाएगा। तो यह सब यहां पर देखने वाली बात होगी।

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MAKAAN : THE DREAM

आज के डेट में मकान लेना अपने आप में एक सही में बहुत बड़ा सपना बन गया है। स्पेशली बड़े शहरों में मुंबई ,दिल्ली और गुड़गांव में जिस प्रकार से घर के दाम बढ़े हैं ,मतलब भयंकर तेजी से और कई बार आप खबर भी सुनते रहते होंगे 6 करोड़ के घर जो है ,वह मतलब हजार फ्लैट जो है अचानक से आया DLF लेके और 2 घंटे के अंदर अंदर पूरा का पूरा बिक गया तो इस तरह की खबरे सुनने को मिलती है और इसीकी वजह से क्या हो रहा है – कि बड़े शहरों में जो प्रॉपर्टी के प्राइसेस है 2024 में लगभग 30% तक बढ़े हैं ,2024 25 में इसी को देखते हुए सरकार ने Housing and Urban Affairs Ministry को बजट में 20.4% का एलोकेशन ज्यादा किया था और इसमें सबसे इंपॉर्टेंट था प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)। कहीं ना कहीं सरकार अफॉर्डेबल हाउसिंग के ऊपर फोकस करना चाहती है ,क्योंकि यह सब जो घर बन रहे हैं इस समय बड़े शहरों में वह तो आम आदमी के रीत से काफी बाहर हो चुका है ,बहुत ज्यादा महंगे हो चुके हैं ,लेकिन 36. 5% का हाईक किया गया था प्रधानमंत्री आवास योजना में ,लेकिन इसमें भी प्रॉब्लम क्या है – कि 2015 से सरकार ने 1.2 करोड़ का सैंक्शंस किया था कि इतने सारे घर बनाए जाएंगे। लेकिन उसमें से सिर्फ 91 लाख ही पूरा हो पाया है ,अभी भी 30 लाख से ज्यादा जो घर है वह बनकर देना बाकी है। सरकार को कहीं ना कहीं अफॉर्डेबिलिटी गैप पर फोकस करना होगा कि कैसे जो घर है वह और ज्यादा अफॉर्डेबल बनाए जा सके ,स्पेशली अर्बन एरियाज के अंदर। तो इसके लिए एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार को जो टैक्स डिडक्शन है होम लोन पर वह इंक्रीज कर देना चाहिए । मान लीजिए आप जो होम लोन ले रहे हो उसके ऊपर जो आप इंटरेस्ट pay करते हो ,तो वह आपका टैक्स में डिटेक्ट हो जाता है ,आपको उसके ऊपर टैक्स नहीं देना पड़ता। तो उसमें जो लिमिट है वो सरकार को बढ़ाना चाहिए , ताकि जो आप लोन लिए हो वो आपका टैक्स फ्री हो जाए। बोला गया है कि अफॉर्डेबल हाउसिंग इनिशिएटिव को और ज्यादा broaden करना चाहिए सरकार को ताकि और लोगों को यह घर मिल सके। डेवलपर्स जो है ,जो घर बनाते हैं ,रियल एस्टेट प्लेयर उनको भी सरकार को इंसेंटिवाइज करना चाहिए ताकि मिडिल क्लास फैमिली के लिए जो सस्ते दाम पर घर हैं वह बना सके ,क्योंकि अभी वह उसके ऊपर फोकस नहीं करते हैं ,अभी ज्यादातर बड़े-बड़े हाउसिंग कंपलेक्स ,घर है उसके ऊपर फोकस किया जाता है। हम मिडिल क्लास फैमिली के लिए घरों पर फोकस अभी नहीं हो रहा है। बताया जा रहा है कि माइग्रेन वर्कर्स के लिए जो स्कीम लॉन्च किया गया था ,Affordable Rental Housing Complexes (ARHC) यह कहीं ना कहीं इसके ऊपर सरकार और ज्यादा फोकस कर सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि Public Private Partnerships पर ज्यादा फोकस करना चाहिए ताकि जो कंस्ट्रक्शन हो गया अफॉर्डेबल रेंटल ऑप्शंस को लेकर वह सरकार प्रोवाइड कर सके। फिर इसके अलावा जो एक एंबिशियस गोल है 1 crore urban homes under Pradhan Mantri Awas Yojana Urban 2.0। क्या उसको सरकार और पुश करेगी ,क्या और ज्यादा पैसा allocate करेगी ,ताकि घर लोगों के लिए अफॉर्डेबल बन सके।

