भारत ने हाल ही में डिफेंस सेक्टर में अपनी नेवी के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है और वह उपलब्धि है सबमरीन से चलने वाली न्यूक्लियर मिसाइल के बारे में। यह न्यूक्लियर कैपेबल मिसाइल या फिर यह कहिए कि न्यूक्लियर मिसाइल, न्यूक्लियर सबमरीन से चलाई गई है। यह अपने आप में सोने पर सुहागा टाइप की न्यूज़ है जो आज आप पढ़ रहे हैं।
ये भी पढ़िए>>> Adenovirus Infection in Children: अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए लक्षण एवं उपचार जानें
that means मिसाइल खुद न्यूक्लियर बम गिराने के सक्षम है और जिससे चलाई गई है, वह ले जाने वाला जो कैरियर है ,वह न्यूक्लियर सबमरीन है। तो न्यूक्लियर सबमरीन से न्यूक्लियर वेपन चलाना यह अपने आप में बहुत डेडलिएस्ट कांबिनेशन है जो हाल ही में भारत ने अचीव किया है। सबमरीन्स पानी के भीतर चलने वाले समुद्री जहाज हैं जिनके अंदर मिसाइलों को इस प्रकार से सुरक्षित रखा जाता है ,कि दुश्मन को उनके बारे में जानकारी ना हो और वह दुश्मन के क्षेत्र में जाकर आसानी से अपना कार्य पूरा कर सके।
यही कारण है की हेडलाइंस बनती है कि इंडिया का न्यूक्लियर आर्सेनल अब बहुत सक्षम हो गया है। इंडिया ने अपनी सबमरीन INS ARIGHAT से K4 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर लिया ह। यहां पर दो इंपॉर्टेंट सूचनाओं हैं पहला मिसाइल का नाम K4 और दूसरा जीस सबमरीन से चलाया गया है उसका नाम है INS ARIGHAAT । इससे इंपॉर्टेंट एक बात और बताने की है और वह यह है कि यह अखबारों में तो खबर दिखाई दे रही है लेकिन कहीं भी किसी सरकारी अधिकारी के ट्विटर हैंडल पर नहीं है ,ना रक्षा मंत्री के, ना प्रधानमंत्री के, ना कोई डिफेंस के तो फिर यह सूचना यहां आ कैसे गई ? रक्षा सूत्रों के हवाले से यह खबर न्यूज़ एजेंसी ANI तक आई ANI ने यह सारी खबरें सबको बताई। अब बात यह निकाल कर आती है कि ऐसे में यह मिसाइल चली भी है ,कि नहीं चली है इसकी क्या गारंटी है। तो इसके बारे में इतना सा जान लीजिए क्योंकि सबमरीन अपने आप में ही एक सुरक्षित और गुप्त रखी जाने वाली सुरक्षा फैसिलिटी होती है। सबमरीन का अर्थ ही है पनडुब्बी , पानी में डूब कर चलने वाली अर्थात दुश्मन को ना पता चले , एडरवाइज तो खूब चौड़े में चलाओ ना दिक्कत क्या है। पानी के ऊपर चलाओ दुश्मन को देखना चाहिए कि आप आ रहे हो लेकिन पनडुब्बी का कॉन्सेप्ट यह है कि वह पानी में इसलिए डूब के चलती है ताकि किसी को ना पता चले कि वह कहां है ,तो ऐसी में उस पनडुब्बी से मिसाइल चली है तो यह लोकेशन नहीं बताई गई है कहां से चलाई गई है और ना ही काबिलियत। लेकिन सूचनाये जानबूझकर ली मतलब निकाली तो जाती है लेकिन इस तरह से नहीं बताई जाती की हां हमने इस तरह का काम इस पर्टिकुलर जगह से किया है। लेकिन न्यूज़ चूँकि सभी मिडिया हाउसेस में छपी है हम उन्हीं को आधार मानकर आपके सामने ये बात लिख रहे है। क्या है तो भारत ने अपनी न्यूक्लियर पॉवर्ड सबमरीन INS ARIGHAT से K4 नाम की सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल(SLBM ) चलाई है , और इसके चलने से अब भारत न्यूक्लियर ट्रायड में शामिल हो गया है ,इसका मतलब अगर जमीन पर स्थितियां सही नहीं है तो हम पानी से भी MISSILE चला सकते हैं।
