जैसा कि आप सब जानते हैं इस हफ्ते निर्मला सीतारमण जी हमारे देश का जो बजट है 202526 का इसको प्रेजेंट करेंगी और आप देख ही रहे होगे कि इस बार कहीं ना कहीं लोगों में काफी आक्रोश है। लोग सोशल मीडिया पर अपना जो गुस्सा है वह निकाल रहे हैं ,लोगों का ऐसा कहना है कि – आप टैक्स भरते हैं लेकिन यहां पर जो बेनिफिट मिलना चाहिए सरकार से वह नहीं मिल पाता। तो इसकी वजह से अब काफी ज्यादा प्रयास लगाया जा रहे हैं – कि क्या सरकार एक बहुत बड़ा बदलाव करने जा रही है टैक्स रिफॉर्म्स के अंदर ? क्योंकि 6 दशक पुराना जो टैक्स का एक्ट है वह अभी भी हमारे देश में चल रहा है ,उसी को सरकार ले जा रही है। साथ ही साथ यहां पर क्या सरकार कोई रिलीफ प्रोवाइड करेगी ? तो सरकार क्या रिलीफ दे सकती है ? दे सकती है तो किस काम में दे सकती है ? और यह जो टैक्स रिफॉर्म में बदलाव की बातें वह क्या है ? आपको बहुत कुछ जाने को मिलेगा बजट आने के पहले।
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एक्जेक्टली अभी हो क्या रहा है ?
जैसा कि हम आपको बता भी रहे थे ,बहुत सारे जो भारतीय हैं वह अपना गुस्सा ,अनहैप्पीनेस एक प्रकार से सोशल मीडिया पर काफी निकाल रहे हैं। हम आपको बता दे ,हमारे देश में अगर आप देखोगे जो टैक्स देने के संख्या है लोगों की ,मतलब hm यहां पर GST की बात नहीं कर रहा है , जो गुड्स वगैरा आप खरीद तो वह तो बात ठीक है – कि सभी लोग टैक्स PAY करते हैं ,लेकिन जो डायरेक्ट टैक्स PAY करते हैं उनकी संख्या हमारे देश में बहुत कम है ,अगर आप देखोगे जो लोग यहां पर रिटर्न फाइल करते हैं ना हर साल ,पिछले साल का अगर आप आंकड़ा देखिए तो 75 मिलियन मतलब इतनी बड़ी आबादी में सिर्फ 7. 5 करोड़ लोगों ने रिटर्न फाइल किया और रिटर्न फाइल किया का मतलब यह नहीं होता है कि सभी ने यहां पर टैक्स PAY किया है। बहुत से लोगों का टैक्स इसमें जीरो होता है वह भी हम आपको आंकड़ा बतायेंगे लेकिन सभी लोग एक प्रकार से आप कह सकते हैं यह जो है वह अपने आप को मिडिल क्लास के अंदर रखते हैं और इसीलिए बोला जा रहा है कि – मिडिल क्लास में गुस्सा काफी ज्यादा है और वहीं दूसरी तरफ अगर आप देखोगे जो नरेंद्र मोदी जी पिछले 15 साल से मतलब अभी जो तीसरा जो टर्म है वह जीता है उन्होंने ,तो उसके पीछे कहीं ना कहीं जो लॉयल्टी है मिडिल क्लास की वह भी आपको देखने को मिलेगी। तो उनके लिए वह भी काफी इंपोर्टेंट हो जाता है। लेकिन दूसरी तरफ यहां पर जो एक इंपॉर्टेंट चीज है कि पिछले 6 दशक से हमारा जो टैक्स चल रहा है ,जो इनकम टैक्स एक्ट आपको पता होगा 1961 का उसमें अभी तक बदलाव नहीं किया गया। वैसे हम आपको बता दें 2010 में ,2019 में कोशिश की गई थी लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पाया था। लेकिन यहां पर अब तीसरा मौका है ,कहीं ना कहीं ऐसा लग रहा है कि सरकार एक बड़ी तैयारी कर रही है डायरेक्ट टैक्स में रिफॉर्म लाने की और यहां पर इसीलिए बहुत से एक्सपर्ट्स का यह कहना है कि इस बार यह अपॉर्चुनिटी सरकार को मिस नहीं करनी चाहिए। तो क्वेश्चंन अब आखिरकार क्या है – कि यह जो रिफॉर्म है वह किस तरह का होगा ? क्या सरकार यहां पर जो करंट लॉस है ,जैसे Rules