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KAPADA : THE TEXTILE SECTOR

कपड़ा टेक्सटाइल सेक्टर ये बहुत इंपॉर्टेंट है ,भारत के टेक्सटाइल सेक्टर में 45 मिलियन पीपल 4.5 करोड़ लोग employee है ,तो बहुत सारे लोग इसके ऊपर डिपेंडेंट है ,अगर टेक्सटाइल सेक्टर हमारा इंपैक्ट होगा तो बहुत से लोगों की नौकरियां जाती हैं। तो इस समय डॉमेस्टिक डिमांड कम हो गई है ,जो National Account Statistics आया था उसके आधार पर बताया गया कि लोगों का जो खर्चा है ,पहले मान लो 6% लोग कपड़ों के ऊपर खर्चा करते थे ,वह कम होकर 4% पर रह गया है। डिमांड कम हो गई है ,तो जब डिमांड कम होगी तो टेक्सटाइल सेक्टर संकट में आएगा ,इसके अलावा इनपुट कॉस्ट इंक्रीज हो रहा है ,ग्लोबल कंपटीशन बढ़ रहा है। तो कहीं ना कहीं सरकार को देखना चाहिए कि क्या कर सकते हैं? स्पेशली अभी बांग्लादेश में जो हुआ बांग्लादेश अपने आप एक बड़ा प्लेयर बन गया था ,तो क्या सरकार ने उसका फायदा उठाया कि नहीं ,क्या हमने वह जो बेस है उसको भारत शिफ्ट किया कि नहीं ? तो 2024 25 में जो बजट आया था ,उसमें सरकार ने काफी इंक्रीज किया था ,पहले के साल में 3400 करोड रुपए टैक्सटाइल सेक्टर को allocate किए गए थे , यह बढ़ाकर 4400 करोड रुपए कर दिया गया था और तो इसकी वजह से माना जा रहा था कि जो भारत है ग्लोबल टैक्सटाइल एक्सपोर्ट में हिस्सा अपना बढ़ा सकता है ,लेकिन प्रॉब्लम क्या है यह अभी भी सिर्फ 3.9% पर है। हम अपना जो ग्लोबल टैक्सटाइल एक्सपोर्ट है उसको बढ़ा नहीं पाए है , तो वह कैसे बढ़ाया जाए वह सरकार को फोकस करना चाहिए।

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WHAT BUDGET 2025 CAN PLAN FOR KAPADA BUSINESS

जो टेक्सटाइल सेक्टर है उसमें एक तो फाइनेंशियल और स्ट्रक्चरल दोनों तरह के रिफॉर्म्स चाहिए ,मतलब की फाइनेंसियल के तौर पर एक तरह से मान लीजिए GST रेट हो गया बेसिक गारमेंट्स वो लोगों को सस्ता कराना है ,उसके ऊपर GST सरकार कैसे कम कर सकती है। Domestic Textile Production वो कैसे सरकार और incentivise करके बढ़ा सकती है। सरकार को Modernisation पर ज्यादा फोकस करना चाहिए , जैसे स्कीम लाया गया था Technology Upgradation Fund Scheme (TUFS) ,हमारे देश में टेक्सटाइल सेक्टर बहुत पुराने टाइम से चलता रहा है ,लोग वही हाथ से ,जो छोटे-मोती मशीन है ,पुराने मशीन है उसी पर आपका डिपेंडेंट है। अब सरकार उसको और कैसे मॉडर्नाइज कर सकती है ,क्योंकि जब तक टेक्सटाइल सेक्टर हमारा मॉडर्नाइज नहीं होगा ,नए इक्विपमेंट नहीं लेंगे ,तब तक हम competitive नहीं हो सकते हैं ,affordable नहीं हो सकते हैं।

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CONCLUSION

फूड हाउसिंग और क्लॉथिंग इसमें सरकार को अफॉर्डेबिलिटी लानी होगी या अफॉर्डेबिलिटी क्राइसिस के दौर से हम इस समय गुजर रहे हैं। तो 2025 का जो बजट होगा It must not only provide immediate relief but long term solution पर भी सरकार को फोकस करना चाहिए। renewed consumption ,economic stability सब कुछ इंपॉर्टेंट है हमारे लिए ,अब सारी निगाहे इस समय फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण जी पर है कि वह saturday को किस तरह का बजट पेश करती है। क्या रोटी ,कपड़ा ,मकान क्या वापस से अफॉर्डेबल बन पाएगा कि नहीं बन पाएगा?

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