K-4 बैलिस्टिक मिसाइल:
- K-4मिसाइल एक ठोस ईंधन (Solid-fuelled) पर आधारित मिसाइल है, जिसे DRDO द्वारा विकसित किया जा रहा है।
- इसका उद्देश्य भारत की परमाणु संचालित पनडुब्बियों, जैसे INS अरिहंत और इसकी निर्माणाधीन अन्य पनडुब्बियों को सशक्त बनाना है।
- इसकी मारक क्षमता 3,500 किमी है।
- यह मिसाइल पाकिस्तान के लगभग सभी हिस्सों और चीन के कई क्षेत्रों को अपनी सीमा में ले सकती है।
अगर कई बार युद्ध ऐसा हो की जमीन पर पूरी तरह युद्ध के बादल मंडरा रहे हो ,सुरक्षा की स्थिति खराब हो , तो पानी में अज्ञात स्थान से जाकर के भी हम मिसाइल चला सकते हैं। यह अपने आप में भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि कहला रहा है। कहां से चलाई जाने की सूचना है अगेन इसके बारे में कोई भी कंफर्मेशन नहीं है ,न्यूज़ के माध्यम से पता चल रहा है सरकारी ना तो DRDO ,ना रक्षा मंत्री , ना प्रधानमंत्री किसी ने नहीं कहा है। कहां से चलाई गई है , तो अखबारों की खबर है कि यह विशाखापट्टनम के पास से कहीं चलाई गई है ,पानी के भीतर से। तो क्या खास है जिसकी वजह से इसकी तारीफ की जा रही है ,तो यह पहली बार है कि पनडुब्बी से चलाई गई है मतलब इसका क्या मतलब निकाला तो देखिए अभी तक इस मिसाइल का जब-जब परीक्षण हुआ है ,तो मिसाइल का परीक्षण पानी के भीतर कोई लॉन्च पैड बनाके किया जाता था। पानी के अंदर ही कुछ स्टैंड टाइप का जिसे पैंटून कहते हैं वहां से इसे चलाया जाता था। यानी टेस्टिंग तो इसकी कई बार की जा चुकी है लेकिन इस टेस्टिंग में मतलब इसकी कोई कम से कम पांच बार टेस्टिंग अब तक हो चुकी है इसके 4 मिसाइल की। बाई द वे यह जो K शब्द है यह कलाम से प्रेरित है ,कलाम श्रेणी की यह मिसाइल हैं जो न्यूक्लियर कैपेबल है ,यानी न्यूक्लियर बॉम्ब ले जाकर के फटने वाली मिसाइलें हैं। तो यहां पर इंपॉर्टेंट बात यह है कि यह पनडुब्बी के प्लेटफार्म से चलाई जाती थी, पहले कभी पनडुब्बी से नहीं चलाई। तो दिस इस द फर्स्ट टाइम की इसे सबमरीन से चलाया गया है और वह सबमरीन INS ARIGHAT है।
ये भी पढ़िए>>> Amla (Indian Gooseberry): रोजाना खाली पेट 1 आंवला चबाने के फायदे
समुद्री आधारित प्रतिरोधक क्षमता:
- INS Arihant:
- भारत की पहली स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN)।
- इसे 2016 में नौसेना में शामिल किया गया, जिससे भारत को पहली बार समुद्री हमले की क्षमता मिली।
- INS Arihant ने 2018 में अपनी पहली डिटरेंस पैट्रोल सफलतापूर्वक पूरी की, जिससे भारत की न्यूक्लियर ट्रायड स्थापित हुई।
- INS Arighat:
- यह भारत की दूसरी स्वदेशी रूप से निर्मित परमाणु शक्ति चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है।
- यह INS Arihant की उत्तराधिकारी है।
- S-4:
- यह INS Arihant और INS Arighat के बाद भारत की तीसरी स्वदेशी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है।
- इसमें परमाणु हथियार युक्त बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए अधिक स्थान है।
दो बातें यहां पर आपको अतिरिक्त और जाननी होगी ,भारत के पास जो न्यूक्लियर सबमरीन है उसमें INS अरिहंत और INS ARIGHAT है। अरिदमान अभी बनकर आने वाली है। INS ARIGHAAT हाल में अगस्त में ही हमारी सेना को यानी कि नौसेना को सौंपी गई थी ,यह आप जानकारी देख रहे हैं और इसमें लिखा है DEFENCE MINISTER SET TO COMMISSION INDIA’S SECOND NUCLEAR-POWERED SUBMARINE जिसका नाम INS ARIGHAAT था। इसी साल हमें न्यूक्लियर एनर्जी से चलने वाली INS ARIGHAAT मिली थी।
यह वह सबमरीन होती हैं जिनके चलने में न्यूक्लियर एनर्जी का यूज किया जाता है , यानी कि इनका ट्रैवल करना। देखिए हम फिर से याद दिलाते है , सबमरीन पानी में डूब कर चल रही है सो दैट दुश्मन को उनके आने की भनक न लगे दुश्मन को बना कैसे लगती है सोनार से लगती है साउंड नेवीगेशन एंड रेंजिंग से लगती है। या फिर पानी में बनते बुलबुलों से लगती है ,ऐसे में न्यूक्लियर पावर से जो चलने वाले रिएक्टर से चलने वाली जो सबमरीन होती हैं , यह पानी के भीतर होती है और पानी के भीतर चलते-चलते यह किसी भी प्रकार की आवाज नहीं करती हैं। रिएक्टर की एनर्जी इन्हें लंबा समय तक पानी में डुबो के रखती है INS ARIGHAAT 50 दिन तक पानी के भीतर डूब कर रह सकती है। यानी दुश्मन को ना पता चले और यह लंबी दूरी तय करके जीवन पानी के भीतर बिता सकती है। ठीक है तो ऐसे में INS ARIGHAAT से यह मिसाइल चलाई गई है। अब देखिए कहां से चलाई गई है ?अगर इसकी लंबाई के समानांतर अगर मिसाइल चलाई जाए तो वह न्यूक्लियर मतलब वह नॉर्मल तरीका कहा जाता है। मिसाइल मुंह के सामने से निकाली और चला दी वो निकल करके ऊपर से चली गई जिसको TORPEDO कहते हैं TORPEDO TUBES से निकाल कर चला दी जाए। लेकिन कई बार यह मिसाइल इनके ऊपर का जो यह वाला स्थान है, वहां से लांच की जाती है। मतलब ऊपर की तरह से लांच की जाती है। इस तरह से लांच की जाने वाली मिसाइल जो की सबमरीन की लेंथ के परपेंडिकुलर लॉन्च की जाती है उन्हें वर्टिकल लॉन्च मिसाइल कहा जाता है और यह एक अपने आप में बड़ी टेक्नोलॉजी मानी जाती है। मतलब इसकी लेंथ के पैरलल होकर चलाई जाए तो मिसाइल चलके घूमने जाएगी। लेकिन अगर किसी ने डायरेक्ट सामने से चला दी तो जमीन जैसी ही फीलिंग आती है। जमीन पर से भी मिसाइल यही लॉन्च की जाती है और सबमरीन से भी वर्टिकल लॉन्च की जाती है , तो वर्टिकल कैपेबल मिसाइल रखने वाली जो सबमरीन होती है यह उन्नत किस्म की मानी जाती है ,तो जो हमारी INS ARIGHAAT है वह न्यूक्लियर पावर से चलती है इसलिए न्यूक्लियर सबमरीन है और न्यूक्लियर बम के ले जाने वाली जो मिसाइल्स हैं , उनका परीक्षण कर गई है इसलिए सोने पर सुहागा है यानी कि जो अब K4 मिसाइल हम बता रहे हैं वह इसके वर्टिकली लॉन्च होकर गई है। वर्टिकल लांच होने में दिक्कत क्या होती है ?