हो गया nSub Rules हो गया ,Clauses हो गया ,Sections हो गए ,क्या उन सब में बदलाव करेगी ? बदलाव करेगी तो टैक्स PAYERS को ,ACCOUNTANTS को काफी फायदा होगा – की चीजें सरल होती जा रही है। लेकिन इससे ज्यादा हमें चाहिए और वह ज्यादा क्या है ? कहीं ना कहीं ऐसा जो लोगों का गुस्सा है वह इसकी तरफ है – कि बहुत से लोग टैक्स नहीं PAY करते हैं ,उनको सरकार बेनिफिट देती है। अक्सर आप यह डिबेट देखते रहते होंगे ,तो यहां पर सरकार को एक प्रकार से इक्विटेबल शेयरिंग करनी होगी ,जो बर्डन है ना वह कैपिटल और मजदूर दोनों में बांटना होगा ,रिच और पुर कहीं ना कहीं ऐसा लोगों का कहना होता है – कि दोनों तरफ एक तरह से चीजे बैलेंस होनी चाहिए ,जो करंट जेनरेशन और जो फ्यूचर जनरेशन है उसका भी ध्यान रखना चाहिए।
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INDIA’S NARROW TAX BASE
कितने लोग टैक्स PAY करते हैं ,तो यह बहुत NARROW है। अगर आप देखोगे तो जैसा कि हमने आपको बताया था – कि जितने लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं उनकी संख्या कितनी है – 7: 30 करोड़ ,लेकिन इसमें से 63% ऐसे हैं जो की कोई टैक्स PAY नहीं करते हैं ,जी हां लगभग 4. 7 करोड़ लोग तो कुछ भी टैक्स PAY नहीं करते हैं। यह रिटर्न जो फाइल कर रहे हैं और इसमें से हार्डली सिर्फ 2. 8 करोड़ ही ऐसे लोग हैं जो यहां पर एक्चुअल में टैक्स PAY करते हैं और जो कहते हैं ना जो बड़े टैक्स PAYERS ,जो 85 लाख से ज्यादा टैक्स PAY करते हैं उनकी संख्या करीब 40000 के आसपास है। तो अगर हम इनकी बात करें जो एकदम हाई नेटवर्क इंडिविजुअल्स है ,जो बहुत सारा टैक्स PAY करते हैं ,वह भी अक्सर आप देखोगे बहुत VOCAL है चीजों को लेकर – की pollution बढ़ रहा है ,potholes ज्यादा है ,लेकिन आपको समझना है कि इनके पास ऑप्शन होता है ,क्योंकि इनकी नेटवर्थ बहुत ज्यादा है ,कभी भी देश में अगर पसंद आएगी चीजे तो ठीक है या तो देश छोड़कर भी चले जाते हैं और यह होता आ रहा है अगर आप आंकड़ा देखोगे हर साल मतलब हजारों की संख्या में जो बिलेनियर से वह भारत छोड़कर जा रहे हैं ,तो उनके पास वह ऑप्शन है लेकिन आपको समझना यह है कि – जितना भी टैक्स कलेक्शन होता है उसका 20% से कम टैक्स कंट्रीब्यूशन इनकी तरफ से आता है। ज्यादातर जो टैक्स कंट्रीब्यूशन है 80% से ज्यादा ,वह एक्चुअली मिडिल क्लास से आता है और इसीलिए मिडिल क्लास इस समय काफी ज्यादा गुस्से में है और इसीलिए वह कई सारी चीजों का डिमांड कर रहा है और डिमांड क्या आ रही है – कि मिडिल क्लास जहां पर भी जाता है ,वहां पर उसके ऊपर टैक्स लगा दिया जाता है। नई गाड़ी खरीदना है टैक्स लगाओ ,सड़क पर चलना है टैक्स लगाओ ,हाई कंजप्शन टैक्स हो गया ,कैपिटल गैन टैक्सेस हो गया ,स्टॉक मार्केट में आपको कोई फायदा हो रहा है प्रॉफिट हो रहा है मुनाफा हो रहा है तो वहां पर आपके ऊपर टैक्स लगता है ,tolls लगाए जाते हैं ,फिर इसके अलावा यहां पर इस तरह की और भी कई चीजे है जिसकी वजह से जो मॉडल क्लास है वह काफी ज्यादा इस चीज को लेकर vocal है।
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इन सब चीजों को देखते हुए सरकार क्या कर सकती है?