ये भी पढ़िए>>> भविष्य के 5 best technology स्किल जो आपको देंगे बेहतर job सिक्योरिटी
देखो जब भी एक्शन और रिएक्शन वाली कहानी है , जब आप गोली चलाते है तो पीछे जो झटका आता है बंदूक चलाने पर पीछे झटका आता है , ऐसे ही सबमरीन जब चलाई जाती है तो यह भी एक PUSH देती हैं और जो मिसाइल चलाई जाती है तो बड़ा सा फ्यूल का सेक्शन पीछे फेकती है आग पीछे फेकती है ,PUSH के लिए इनको दम दिया जाता है पीछे से निकाल करके। तो अगर कोई सबमरीन पानी में है और वहां से आपने मिसाइल लॉन्च की है वर्टिकल तो यह इस तरह इसे और गहराई में पुश करेगी। टेक्निकली इसके लिए इस बेस का मजबूत होना जरूरी है यह तो खुद ही तैर रहा है तैरते हुए सिस्टम से आपने लॉन्च किया है , तो यह अपने आप में बड़ी काबिलियत है जमीन से मिसाइल का चलना और तैरते हुए सिस्टम से मिसाइल का चलाना दोनों में अंतर होता है। तो यह काम करके भारत ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। K4 मिसाइल सिस्टम को अग्नि 5 का ही रूपांतरण माना जाता है। अग्नि 5 जमीन से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है जो भारत के ICBM प्रोग्राम के तहत बनाई गई थी। इसी प्रकार से यहां पर यह जो मिसाइल सिस्टम डेवलप किया है यह अग्नि 5 का ही समुद्री रूपांतरण K5 कहलाता है। जैसे सागरिका मिसाइल का रूपांतरण K15 कहलाया था , ऐसे ही एक अग्नि 5 का रूपांतरण K5 कहलाया है। यह 5 और 4 क्या है जैसे अग्नि 5 में रेंज बताई जाती है 4000 से 5000 किलोमीटर। ऐसे ही K4 जब लिखा गया है तो इसकी रेंज 3500 से 4000 किलोमीटर तक मारक क्षमता बताई गई है। तो यहां पर आपके सामने खबर क्या आई INS ARIGHAAT से न्यूक्लियर पावर सबमरीन से न्यूक्लियर कैपेबल मिसाइल चलाई गई है। यही न्यूज़ है जो आपको समझनी चाहिए।
तो यहां पर यह जानकारी सबमरीन के अगस्त की है ,हमारे पास चार सबमरीन न्यूक्लियर कैपेबल होने वाली है ,यानी कि न्यूक्लियर पावर से चलने वाली है , INS अरिहंत ऑलरेडी चल रही है , ARIGHAT इसी अगस्त में चलना शुरू हुई है , अरिदमान जल्दी ही अगले साल की शुरुआत में हमें मिल जाएगी ,और S4* नाम से एक CODE NAME के साथ अभी डेवलप हो रही है बाद में उसे नाम दे दिया जाएगा। इस मिसाइल सिस्टम में क्या बात है मैंने आपको बता दिया, तो INS ARIGHAAT जो है उसने अपने पास से यह मिसाइल K4 चलाइ है वह चार ही K4 मिसाइल ले जा सकती है ,क्योंकि हर एक मिसाइल का अपना एक वजन है ,पनडुब्बी का वजन 6000 टन के आसपास का है और यहां पर 3500 किलोमीटर तक यह मारक करने वाली K4 मिसाइल को लेकर जा रही है। इसके अतिरिक्त यह k15 12 मिसाइल को भी ले जा सकती है ,कौन INS ARIGHAAT।
ये भी पढ़िए>>> क्या कहती है ATNI की नई रिपोर्ट? Multinational Food निर्माता कंपनियाँ भारत में निकृष्ट गुणवत्ता के उत्पादने बेचती हैं?
भारत की बढ़ती परमाणु पनडुब्बी बेड़ा:
- K-4 मिसाइल का परीक्षण और विस्तार: INS Arighaat से K-4 मिसाइल का परीक्षण यह दर्शाता है कि भारत अपनी परमाणु पनडुब्बी बेड़े का विस्तार कर रहा है।
- INS Aridhaman का आगमन: भारत 2025 की शुरुआत में अपनी तीसरी SSBN (INS Aridhaman) को शामिल करने की तैयारी कर रहा है। यह 7,000 टन वजनी पनडुब्बी भारत की समुद्री आधारित परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को और मजबूत करेगी।
- लगातार समुद्री प्रतिरोधक क्षमता: नई पनडुब्बियां उन्नत मारक क्षमता प्रदान करती हैं और भारत को समुद्र में लगातार प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने में सक्षम बनाती हैं, जो विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के लिए आवश्यक है।
- क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूती: रणनीतिक बलों के आधुनिकीकरण के साथ, इन उन्नत पनडुब्बियों की तैनाती क्षेत्रीय सुरक्षा खतरों के खिलाफ भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगी।
ये भी पढ़िए>>> Fact check: क्या मोरिंगा( Moringa) में दही से नौ गुना अधिक प्रोटीन होता है?
तो यहां पर एक बार फिर से है आपके सामने तो जो K15 है यह ऑलरेडी ले जा सकती है 15 K15 को, और 15 K15 को ले जा सकती है जो 750 किलोमीटर की रेंज तक मारक कर सकते हैं। तो आज की न्यूज़ में बड़ी न्यूज़ क्या है – K4 का जाना ,कहां से जाना ,सबमरीन से जाना ,यह कैसी मिसाइल है – बैलिस्टिक मिसाइल है। किसका रूपांतरण है – अग्नि 5 का रूपांतरण है। क्योंकि सबमरीन से चलाई जा सक रही है ,पहली बार चलाई गई है इसलिए यह बड़ी खबर है। बड़ी खबर में यह न्यूक्लियर बम ले जा सकती है इसलिए और बड़ी हो जाती है।
भारत समेत दुनिया के 6 देशों की सबसे ताकतवर SLBM मिसाइलें:
- अमेरिका: Trident D5 मिसाइल, रेंज 12,000 किलोमीटर।
- ब्रिटेन: Trident D5 मिसाइल, रेंज 12,000 किलोमीटर।
- फ्रांस: M51 मिसाइल, रेंज 10,000 किलोमीटर से कम।
- रूस: R-29RMU Sineva मिसाइल, रेंज 8,300 किलोमीटर से अधिक।
- चीन: JL-2 मिसाइल, रेंज 8,000 किलोमीटर।
- भारत:
- K-15 (वीओ-5) मिसाइल, रेंज 1,500 किलोमीटर।
- K-4 मिसाइल, रेंज 3,500 किलोमीटर (परीक्षण जारी)।
दुनिया में केवल 6 ही देश ऐसे हैं जो इस तरह का कोंबो रखते हैं ,यानी न्यूक्लियर पावर सबमरीन से न्यूक्लियर बम गिरने वाली मिसाइल चला सकते हैं। जो न्यूक्लियर बम है यह मिसाइल के माथे पर ऐसे पेलोड बांध दिया जाता है और वह जाकर गिरता है, लेकिन हां इसमें बहुत प्रेसीजन और एक्यूरेसी के साथ मिसाइल को चलाया जाता है।
ये भी पढ़िए>>> Gold investment in India: भारत में सोने में निवेश कैसे करें
जो K मिसाइल फैमिली है उसे K शब्द कलाम नाम से मिला है , और यह कलाम नाम सबमरीन लॉन्च बैलेस्टिक मिसाइल्स के लिए यूज किया जा रहा है :
जो हमारे पास K15 मिसाइल है ऑलरेडी ,जो ऑपरेशनल है। यह सारे 700 से 1500 किलोमीटर तक मार करती है।
दूसरी वाली जो है वह है K4 जो कि अब हमने ट्राई की है जिसके कारण सूचनाये बन रही हैं।