देखो एक तो यहां पर जो सबसे इंपोर्टेंट चीज जो एक्सपट्र्स और बहुत सारे लोग यह कहते हैं कि हमारे देश में टैक्स बेस बढ़ाने की जरूरत है। मतलब जितने लोग टैक्स pay करते हैं ,उनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है लेकिन अब इसमें प्रॉब्लम क्या है ? प्रॉब्लम यह है कि आपको बहुत सारे और इंडिविजुअल जो नीचे में जो इंडिविजुअल्स है उनको जोड़ना पड़ेगा। अब अगर आप देखोगे अभी भी हमारे देश में जो एग्रीकल्चर इनकम है ,टैक्स फ्री है लेकिन 600 मिलियन पीपल ,60 करोड लोग अभी भी एग्रीकल्चर इनकम के ऊपर डिपेंडेंट है। तो वहां से तो टैक्स नहीं आ सकता ,तो इसकी वजह से बताया जा रहा है कि अल्टीमेटली जो सरकार के पास रास्ता बसता है शॉर्ट टर्म में ,टैक्स में बदलाव करने का वो यही है – की जो मिडल क्लास के ऊपर इनकम टैक्स रेट लगाया जाता है ,उसमे बदलाव किया जाये।
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देखना होगा की निर्मला सीतारमण जी इसमें क्या बदलाव करती है ? फिर इसके अलावा और भी कई रास्ते हैं जैसे GST हो गया ,इसको लेकर काफी मांग हो रही है – कि बहुत सारे जो गुड्स वगैरा हैं जो आप बाजार में खरीदते हो ,GST में भी कुछ बदलाव किया जाए इससे लोगों को फायदा होगा और इससे भी ज्यादा जो खुशखबरी होगी लोगों के लिए ,वह होगा आपका पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को एक प्रकार से GST मिलाया जाए। अभी क्या अगर आप पेट्रोल ,डीजल यह सब देखोगे तो यह GST के बाहर है ,जिसकी वजह से स्टेट गवर्नमेंट ,सेंट्रल गवर्नमेंट खूब सारा टैक्स लगा देते हैं जब मन चाहे। और इसकी वजह से वहां पर आपको रिलीफ नहीं मिलता। अगर ऐसा होता है तो लोग इससे काफी खुश होंगे लेकिन प्रॉब्लम यह है कि GST वाला सॉल्यूशन निर्मला सीतारमण जी डायरेक्टली अनाउंस नहीं कर सकती , उसके लिए अलग फॉर्म है GST काउंसिल तो वहां पर यह सारी चीजे डिसाइड होती हैं ,स्टेट गवर्नमेंट और सेंट्रल गवर्नमेंट साथ में मिलकर बैठते हैं ,वोटिंग होती है ,तब यह डिसाइड होता है। फिर यहां पर दूसरा प्रॉब्लम क्या है – कि देखिए अगर आप मोदी गवर्नमेंट की बात करेंगे तो 10 साल से ज्यादा हो चुका है आपको पता है , तीसरी बार मोदी सरकार को चुना गया है। तो वह चाहते हैं इस समय जो गवर्नमेंट है जो चाहती है – कि लोग ज्यादा इनवेस्टमेंट करें ठीक है ,अब गवर्नमेंट चाहती है कि इन्वेस्टमेंट करें ,लोग चाह रहे इन्वेस्टमेंट करें ,लेकिन इन्वेस्टमेंट करें कैसे ? यहां पर बिज़नेसेस की तरफ से अगर आप देखोगे तो कंप्लेंन आता है – कि कॉरपोरेट टैक्स रेट अभी भी ज्यादा है। तो क्या आपको लगता है क्या सरकार कॉरपोरेट टैक्स रेट जो है बढ़ा सकती है ? बिल्कुल नहीं बढ़ा सकती ,तो