फिर K5 का नंबर है फिर K6 का नंबर है। K5 और K6 जो है वह ICBM होगी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल्स होगी। यानी की लॉन्ग रेंज तक मारक करेंगी एक कॉन्टिनेंट से दूसरे कॉन्टिनेंट तक। k15 स्मॉल रेंज है , K4 मीडियम रेंज मिसाइल सिस्टम है जो की 4000 किलोमीटर तक मारक कर सकता है। यह मिसाइल 17 टन वजन की है और 39 फीट लंबी है , इसका व्यास 4. 3 मीटर है और 2500 किलोग्राम वजनी स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर हथियार को लेकर यह उड़ सकती है। यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है ,मतलब सबमरीन के अंदर ऑलरेडी 17-17-17-17 इस तरह से आप समझ कर देखें तो इतना सारा सामान लेकर के सबमरीन पर चलना होगा और 2500 किलोग्राम का न्यूक्लियर बम अपने सिर पर पेलोड के रूप में बांधकर यह उड़ सकती है ,इसलिए यह खास है। सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल SLBM K4 मिसाइल जिसकी आप सब ने यह सूचना पढ़ी है। इसके अलावा यहां पर जो सबसे इंपोर्टेंट बात है ,वो यह कि यह जानकारी अभी तक ऑफिशियल नहीं आई है। क्यों नहीं आई है – क्योंकि कहां जा रहा है कि डिफेंस पर्सनल सरकार को सूचित करेंगे इसकी एक्यूरेसी के बारे में – की सर हमने टेस्टिंग कि ,वह कितनी सही निकली, वो सूचना मिलने के बाद फिर ऑफीशियली इसे सरकार बताएगी।
ये भी पढ़िए>>> IPO: कैसे ख़रीदे आईपीओ?
इससे पहले भी लगभग पांच बार इसकी टेस्टिंग सफल हुई है और उन सफल टेस्टिंग में इसको पैंटून से चला कर भेजा गया है। पहली बार यह सबमरीन से लांच की गई है यह कुल मिलाकर 6 देश है , जिनके पास में यह सारा सिस्टम उपलब्ध है इसमें अब भारत का नाम भी शामिल है ,K15 और K4 मिसाइल सिस्टम हम रखेंगे। क्या चीन और पाकिस्तान के लिए चिंता है कि – हां जरूर ,क्योंकि यह सबमरीन 50 दिन तक पानी में अंडरग्राउंड रह सकती है तो यह कहीं भी जा सकती है। पाकिस्तान के पानी में भी जा सकती है ,तो चीन वालों की भी समुद्र में जा सकती है और वहां से जाकर के यह अपनी K4 को चला सकती है , साथ ही साथ में 4000 किलोमीटर तक रेंज है ,ऐसे में इस रेंज के अंदर भी यहां के मेन लंड कई सिटीज को अपनी जगह में इस प्रकार से कवर कर सकती है। पूरा पाकिस्तान और लगभग आधा चीन यदि विशाखापट्टनम से भी चलाई जाए तो भी कवर करती है। भविष्य K5 के साथ है जल्दी ही भारत अपनी ताकत को और बढ़ाएगा।
भारत: छठा न्यूक्लियर ट्रायड देश:
- INS अरिघात की क्षमता: INS अरिघात समुद्र के भीतर से मिसाइल अटैक करने में सक्षम है, जैसा 14 अक्टूबर 2022 को अरिहंत द्वारा K-15 SLBM की सफल टेस्टिंग के समय देखा गया था।
- दुनिया के छठे न्यूक्लियर ट्रायड देश में शामिल: इस सफलता के साथ भारत दुनिया के उन छह देशों में शामिल हो गया, जिनमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, और चीन पहले से मौजूद हैं।
- न्यूक्लियर ट्रायड की परिभाषा: न्यूक्लियर ट्रायड का मतलब है कि देश जमीन, हवा और समुद्र, तीनों माध्यमों से परमाणु हमले करने में सक्षम हो।
ये भी पढ़िए>>> SIP Vs PPF Vs ELSS: ₹1.5 लाख निवेश पर कौन बनाएगा पहले करोड़पति? जानें 15-30 साल की पूरी कैलकुलेशन