कॉरपोरेट टैक्स रेट तो बढ ही नहीं सकता ,इन फैक्ट 2019 में कॉरपोरेट टैक्स रेट को कम किया गया था और स्पेशली अभी आपको पता है डोनाल्ड ट्रंप आया है ,उन्होंने टैक्स रेट कम करने की बात की है अमेरिका के अंदर। तो वहां पर अगर कम होगा तो हमें और ज्यादा कॉम्पिटेटिव होना पड़ेगा। तो यह भी एक रास्ता नहीं मिलता। फिर दूसरा यहां पर जो सरकार यह सोच रही है कि सस्ते दाम पर बाहर से डेट आए भारत के अंदर। मतलब अगर मान लो सरकार बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स बना रही है उसके लिए जो पैसा चाहिए सरकार को ,तो सरकार कम इंटरेस्ट रेट पर बाहर से BORROW कर पाए। अब बाहर का पैसा भारत में कब आएगा ?
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अब देखिए बाहर वाले जो है ,कम इंटरेस्ट रेट पर तभी पैसा देंगे भारत सरकार को ,या फिर भारत के अंदर ,जब हमारी इकोनॉमी स्ट्रांग होगी और इकोनॉमी कैसे स्ट्रांग होगी – जो माइक्रो आंकड़े हैं ,कई सारी चीजे जैसे FISCAL DEFICIT हो गया ,तो यह सब बहुत मायने रखते हैं। अब हुआ क्या है प्रॉब्लम की ,पिछले 20 साल पहले यह बोला गया था कि हमारा जो FISCAL है वह 3% के अंदर होना चाहिए। अब अगर आप देखोगे पिछले 20 साल में सिर्फ एक बार ऐसा हुआ है जो हमारा FISCAL DEFICIT इस टारगेट को मीला है ,अभी हो क्या रहा था कि 2019-20 तक हम उस तरफ बढ़ रहे थे ,आप देख सकते हो जो FISCAL DEFICIT है 4. 5 ,4. 1 के लगातार नीचे हो रहा था ,3. 4 तक हम आ गए थे। फिर अचानक से क्या होता है कोविड का दौरा आ जाता है और अचानक से जो FISCAL DEFICIT है वह 9% पर चला जाता है ,अब वापस से सरकार इस चीज को ट्राई कर रही है। मतलब हमारा जो मैक्रोइकॉनमी उसको कहीं ना कहीं सरकार फोकस कर रही है – कि उसको इंप्रूव किया जाए ताकि जो बाहर के निवेशक हैं वह भारत में कम दाम पर ,कम इंटरेस्ट रेट चार्ज करके यहां पर इन्वेस्ट करें।
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नए टैक्स कोड की चिंता (ANXIETY)
खैर इसके अलावा जो सबसे इंपोर्टेंट चीज़ हो सकता है इस बजट के अंदर ,वह है नए टैक्स कोड इसको लेकर काफी चिंता है ,क्योंकि ऐसा लग रहा है कि सरकार के पास कोई बहुत ज्यादा उपाय नहीं बचा है। तो उपाय कहां है कि नया टैक्स कोड लाइसेंस 1961 का जो कानून जो है उसमें बड़ा एक बदलाव किया जाए। तो पहले सरकारों ने कोशिश किया है लेकिन वह नहीं कर पाए ,जैसे कि यहां पर 2012 में CONGRESS LED जो Coalition चल रहा था सरकार उस समय ,उन्होंने तो एक बहुत बड़ा disaster कर दिया था ,मतलब इनकम टैक्स रेट को और बेटर करने की बजाय disaster कर दिया था और वह क्या था ? वह यह था – कि Retrospective changes किए गए थे टैक्स रूल्स में। आपको याद होगा ना वोडाफोन वाला मामला था सुप्रीम कोर्ट तक गया और सरकार हार भी गई सुप्रीम कोर्ट में ,अभी रीसेंट तक यह मामला चल रहा था 2023 24 तक। तो Retrospective का मतलब ये होता है की – आप मान लीजिये सर्कार 2012 में यह कह रही है कि 2005 वाले टैक्स में हम बदलाव करेंगे। आप पहले वाले टैक्स में कैसे बदलाव कर सकते हो ? मान लो आप कहीं पर निवेश करने जा रहे हो किसी राज्य में ,आपको पता है कि वहां पर आपको 15% टैक्स PAY करना पड़ेगा ,अब 10 साल के बाद सरकार कह रही है कि नहीं ,15 नहीं आपको तो 25% पर PAY करना पड़ेगा। आपके लिए बड़ा झटका है कि नहीं ? तो यह काफी ज्यादा एक सेटबैक था और उसमें और अभि में बहुत डिफरेंट हो चुका है। अभी भारत की इकोनॉमी काफी बेटर पोजीशन पर है ,इन्वेस्टर्स का भरोसा भारत के ऊपर है। हम कुछ एग्जांपल देते हैं ,उस समय अगर आप देखोगे 2012 के समय ,”TAPER TANTRUM ” हुआ था लिक्विडिटी कम हो रही थी उस समय और अभी भी कुछ वैसा ही आपको सीन तो देखने को मिलेगा जैसे डोनाल्ड ट्रंप की पॉलिसीज वगैरा इमीग्रेशन की बात कर रहे है , ट्रेड की बात कर रहे हैं तो कुछ इंपैक्ट करेगा लेकिन जून 2013 में जो अमेरिका के अंदर वहां का जो TREASURY BOND का इंटरेस्ट रेट था ,मतलब अगर अमेरिका की सरकार मान लो 2% पर यहां पर BORROW करती है ठीक है। तो वहीं भारत सरकार को 7% पर BORROW करना होता था , मतलब दोनों के बीच में 5% का डिफरेंस था। आज के डेट में ऐसा नहीं है ,आज के डेट में मान लो अगर अमेरिका की सरकार 4% पर BORROW कर रही है ,तो भारत सरकार को 6% पर यहां पर BORROWING मिल सकती है मतलब डिफरेंट जो है वह 2% का ही रहेगा। तो कहीं ना कहीं भारत की इकोनॉमी भी स्ट्रांग हुई है ,फिर इसके अलावा यहां पर क्या है कि जैसे हमारे बजट के अंदर आप देखोगे जो उस रिवेन्यू डिफिसिट हो गया। तो रिवेन्यू डिफिसिट वगैरा अगर हम बात करें ,बजट डिफिसिट की अगर हम बात करें ,तो यह 4. 5% ऑफ GDP बोला गया। अगर मान लो या MEET नहीं भी कर पाते हैं ,सरकार कहती है कि यह पैसा हम ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करेंगे ,जो ग्रोथ स्लो डाउन हो रहा है उसको रोकेंगे , तो निवेशक इस चीज को समझेंगे आज के डेट में ,पहले वह समझने के लिए रेडी नहीं थे। तो फ़ायनली कंक्लुजन देखिए , यहां पर यह निकलता है – कि अभी इस समय जो SALARIED CLASS का SENTIMENT है ना ,वह सबसे ज्यादा चिंताजनक है ,वह काफी ज्यादा चिंता में है कि सरकार हमारे लिए क्या करने वाली है और देखना होगा कि सरकार इस बजट के अंदर क्या नई जॉब्स की इनीशिएटिव लायेगी ग्रोथ के लिए क्या करेगी और स्पेशली टैक्स में क्या बदलाव करेगी?
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